mithila sahitysudha

mithila sahitysudha

शनिवार, 28 जुलाई 2012

कार्यकारिणी समिति (विवरण आ "शपथ-ग्रहण पत्र) - " मिथिला एकता समाज-साउदी अरब रियाद"

कार्यकारिणी समिति आ शपथ-ग्रहण पत्र
अध्यक्ष : श्री रुकेश कुमार शाह
उपाध्यक्ष : १. नबल किशोर मंडल उपाध्यक्ष २...........
सचिव : १. श्री नीरज राय सचिव २. मनोज कुमार शाह
कोषाध्यक्ष :१ श्री चंद्रशेखर शाह सहकोषाध्यक्ष :२ अनिल गिरी
प्रवक्ता : १. .......... प्रवक्ता २.................
सल्लाहकार : १. श्री श्रवण शाह . श्री सुनील प्रसाद गुप्ता . श्री नीर बहादुर सुनुवार . श्री नागेन्द्र यादब ५. श्री भोला यादब
कानुनी सल्लाहकार : ....................
विशिष्ट कार्यकारिणीस सदस्य: १. श्री सुजीत कुमार शाह २. श्री बिजय कुमार महतो . श्री डिल्ली लिम्बू . श्री कुल बहादुर श्रेष्ठ ५. श्री तुनई महतो
उपरोक्त पद के लेल अधिकार विवरण........
अध्यक्ष के अधिकार: मिथिला एकता समाजक हरेक गतिविधि पर संस्थाके हितके ध्यान में रखैत समग्र दृष्टिकोण के निर्णायक। अध्यक्षके सामान्यतया हर फैसला अन्तिम, मुदा अध्यक्ष के रूपमें फैसला यदि कार्यकारिणीके दु-तिहाई सदस्य द्वारा अनुचित ठहरायल गेल तऽ ओ फैसला में बदलाव संभव। बदलाव लेल नव प्रस्ताव अवधारणाके प्रस्तुति एवं वोटिंगके मार्फत फैसला।
अध्यक्ष के कर्तब्य: मिथिला एकता समाजक उद्देश्य प्राप्ति हेतु पूर्ण समर्पित भावना संग ग्रुप पर निरंतर विचार प्रवाह एवं संस्थाके लेल आगामी समय में कार्य योजना निर्माण केनै। हरेक योजना के प्रस्ताव प्रस्तुति एवं कार्यकारिणीके सहमति आवश्यक। कोनो प्रस्तावपर सभ कार्यकारिणी सदस्यके स्वतंत्र मत एवं बहुमतके फैसला सर्वमान्य।
उपाध्यक्ष १ (प्रशासन) एवं उपाध्यक्ष २ (कार्यविधि) के अधिकार: मिथिला एकता समाजक अध्यक्षके अधिकार प्रति समर्पण एवं सहयोग। कोनो प्रस्तुति अध्यक्ष प्रति संबोधन करैत प्रस्तुति एवं अध्यक्षके सहमति सऽ आम प्रस्ताव के रूपमें पारित करैत सभके सुझाव एवं पारित लेल प्रस्तुतिके अधिकार। अध्यक्ष के असहमति के स्थितिमें एक साधारण सदस्यके रूपमें प्रस्ताव प्रस्तुति एवं कार्यकारिणीके द्वारा वोटिंगके मार्फत निराकरण।
उपाध्यक्ष के कर्तब्य: अध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत वा आम सहमति सऽ पारित कोनो प्रस्ताव के अनुरूप विधि व्यवस्थापन में सक्रिय भूमिका निर्वहन। महीनामें कम से कम एक कार्य-योजना के लेल अपन विचार प्रस्तुति।प्रशासन संग सम्बन्धित उपाध्यक्ष फेशबुक पेज (वा वेबसाइट) लेल योजना निर्माण, कार्यविधि संग सम्बनधित उपाध्यक्ष मिथिलावासी लगायत सम्पूर्ण नेपाली संस्था प्रमुख संग जुड़िके कार्य योजना निर्माण आ प्रस्ताव प्रस्तुति केनै।
प्रवक्ता के अधिकार: संस्था के हर आधिकारिक घोषणा सार्वजनिक फोरम पर एवं मिडिया संग शेयर करैत संस्था के उतरोत्तर प्रगति लेल सकारात्मक संवाद संचरण करबाक पूरा अधिकार। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के सहमति साथ संस्थाके हितके सर्वोपरि मानैत मात्र कोनो सार्वजनिक घोषणा के अधिकार।
प्रवक्ता के कर्तब्य: संस्थाके द्वारा फेशबुक वा अन्यत्र कैल जा रहल विभिन्न कार्यक्रम के लेल विस्तृत व्योरा प्रस्तुत केनै। हर सप्ताह एक विज्ञप्ति जारी केनै जाहिमें संस्थाके द्वारा कैल जा रहल अनेको कार्यक्रम एवं दृष्टिकोण समाहित रहय।
कोषाध्यक्ष १.(कोषब्यबस्थापण )सहकोषाध्यक्ष २. ( कोष संकलन ) के अधिकार :- संस्था के हित में कैलगेल आयोजन,कार्यक्रम आ विचार गोष्ठी में कोषक रासी खर्च करबाक अधिकार अछि समिति के अनुमति अनिबार्य चाही !
कोषाध्यक्ष एवं सहकोषाध्यक्ष के कर्तव्य :- संस्थाक सम्पूर्ण आय व्यय के लगत राखब आ समय-समय सं पारदर्शिता विवरण पेश करबाक अनिबार्य अछि !
सचिव १ (प्रशासन) एवं सचिव २ (कार्यविधि): संस्थाके हितमें उपरोक्त समस्त पदेन अधिकारी द्वारा कैल गेल वा कैल जा रहल प्रस्तावन, कार्य योजना, कोष संकलन योजना एवं हर क्रियाके आलेख संकलन करैक अधिकार। सचिव १ - उपाध्यक्ष १ संग सीधा जुड़ल। सचिव २ - उपाध्यक्ष २ संग सीधा जुड़ल।
सल्लाहकार १, २, ३,४ एवं ५ : संस्थाके हित के निर्धारण लेल समग्र सुझाव एवं कार्यविधिपर नजर राखैत सुझाव देबाक अधिकार।
सल्लाहकारके कर्तब्य: संस्थाके हितके सर्वोपरि मानैत ईमानदार एवं प्रतिबद्ध सहयोग देबाक लेल तत्पर रहनाइ।

शपथ-पत्रके प्रारूप:
हम .................. पुत्र ....................... स्थायी पता.................. वर्तमान पता ........... जे मिथिला एकता समाज नामक संस्थाके ................... पद पर ............ दिनके चुनाव द्वारा चुनल गेलहुँ से मानवताके सर्वोपरि धर्मके नाम पर शपथ खाइत छी जे हम अपन पद के गरिमा आ संस्थाके गोपनीयता बरकरार रखैत अपन पूर्ण समर्पण भाव सहित संस्थाके बेहतरी लेल कार्यरत रहब। संस्थाके हर नियम प्रति हमर निष्ठा बरकरार राखब एवं संस्थाके हर निर्णय के हम सर्वमान्य बूझब।
सभ मनोनीत सदस्यगण सँ निवेदन जे निचा टिप्पणी के रूप में अपन - अपन शपथ-ग्रहण पत्र पेश करी...
धन्यवाद...

सोमवार, 2 जुलाई 2012

गजल-५९
कोना कहू हम आई एतेक मजबूर किएक
प्रीतमक विछोड आई हमरा मंजूर किएक

हम तकैत रहिगेलौं नयन सं नयन मिला
छोड़ी हमरा चलिगेल प्रीतम निठुर किएक

दोष हुनक नै कोनो दोष अछि सभटा हमरे
आई बुझलौं हमरा में एतेक गुरुर किएक

ओ जान प्राण सं प्रेम करैत छलि हमरा सं
हम सदिखन रहलौं हुनका सं दूर किएक

हम परैख नहि सकलौं हुनक निश्च्छल प्रेम
आई बिछोड पीड़ा सं दिल हमर चूर किएक

आई हुनक डगर के हर मोड़ अछि अलग
हुनक जीनगी में बनब हम बबुर किएक

"प्रभात क "दिन भेल दुर्दिन प्रीतम अहाँ विनु
अहाँक सपना हम केलौं चकनाचूर किएक

वर्ण-१८
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 1 जुलाई 2012

गजल-५८



गजल-५८

कथिले अहाँ हमरा सं घुंघटा में मुह नुकौने छि गोरी
हम तं अहाँक दीवाना अहिंक दिल में बसौने छि गोरी

कने घुंघटा उठा दिय आ चान सनक मुह देखा दिय
मधुर मिलन केर वेला में किएक तरसौने छि गोरी

वित् जाएत अनमोल राति मिझ जाएत दिया के वाती
फेर सुहागराति अहाँ नखरा किएक देखौने छि गोरी

"प्रभात" के सब्र बान्ह आब टुटल जारहल अछि गोरी
लाजक चादर ओढ़ी हमरा किएक तडपौने छि गोरी

वर्ण-21.
रचनाकार- प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 20 जून 2012

गजल
हम कहानी जीवन केर सुनाऊ कोना
करेज चिर कs घाऊ हम देखाऊ कोना

... नाम हुनके जपैतछि जे देलक दगा
द्गावाज प्रीतम सँ दिल लगाऊ कोना

चमकैत रूप पाछू जे भागल दीवाना
ओहन दगावाज के हम मनाऊ कोना

विछोडक पीड़ा सँ सुल्गैत अछि करेज
धुँवा धुँवा अछि जीनगी बताऊ कोना

विसरल नै जाईए ओ मिलनक पल
प्रीतमक ईआद दिल सँ भगाऊ कोना

जरल करेज में प्रेम जगाएब कोना
दिल में प्रेमक दीया आब जराऊ कोना

वर्ण-१५------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 18 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

नीरास जिनगीक अहिं हमर नव आस छी
हम विहिनी कथा अहाँ हमर उपन्यास छी

हम पतझर बगिया केर मुर्झाएल फुल
अहाँ रजनीगंधा गुलाब फूलक सुवास छी

हम नीम गाछ तित अछ हमर सभ पात
मधुर फल में अहाँ सभ फल सं मिठास छी

कर्मक मरल छलहूँ हम जग सं हारल
नीरसल जीनगीक अहिं हमर पियास छी

देखलौं बड खेला ई जग अछि स्वार्थक मेला
स्वार्थक संसार में अहिं निस्वार्थ विस्वास छी

साँस लेब छल मुश्किल छलहूँ हम वेजान
इ बांचल प्राण "प्रभात"अहिं हमर साँस छी

--------वर्ण-१७---------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

श्रद्धा सुमन मोन उपवन में प्रीतम
अहिं हमर मोन चितवन में प्रीतम

प्रेम परागक अनुराग अछि जीवन
श्याम राधा मिलन वृन्द्रावन में प्रीतम

चलू जतय बहैय प्रेम स्नेह सरिता
सिया रामक संग रामवन में प्रीतम

रुक्मिणी बनी विरह कोना हम जियब
हमहू जाएब लक्ष्मणवन में प्रीतम

अढाई अक्षर प्रेमक प्रेम में संसार
प्रेम विनु जीव कोना भवन में प्रीतम

वर्ण-१५.......
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 9 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

अप्पन जीनगी के अप्पने सजाएल करू
अप्पन स्वर्णिम भविष्य रचाएल करू

राह ककर तकैत छि इ व्यस्त जमाना में
अप्पन राह के कांट खुद हटाएल करू

बोझ कतेक बनल रहब माए बाप कें
कर्मशील बनी कय दुःख भगाएल करू

असफलता सं लडै ले अहाँ हिमत धरु
कर्मक्षेत्र सं मुह नुका नै पडाएल करू

हार मानु नै जीनगी सं जाधैर छै जीनगी
जीत लेल अहाँ हिमत के बढ़ाएल करू

चलल करू डगर सदिखन एसगर
ककरो सहारा कें सीढ़ी नै बनाएल करू

उलझन बहुत भेटत जीवन पथ में
पथिक बनी उलझन सोझराएल करू

हेतए कालरात्रिक अस्त नव-प्रभात संग
अमावस में आशा के दीप जराएल करू

------------वर्ण -१६------------
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 7 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

अप्टन सुन्दरता के बढ़ा रहल छै
पुष्प दूध सं सुनरी नहा रहल छै

कोमल कोमल देह लागैछै दुधिया
आईख सं बिजुरिया गिरा रहल छै

पैढ़लिय इ सुनारी छै खुला किताब
अंग अंग सुन्दरता देखा रहल छै

पातर पातर ठोर लागै छै शराबी
गाल गुलाबी रस टपका रहल छै

घिचल घिचल नाक चमकै छै दाँत
काजर के धार तीर चला रहल छै

अप्टन लगा गोरी सुनरी लागै छै
मोन मोहि पिया के ललचा रहल छै

दुतिया चान सन चकमक करै छै
ताहि ऊपर श्रृंगार सजा रहल छै

सैज धैज सजनी इन्द्रपरी लागै छै
देख सुनरी के चान लजा रहल छै

-------वर्ण-१४-------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल
आजुक दुनियां में सब किछ विकाऊ भsगेलै
अनैतिक कुकर्म करैबला कें नाऊ भsगेलै

बेच अप्पन इज्जत कमबै छै टाका रुपैया
ठस ठस गन्हईत छौड़ी सभ कमाऊ भsगेलै

उठलै लोकलाजक पर्दा भsगेलै गर्दा गर्दा
चौक चौराहा नगरबधू के गाँउ ठाऊ भsगेलै

इज्जत केर धज्जी उर्लै एलै केहन जवाना
पुलिस प्रहरी थाना एकर जोगाऊ भsगेलै

वर्ण -17
रचनाकार--प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 4 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

मरि रहल छै सीता सन बेट्टी दहेजक खेल में
बेट्टी पुतोहू जरी रहल छै किरोसिन तेल में

बेट्टा के बाप बेचीं रहल छै मालजालक मोल में
बेट्टीबाला के घर घरारी सब लागल छै सेल में

कs देलन घर घरारी दुलहा के नाम नामसारी
बनी गेलाह ओ दाता भिखारी बाप बेट्टा के मेल में

फेर दुलहा मोटर आ गाड़ी लेल कटैय खुर्छारी
कनिया संग आबैय ओ ससुरारी चैढ कS रेल में

नै भेटला सं मोटर गाड़ी कनिया के देलक मारि
दहेजक लोभी ओ बाप बेट्टा चकी पिसैय जेल में

------------वर्ण-१९-----------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

प्रेमक दुनियाँ में संसारक रित धनी तोईर दिय
शराबी ठोरक रस हमरा ठोर पर घोईर दिय

प्रेमक बैरी इ दुनिया की जाने प्रेम सनेहक मोल
अनमोल प्रेम सं दिल टूटल हमर जोईर दिय

अहिं हमर जिनगी छि हम अहिं प्रेम केर दीवाना
दिल लगा कs हमरा सं जमाना के पाछु छोईर दिय

प्रेमक पंछी हम अहाँ उईर चलू प्रेम नगर में
कियो देखैय खराप नजैर सं ओकर मुह मोईर दिय

अप्पन प्रेम देख क दुनिया जैईर जैईर मरतै
प्रेमक दुश्मन जमाना के अहाँ धनी झकझोईर दिय

-----------वर्ण-२०------------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 1 जून 2012

गजल

सब दान सं पैघ दुनिया में कन्यादान छै
धन टाका सं पैघ दुनिया में स्वाभिमान छै

निर्लज मनुख की जाने मान-स्वाभिमान
दहेज़ मांगब याचक केर पहिचान छै

मांगी दहेज़ टाका रुपैया देखबैय शान
बेचदैय बेट्टा के लोक केहन नादान छै

जैइर मरैय बेट्टी दहेजक आईग में
विआहक नाम सुनीते बेट्टी परेशान छै

सपथ लिय बंधू दहेज़ नै लेब नै देब
आदर्श विआह जे करता ओहे महान छै

आब नै बेट्टी मरत नै पुत्रबधू जरत
दहेज़ मुक्त मिथिलाक एही अभियान छै

---------वर्ण-१६-----------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 31 मई 2012


गजल

दिल में घाऊ भरल मुदा महफ़िल अछि सजल !!
दगावाज प्रीतम के राज खुजल हम गाएब गजल !! -शेर

एकटा राज के भेद आई खुईल जेतए
जीते जी जिनगी सं ओ आई मुईल जेतए

मानैत छलहूँ जेकरा प्राण ओ छल आन
पर्दा उठैत नून जिका ओ घुईल जेतए

फरेबक जाल बुनैय में ओ छै होसियार
कवछ जोगार में ओ आई तुईल जेतए

बैच नै सकैय ओ आई हमरा नजैर सं
सभटा होसियारी ओ आई भुईल जेतए

पतिवर्ता नारी कोना कैएलक मुह कारी
भेद राज खुलैत ओ आई झुईल जेतए
..........वर्ण-१६..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 28 मई 2012

गजल
इ धरती इ गगन रहतै जहिया तक
अप्पन प्रेम अमर रहतै तहिया तक

कहियो तं इ दुनिया बुझतै प्रेमक मोल
प्रेमक दुश्मन जग रहतै कहिया तक

बाँझ परती में खिलतै नव प्रेमक फुल
प्रेमक फुल सजल रहतै बगिया तक

कुहू कुहू कुहकतै कोयल चितवन में
जीवनक उत्कर्ष रहतै सिनेहिया तक

प्रीतम "प्रभात" संग नयन लडल मोर
भोर सं दुपहरिया साँझ सं रतिया तक

..........वर्ण-१६...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
गजल
पी कs शराब जे बनैय नबाब
झूठ जिन्गी के ओ करैय बचाब

पी क शराब जे देखाबै नखरा
जमाना ओकरा कहैय खराब

नीसा सं मातल ओ ताडिखाना में
लडैत पडैत पिबैय शराब

ओ खोजैय प्रीतम के बोतल में
बोतल शराब लगैय गुलाब

---प्रभात राय भट्ट -------


रुबाई
गम गम गमकै छै महफ़िल सजल छै गुलाब
छल छल छलकै छै गिलास में भरल छै शराब
एक घूंट में कियो पीगेल उठाके बोतल समूचा
मातल पियक्कड़ कहैत छै गंगाजल छै शराब

रुबाई
पियक्कड़ के कहैय कियो खराब एही जमाना में
ओ खुद नुका कs पिबैय शराब एही ताडिखाना में
घुटुर घुटुर पीवगेल भरल गिलास शराब
छोडीगेल एक राज की किताब एही ताडिखाना में

शनिवार, 26 मई 2012

गजल आई फेर पुछैय लोक हमरा अहाँ किएक उदास छि
आ हम पूछलएन हुनका सं अहाँ किएक नीरास छि

जातपातक भेदभाव कोना उत्तपन भेल मधेश में
ताहि चिंतन में हम डुबल छि अहाँ किएक नीरास छि

थरुहट अबध मिथिला भोजपुरा नै चाही मधेश के
मधेशी के चाही स्वतंत्र मधेश अहाँ किएक नीरास छि

अखंड मधेश केर विखंडन में शाषक अछि लागल
हेतै क्रूरशाषक के अवसान अहाँ किएक नीरास छि

सहिदक सपना मधेश एक प्रदेश बनबे करतै
निरंकुश शाषक मुईल जेतै अहाँ किएक नीरास छि
............वर्ण-२१..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 20 मई 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

भ्रम में किएक रखने छि सत्य तथ्य बताबु यौ
नै बनत मधेश तं सरकार छोइड आबू यौ

दिवा स्वप्न में भ्रमित छि जनता केर भ्रमौने छि
मातृभूमि रक्षा हेतु चिर निंद्रा सं जागु यौ

माए मधेश के छाती पर चलल हर फार
खण्ड खण्ड कोना भेल मधेश किछ तं सुनाबू यौ

आब कियो सपूत नै देत वलिदान अहि ठाम
कोना भेल नीलाम मधेश कारन देखाबू यौ

सहिद्क आत्मा के सुनलौ नै चितकार कियो
नहीं भेटल कुनु अधिकार आब नै लडाबू यौ

मधेशी गर्दन पर चलल स्वार्थक तलवार
आब अप्पन संविधान अप्पने लिख बनाबू यौ
............वर्ण-१८.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 10 मई 2012

बृहस्पतिवार, 10 मई 2012


कविता-मधेश

कविता-मधेश

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नहि जानि कोन बज्रपात गिरल
सपनाक शीशमहल ढहल
सहिद्क शोणित सं
बाग़ में छल एकटा फुल खिलल
छन में फुल मौलाएल
सुबास नहि भेट सकल
टुकरा टुकरा शीशा चुनी
कोना महल बनाएब
मौलाएल फुल सं
कोना घर आँगन गमकाएब

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
वीर सहिदक आहुति सं
छल आशा केर दीप जरल
नीरस भेलहु जखन
स्वार्थक बयार सं दीप मिझल
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रंग विरंगक फुल के
हम सब छलहूँ एकैटा माला
स्वार्थक बाट में टुटल माला
काटल गेल मधेश माए केर गाला
मैटुगर बनी गेलहुं हम
मधेश माए पिविगेल्ही हाला
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

बन्ह्की पडल माए छलहीन
सिस्कैत हुनक ठोर
बैसल छलन्हि आशा में
कहियो तं हेतइए भोर
षड्यंत्र नामक खंजर ल क
एलई अमावस कठोर
नव प्रभात देख नै पैलन्ही नहि भेलै भोर
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 29 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

साबन में बरसै छै बदरिया गाम आबू ने पिया सबरिया
अंग अंग में उठल दरदिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

प्रेम मिलन के आएल महिना बड मोन भावन छै सावन
कुहू कुहू कुह्कैय कोईलिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

नील गगन सीतल पवन लेलक चढ़ल जोवन उफान
इआद अबैय प्रेम पिरितिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

मोन उपवन साजन प्रेम रासक रस सं भरल जोवन
मोन पडैय अहाँक सुरतिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

मोन बौआइए किछु ने फुराइए जागी जागी वितैय रतिया
पिया कटैय छि हम अहुरिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया
.................वर्ण:-२३.....................

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

सावन भादव कमला कोशी जवान भSगेलै
कमला कोशी मारैय हिलोर तूफान भSगेलै
कोशी केर कमला सेहो पैंच दैछई पईन
कोशीक बहाब सं मिथिला में डूबान भSगेलै
कोशी के जुवानी उठलै प्रलयंकारी उन्माद
दहिगेलै वलिनाली बर्बाद किसान भSगेलै
गिरलै महल अटारी आओर कोठी भखारी
खेत बारी घर घर घरारी सभ धसान भSगेलै
निरीह अछि मिथिलावासी के सुनत पुकार
खेतक अन्न घरक धन अवसान भSगेलै

कोशिक कहर नहि जानी की गाम की शहर
घुईट घुईट जहर सभ हैरान भSगेलै

खेत में झुलैत हरियर धान बारीमे पान
दाहर में डुबिक नगरी समसान भSगेलै

भूखल देह सुखल "प्रभात" मचान भSगेलै
कोशिक प्रकोप सं मिथिला परेशान भSगेलै
...........वर्ण-१७..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

हमरा बिसैइर प्रीतम अहाँ जाएब कतय
एहन प्रगाढ़ प्रेम स्नेह अहाँ पाएब कतय

टुईट नै सकैय प्रीतम साँच प्रेमक बन्हन
चिर प्रेमक बन्हन तोड़ी अहाँ जाएब कतय

बिसैइर केर हमरा दिल लगाएब कतय
छोड़ी कें एसगर हमरा अहाँ जाएब कतय

अहाँक करेजक धड़कन में हम धड्कैत छि
कहू दिल से धड़कन निकाली जाएब कतय

"प्रभात"करेज में पसरल अछि हमर माया
अहाँक छाया हम छि छाया छोड़ी जाएब कतय
................वर्ण:-१८................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल
दिल के दर्द दिल में दबौने नैयन में नोर नुकौने छि
के जानत हमर दिल के ब्यथा मुश्कैत ठोर देखौने छि

वेदना कियो कोना देखत चमकैत चेहरा कें भीतर
प्रियम्बदा केर एकटा राज हम बड जोर दबौने छि

वेकल अछ मोन धधकैत आईग में जरैत करेज
अशांत मोन भीतर मधुकर भावक शोर मचौने छि

तिरोहित भगेल अछि जीवनक उत्कर्ष केर संगम
मधुर मिलन कें अनुपम राग सं भोर गमकौने छि

आएल अमावस खत्म भेल ख़ुशी केर अनमोल पल
"प्रभात" इआदके बाती नोरक तेल सं ईजोर कौने छि

.......................वर्ण-२१...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 15 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

राईत दिन हम अहींक सुरता पिया कएने छि
दूर रहिक हमरा सं हमरा किया सतएने छि

कमला कोशी लेलक उफान मारैय हमर जान
बनी कें अन्जान पिया हमर जिया तरसएने छि

प्रेम परिणय आलिंगन लेल जी हमर तरसैय
प्रेम मिलन ओ मधुर इआद सं हिया जुडएने छि

दिन गनैत बितैय दिन कोना जियव अहाँ विन
दिल के दिया में नोरक तेल सं दिया जरएने छि

सजी देखैछि ऐना सावन भादव बरसैय नैना
अहाँ विन जागी जागी "प्रभात"रतिया वितएने छि
................वर्ण-१९..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट

            गजल

रिमझिम सावन बरसलै मोर अंगना
देखू सखी अंगना चलीएलै मोर सजना


अंगना में नाचाब हम खनका के कंगना 
जन्म जन्मक पियास मेटलै मोर सजना


देखलौ मधुमास हम मनोरम सपना 
अहाँ विनु करेज धरकलै मोर सजना 


बैशाख जेठक अग्न सँ जरल छल मोन 
अंग अंग में जलन उठलै मोर सजना 


अहाँक छुवन सँ दिल में उठल जलन 
मिलन लेल दिल तरसलै मोर सजना 
वर्ण:-१६ 
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

संबाद@:-प्रभात राय भट्ट

                   संबाद !!

काका:- सुन रे बौआ  देशक हाल बड बेहाल छै 
             जनता के लुईट लुईट चोर नेता सभ नेहाल छै 


भतीजा:- सुन हो काका गामक छौरा सभ भSगेलैय चोर डाका 
               लुईट लुईट आनक धन ताडिखाना में उड़बैय छै टाका


काका:- कह रे बौआ पैढ़लिख तोहूँ आब करबे की ?
            भेटतहूँ  नहि कतहु नोकरी चाकरी कह तोहूँ आब करबे की ?


भतीजा:- पैढ़लिख हम नेता बनब काका करब देशक सेवा 
               भूख गरीबी दूर भगा करब हम जनसेवा 


काका:- देश डुबल छै कर्जा में बौआ नेता सभक खर्चा में 
            भ्रष्टाचारी नेता सभक नाम छपल छै अख़बार पर्चा में 


भतीजा:- भ्रष्टाचारी  नेता सभ कें मुह कारिख पोती गदहा चढ़ाऊ
               राजनीती में कुशल सक्षम युवा सभ के आगू बढ़ाऊ


काका:- जे जोगी एलई काने छेदेने नै छै ककरो ईमान रौ
            कायर गद्दार नेता सभ बेच  देलकैय स्वाभिमान रौ 


भतीजा:- क्रांतिकारी युगांतकारी युवा नेता में दियौ मतदान यौ
               सुख समृद्धवान  देश बनत ,बनत सभ कें अपन पहिचान यौ 
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट 

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-

गजलक शब्द शब्द अछि हिरामोती जेना लगैय ज्योति
जीवनक विछोड मिलन में गजल जेना लगैय मोती

सोचक सागर में डूबी निकालैय कियो हिरामोती
अप्रतिम सुन्दर शब्दक संयोजन जेना लगैय मोती

सुन्दर नारी पर शब्दक गहना भSजाएत अछि भारी
गीत गजल सुन्दर शब्दक रचना जेना लगैय मोती

श्रृंगार रासक शब्द सं अछि नारी केर श्रृंगार सजल
अनुपम शब्दक अनमोल गजल जेना लगैय मोती

निशब्द भावक शब्द बनी ठोर पर घुन्घुनाए गजल
गजलकारक शब्द रचल गजल जेना लगैय मोती

..........वर्ण-२१....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

  गीत@प्रभात राय भट्टलग आऊ लग आऊ सजनी कने चूल्हा पजारैछि
चूल्हा में आंच लगा कS सजनी अधन खौलाबैछि
भूख अछ बड जोर लागल एखन धैर नहि भात पाकल
भूक सँ मोन छटपट करैय होइए नै कम्हरो ताकल

एना नै चूल्हा पजरत बलम धुँआधुकुर किया केनेछी
उकुस मुकुस हमर मौन करैय एना किया सतौनेछी
पजरैय नै चूल्हा अहाँ सँ , अहाँ कोना पकाएब भात यौ
झट सँ चमच नीकाली पिया दहिए चुरा पर फेरु हात यौ

दही जमा कS मटकुरी में मलाई कतS नुकौनेछी
सुखल चुरा खुआ खुआ कS हमरा बड तरसौनेछी
चुरा दहिक संग हम खाएब दरभंगिया पुआ पकवान यए
छैयल छबीला हम छि गोरी जनकपुरिया नव जवान यए

दही जमौने मटकुरी में बलम हम अहिं लेल रखनेछी
खाऊ पिया मोन भईर के आई मुह किया लटकौनेछी
खुआ मलाई खूब खाऊ चाटी चाटी चिनिक चासनी यौ
दही चुरा पर पकवान ऊपर सं चाटु पिआर के चटनी यौ

रचनाकार:- गीत@प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 2 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-

ठुमैक ठुमैक नै चलू गोरी जमाना खराब छै
मटैक मटैक चलब कें जुर्वना वेहिसाब` छै

जान मरैय सबहक अहाँक चौवनी मुश्कान
अहिं पर राँझा मजनू सन दीवाना वेताब छै

कोमल कंचन काया अहाँक चंचल चितवन
जेना हिरामोती सं भरल खजाना लाजवाब छै

निहायर निहायर देखैय अहाँ कें सभ लोक
प्रेम निसा सं मातल सभ परवाना उताव छै

जमाना कहैय अहाँक रूप खीलल गुलाब छै
झुका कS नजैर अहाँक मुश्कुराना अफताव छै
............वर्ण:-१८.....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 1 अप्रैल 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट


             गजल:-

जिन्गी तोंहू केहन निर्दय निष्ठुर भSगेलाए
छन में सभ सपना चकनाचूर कSदेलाए


छोट छीन छल बसल हमर नव संसार 
संसार सं किएक तू हमरा दूर कSदेलए 


दुःख सुख तं जीवन में अविते रहैत छैक 
मुदा दुःख ही टा सं जिन्गी भरपूर कSदेलए 


भईर नहि सकैत छि अप्पन दिल के घाऊ
चालैन जिका गतर गतर भुर कSदेलए 


उज्जारही के छलौं हमर जीवनक फुलबारी 
तेंह दिल झकझोरी किएक झुर कSदेलए 


तडपी तडपी हम जीवैत छि एहन जिन्गी 
जिन्गी तोंह दिल में केहन नाशुर कSदेलए 


कर्मनिष्ठ बनी कय कर्मपथ पर चलैत छलौं 
नजैर झुका चलै पर मजबूर कSदेलए
 .............वर्ण-१७........
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 31 मार्च 2012

तुझे नेता कहू तो कैसे कहूँ ??@प्रभात राय भट्ट



तुझे नेता कहू तो कैसे कहूँ ??
तुझ में नेतृत्व की क्षमता है ही नहीं
जो स्वार्थनीति में आसक्त हो
ओ क्या जाने राजनीती
राजनीती में जाहिल गवार हो तो क्या हुवा ?
तुम तो एक सौदागर हो
सौदा करने में माहिर भी हो
मुनाफा के लिए
गिरबी रख देते हो अपने माँ को
बेचदेते हो अपने वतन को
मोटी रकम मिलने पर
खुद भी बिक जाते हो

तुझे नेता कहू तो कैसे कहूँ ??
तुझ में नेतृत्व की क्षमता है ही नहीं
तिन पार्टी में तेरह गुट
पद पैसों के लिए जाते हो फुट
तुम सारे के सारे पंगु नेता
स्वार्थलिप्सा में हो वशीभूत
ना तेरा कोई सिधान्त है
ना तेरा कोई जातपात है
तुम सारे गद्दार नेता का एकही जमात है

तुझे नेता कहू तो कैसे कहूँ ??
तुझ में नेतृत्व की क्षमता है ही नहीं
लूटपाट की खलबली मची है
तेरे घर की ईंट ईंट में
भ्रष्टाचारी की रंग लगी है
तेरे बीबी की गहने में भी
भ्रष्टाचारी की छाप लगी है
तेरे बच्चो को सभी कहते है
गद्दार नेता तेरा बाप है
तू गद्दार की रजबीज का एक छाप है
भ्रष्टाचारी की बू
तेरे जिश्म से जाती ही नहीं
लाज शर्म तो तुम्हे आती ही नहीं
तुझे नेता कहू तो कैसे कहूँ ??
तुझ में नेतृत्व की क्षमता है ही नहीं
रचनाकार:- प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 30 मार्च 2012

गीत:-

लचक लचक लचकै छौ गोरी तोहर पतरी कमरिया
ठुमैक ठुमैक चलै छे गोरी गिरबैत बाट बिजुरिया //२
देख मोर रूपरंग मोन तोहर काटै चौ किये अहुरिया
सोरह वसंतक चढ़ल जुवानी में गिरबे करतैय बिजुरिया //२ मुखड़ा

चमक चमक चमकैय छौ गोरी तोहर अंग अंग
सभक मोन में भरल उमंग देखैला तोहर रूपरंग
ठुमैक ठुमैक चलै छे गोरी गिरबैत बाट बिजुरिया
रूप लगैय छौ चन्द्रमा सन देह लगैय छौ सिनुरिया //२

सोरह वसंतक चढ़ल जुवानी में गिरबे करतैय बिजुरिया
देख मोर रूपरंग मोन तोहर काटै चौ किये अहुरिया
लाल लाल मोर लहंगा पर चमकैय छै सितारा
देख मोर पातर कमर मोन तोहर भेलौं किया आवारा //२

अजब गजब छौ चाल तोहर गोरिया गोर गोर गाल
कारी बादल सन केश तोहर ठोर छौ लाले लाल
चमकैय छे तू जेना चमकैय गगन में सितारा
देख के तोहर रूपक ज्योति मोन भेलैय हमर आवारा //२

मस्त मस्त नैयना मोर गोर गोर गाल
जोवनक मस्ती चढ़ल हमर ठोर लाले लाल
चमकैय छै मोर रूप जेना चमकैय अगहन के ओस
देख के मोर चढ़ल जुवानी उडीगेलय सभक होस //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 26 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
अप्पन आन सभ लेल अहाँ चिन्हार बनल छि
आS हमरा लेल किएक अनचिन्हार बनल छि

अहाँ एकौ घड़ी हमरा विनु नहीं रहैत छलौं
आई किएक हम अहाँ लेल बेकार बनल छि

कोना बिसरल गेल ओ प्रेमक पल प्रीतम
हमरा बिसारि आन केर गलहार बनल छि

हमर प्रीत में की खोट जे देलौं हृदय में चोट
अहाँक प्रीत में आईयो हम लाचार बनल छि

दिल में हमरा प्रेम जगा किया देलौं अहाँ दगा
दगा नै देब कही कs किएक गद्दार बनल छि

..................वर्ण:-१८............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 24 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल
अनचिन्हार सं जहिया चिन्ह्जान बढल
तहिया सं हमरा नव पहिचान भेटल

विनु भाऊ बिकैत छलहूँ हम बाजार में
आई अनमोल रत्न मान सम्मान भेटल

काल्हि तक हमरा लेल छल अनचिन्हार
आई हमरा लेल ओ हमर जान बनल

अन्हरिया राईत में चलैत छलहूँ हम
विनु ज्योति कहाँ कतौ प्रकाशमान भेटल

प्रभात केर अतृप्त तृष्णा ओतए मेटल
जतए अनचिन्हार सन विद्द्वान भेटल
.............वर्ण:-१६.................
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 21 मार्च 2012

परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ@प्रभात राय भट्ट



मिथिला के हम बेट्टी छि मैथिलि हमर नाम यौ
जनक हमर पिता छथि जनकपुर हमर गाम यौ
जगमे भेटत नै कतहूँ एहन सुन्दर मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

मिथिला के हम बेट्टा ची मिथिलेश हमर नाम यौ
मिथिला के हम वासी छि जनकपुर हमर गाम यौ
ऋषि महर्षि केर कर्मभूमि अछि मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

मिथिलाक मैट सं अवतरित भेल्हीं सीता जिनकर नाम यौ
उगना बनी महादेव एलाह पाहून बनी कय राम यौ
धन्य धन्य अछि मिथिलाधाम,मिथिलाधाम जगमे महान यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

हिमगिरी के कोख सं ससरल कमला कोशी बल्हान यौ
मिथिला के शान बढौलन मंडन,कुमारिल,वाचस्पति विद्द्वान यौ
हमर जन्मभूमि कर्मभूमि स्वर्गभूमि मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

कपिल कणाद गौतम अछि मिथिलाक शान यौ
विद्यापति के बाते अनमोल ओ छथि मिथिलाक पहिचान यौ
जगमे भेटत नै कतहूँ एहन सुन्दर मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 20 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
अहाँ विनु जिन्गी हमर बाँझ पडल अछि
सनेह केर पियासल काया जरल अछि


दूर रहितो प्रीतम अहाँ मोन पडैत छि
प्रीतम अहिं सं मोनक तार जुडल अछि


तडपैछि अहाँ विनु जेना जल विनु मीन
अहाँ विनु जिया हमर निरसल अछि


नेह लगा प्रीतम किया देलौं एहन दगा
मधुर मिलन लेल जिन्गी तरसल अछि


अहाँ विनु प्रीतम जीवन व्यर्थ लगैय
की अहाँक प्रेमक अर्थ नहीं बुझल अछि
..............वर्ण-१६...........
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 18 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
वसंत ऋतू में आएल सगरो वसंत बहार
वनस्पतिक पराग गमकौने अनन्त संसार


हरियर पियर उज्जर पुष्प आर लाले लाल
पुष्पक राग केर उत्कर्ष अछि वसंत बहार


झूमी रहल कियो गाबी रहल नाचे कियो नाच
पलवित भेल प्रेम मोन में अनन्त उद्गार


सीतल सुन्दर सजल बहैय वसंत पवन
मनोरम प्रकृतिक दृश्य अछि वसंत बहार


मोर मयूरक नृत्य मधुवन कुह्कैय कोईली
मधुर मुस्कान सगरो आनंद अनन्त संसार


प्रेम मिलन मग्न प्रेमी पुष्पित वसंत बहार
मोन उपवन सुरभित भेल अनन्त संसार
.............वर्ण-१८.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

               गजल
मतलब के सब संगी मतलबी छै लोक
कियो मनाबै छै ख़ुशी कियो मनाबै छै शोक

स्वार्थक वशीभूत दुनिया की जाने ओ प्रेम
प्रेम पथ पर किएक कांट बोए छै लोक

सभक मोन में भरल छै घृणाक जहर
दोसर के सताबै में तृष्णा मेटाबै छै लोक

ललाट शोभित चानन गला पहिर माला
भीतर भीतर किएक गला कटै छै लोक

सधुवा मनुखक जीवन भगेल बेहाल
कदम कदम पर जाल बुनैत छै लोक

अप्पन ख़ुशी में ओतेक ख़ुशी कहाँ होए छै
जतेक आनक दुःख में ख़ुशी होए छै लोक

अप्पन दुःख में ओतेक दुखी कहाँ होए छै
जतेक आनक ख़ुशी में दुखी होए छै लोक

अप्पन चिंतन मनन कियो नहि करेय
आनक कुचिष्टा में जीवन बिताबै छै लोक

विचित्र श्रृष्टिक विचित्र पात्र छै सब लोक
"प्रभात" के किएक कुदृष्टि सं देखै छै लोक
.....................वर्ण:-१६ ................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

सोमवार, 27 फरवरी 2012

गीत@प्रभात राय भट्ट

गीत:-
सजना सजना यौ हमर सजना
सुनु सुनु ने कने हमर कहना //२
सजनी सजनी ऐ हमर सजनी मुखड़ा //
कहू कहू ने जे किछु अछि कहना //२


सजना सजना यौ हमर सजना
सुनु सुनु ने कने हमर कहना
ह्रिदय में हमर अहिं बास करैतछि
हमर मोनक सभटा आस पुरबैछि
हमर नयनक अहिं तारा छि सजना
हमर जीवनक अहिं सहारा छि सजना //२

सजनी सजनी ऐ हमर सजनी
कहू कहू ने जे किछु अछि कहना
कहू ने कहू हम सभटा जनैतछि
अहाँक प्रेम पाबी हम हर्षित रहैतछि
अहाँ हमरा मोन में हुलास बढ़बैतछि
अप्पन प्रेम नै टुटत इ बिस्वास हम दैतछि//२


सजना सजना यौ हमर सजना
सुनु सुनु ने कने हमर कहना
जन्म जन्म के हम छि पियासल
अहिं सं जीवनक उत्कर्ष अछि बाँचल
अहींक नाम सं खनकैय हमर कंगना
हमर दिल में अहिं धरकै छि सजना//२


सजनी सजनी ऐ हमर सजनी
कहू कहू ने जे किछु अछि कहना
जन्म जन्म तक हम रहब अहींक संग संग
अहींक प्रीत सं भरल अछि हमर मोनउपवन
अहाँक प्रीतक डोर सं बान्हल रहब रजनी
जीव नै सकब हम अहाँ बिनु सजनी //२


रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 25 फ़रवरी 2012

गीत @प्रभात राय भट्ट

गीत
ऐ सजनी कने घुंघटा उठाऊ ने हमर प्राण प्रिया
पूर्णिमा सन अहांक सूरत देखिला फाटेय हिया //२
थर थर कपैय देह मोर धरकैय करेज पिया
यौ पिया कोना घुंघटा उठाऊ धक् धक् धरकैय जिया //२
...
पहिल प्रेमक पहिल मिलन में एना करैछी किया
ऐ सजनी कने घुंघटा उठाऊ ने हमर प्राण प्रिया
अहि हमर लाजक घुंघटा उठा दिय ने पिया
नजैर कोना हम मिलाऊ धक् धक् धरकैय जिया //२

एकटा बात पुछू पिया कहू साँच साँच कहब तं
हमरा विनु कोना रहब अहाँ जौं हम नै रहब तं
धनि जे बजलौं फेर नै बाजब कहू हाँ कहब तं
अहाँ विनु जिब नै सकब हम जौं अहाँ नै रहब तं //२

संग छुटतै नै अप्पन टुटतै नै पिरितिया
खा कS कहैछी सजना हम इ किरिया
छोड़ी देब दुनिया हम तोड़ी देब जग के रीत
छोड़ब नै अहांक संग सजनी तोड़ब नै प्रीत //२

छोड़ी देब दुनिया हम तोड़ी देब जग के रीत
छोड़ब नै अहांक संग सजना तोड़ब नै प्रीत
अहिं सं जगमग करेय हमर जीवन ज्योति
अहिं छि सजनी हमर मोनक हिरामोती //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

गजल @प्रभात राय भट्ट

गजल
एसगर कान्ह पर जुआ उठौने,कतेक दिन हम बहु
दर्द सं भरल कथा जीवनके,ककरा सं कोना हम कहू

अपने सुख आन्हर जग,के सुनत हमर मोनक बात
कहला विनु रहलो नै जाइय,कोना चुपी साधी हम रहू

अप्पन बनल सेहो कसाई,जगमे भाई बाप नहीं माए
सभ कें चाही वस् हमर कमाई,दुःख ककरा हम कहू

देह सुईख कS भेल पलाश,भगेल हह्रैत मोन निरास
बुझल नै ककरो स्वार्थक पिआस,कतेक दुःख हम सहु

मोन होइए पञ्चतत्व देह त्यागी,हमहू भS जाए विदेह
विदेहक मंथन सेहो होएत,कोना चुपी साधी हम रहू

नैन कियो करेज,कियो अधिकार जमाएत किडनी पर
होएत किडनीक मोलजोल, सेहो दुःख ककरा हम कहू

बेच देत हमर अंग अंग, रहत सभ मस्ती में मतंग
बजत मृदंग जरत शव चितंग सेहो कोना हम कहू
.........................वर्ण:-२२.............................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट

गजल
कतय भेटत एहन प्रेम जे मीत अहाँ देलौं
मित्रताक कर्मपथ पर मोन जीत अहाँ लेलौं
स्वार्थक मीत जग समूचा,मोन मीत नहीं कियो
धन्य सौभाग्य हमर मोन मीत बनी अहाँ एलौं

स्वार्थक मेला में भोगलौं हम वर वर झमेला
हर झमेला में बनिक सहारा मीत अहाँ एलौं

मजधार डूबैत हमर जीवनक जीर्ण नाव
नावक पतवार बनी मलाह मीत अहाँ एलौं

निस्वार्थ भाव अहाँ मित्रताक नाता जोड़ी लेलहुं
हर नाता गोटा सं बड़का रिश्ता मीत अहाँ देलौं

नीरसल जिन्गीक हर क्षण भेल छल उदास
उदास जिन्गीक ठोर पर गीत मीत अहाँ देलौं

संगीतक ध्वनी सन निक लगैय मीतक प्रीत
कृष्ण सुदामाक प्रतिक बनी मीत अहाँ एलौं
...............वर्ण:-१८.....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट