mithila sahitysudha

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गुरुवार, 18 अगस्त 2011

हे मधेश माता@प्रभात राय भट्ट

हे मधेश माता
हमारे भाग्यविधाता  
प्रकृति की तू हैं सुन्दरता
मैं तेरा ही गुण गाऊ
तेरी अनमोल मिटटी की
चन्दन ललाट  लगाऊ
कोशी कमला  बलान की
जल हैं अमृत समान
हे मधेश माता
तुझमें हैं हमरा प्राण
हिमशिखर की गोदमें
मां है तू विराजमान
वाग्मती नारायणी गंडक की
अविरल जलधारा
हमे लगता है प्यारा
सेती महाकाली की बात अनोखा  
जैसे हो झरनों की  झरोखा
मां तेरी हैं उर्वरभूमि
अन्न धनं की क्या बात करें
भगवान बुद्ध की
जन्म तेरी ही गोदमें
शक्तिस्वरूपा सीता
अवतरित हुए तेरे  ही खेत में
प्रकृति की तू हैं अनमोल रचना
अंग अंग  में शोभित हैं
मनोरम प्रकृति
विराट संस्कृति की गहना
हीरे मोती से भरे हैं तेरी खजाना
मां तुम्हे टुक्रे टुक्रे करनेकी
बन रही है प्लान
तेरी अस्तित्व की
होने जारही हैं अवसान
हम जान करेंगे कुर्वान
पर तुम्हे हर हालमे
है हमे बचाना 
भला मां से बेट्टा को
कोई क्या जुदा कर पायेगा
मेरे रग रग में बहती हैं मां
तेरी मिटटी की खून
उस खून को
हम देंगे वलिदान
पर होने न देंगे 
हम  तेरी अपमान
दुश्मनो की छाती पर
हम करेंगे वार
मधेशियोंकी हाथ हाथ में
चमके गी तलवार
हम लेके रहेंगे अपनी
मातृभूमि की अधिकार 
सावधान हो जाओ मधेश को
टुक्रे टुक्रे करनेवाले सरकार
हम  ओ योद्धा हैं जो 
डूबते कश्ती को
तूफान से निकाल लातें हैं 
हमे मत समझो लाचार
समग्र मधेश एक परदेश
यह है हमरा अधिकार
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

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