mithila sahitysudha

mithila sahitysudha

सोमवार, 28 मई 2012

गजल
पी कs शराब जे बनैय नबाब
झूठ जिन्गी के ओ करैय बचाब

पी क शराब जे देखाबै नखरा
जमाना ओकरा कहैय खराब

नीसा सं मातल ओ ताडिखाना में
लडैत पडैत पिबैय शराब

ओ खोजैय प्रीतम के बोतल में
बोतल शराब लगैय गुलाब

---प्रभात राय भट्ट -------


रुबाई
गम गम गमकै छै महफ़िल सजल छै गुलाब
छल छल छलकै छै गिलास में भरल छै शराब
एक घूंट में कियो पीगेल उठाके बोतल समूचा
मातल पियक्कड़ कहैत छै गंगाजल छै शराब

रुबाई
पियक्कड़ के कहैय कियो खराब एही जमाना में
ओ खुद नुका कs पिबैय शराब एही ताडिखाना में
घुटुर घुटुर पीवगेल भरल गिलास शराब
छोडीगेल एक राज की किताब एही ताडिखाना में

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें