mithila sahitysudha

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गुरुवार, 31 मई 2012


गजल

दिल में घाऊ भरल मुदा महफ़िल अछि सजल !!
दगावाज प्रीतम के राज खुजल हम गाएब गजल !! -शेर

एकटा राज के भेद आई खुईल जेतए
जीते जी जिनगी सं ओ आई मुईल जेतए

मानैत छलहूँ जेकरा प्राण ओ छल आन
पर्दा उठैत नून जिका ओ घुईल जेतए

फरेबक जाल बुनैय में ओ छै होसियार
कवछ जोगार में ओ आई तुईल जेतए

बैच नै सकैय ओ आई हमरा नजैर सं
सभटा होसियारी ओ आई भुईल जेतए

पतिवर्ता नारी कोना कैएलक मुह कारी
भेद राज खुलैत ओ आई झुईल जेतए
..........वर्ण-१६..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 28 मई 2012

गजल
इ धरती इ गगन रहतै जहिया तक
अप्पन प्रेम अमर रहतै तहिया तक

कहियो तं इ दुनिया बुझतै प्रेमक मोल
प्रेमक दुश्मन जग रहतै कहिया तक

बाँझ परती में खिलतै नव प्रेमक फुल
प्रेमक फुल सजल रहतै बगिया तक

कुहू कुहू कुहकतै कोयल चितवन में
जीवनक उत्कर्ष रहतै सिनेहिया तक

प्रीतम "प्रभात" संग नयन लडल मोर
भोर सं दुपहरिया साँझ सं रतिया तक

..........वर्ण-१६...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
गजल
पी कs शराब जे बनैय नबाब
झूठ जिन्गी के ओ करैय बचाब

पी क शराब जे देखाबै नखरा
जमाना ओकरा कहैय खराब

नीसा सं मातल ओ ताडिखाना में
लडैत पडैत पिबैय शराब

ओ खोजैय प्रीतम के बोतल में
बोतल शराब लगैय गुलाब

---प्रभात राय भट्ट -------


रुबाई
गम गम गमकै छै महफ़िल सजल छै गुलाब
छल छल छलकै छै गिलास में भरल छै शराब
एक घूंट में कियो पीगेल उठाके बोतल समूचा
मातल पियक्कड़ कहैत छै गंगाजल छै शराब

रुबाई
पियक्कड़ के कहैय कियो खराब एही जमाना में
ओ खुद नुका कs पिबैय शराब एही ताडिखाना में
घुटुर घुटुर पीवगेल भरल गिलास शराब
छोडीगेल एक राज की किताब एही ताडिखाना में

शनिवार, 26 मई 2012

गजल आई फेर पुछैय लोक हमरा अहाँ किएक उदास छि
आ हम पूछलएन हुनका सं अहाँ किएक नीरास छि

जातपातक भेदभाव कोना उत्तपन भेल मधेश में
ताहि चिंतन में हम डुबल छि अहाँ किएक नीरास छि

थरुहट अबध मिथिला भोजपुरा नै चाही मधेश के
मधेशी के चाही स्वतंत्र मधेश अहाँ किएक नीरास छि

अखंड मधेश केर विखंडन में शाषक अछि लागल
हेतै क्रूरशाषक के अवसान अहाँ किएक नीरास छि

सहिदक सपना मधेश एक प्रदेश बनबे करतै
निरंकुश शाषक मुईल जेतै अहाँ किएक नीरास छि
............वर्ण-२१..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 20 मई 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

भ्रम में किएक रखने छि सत्य तथ्य बताबु यौ
नै बनत मधेश तं सरकार छोइड आबू यौ

दिवा स्वप्न में भ्रमित छि जनता केर भ्रमौने छि
मातृभूमि रक्षा हेतु चिर निंद्रा सं जागु यौ

माए मधेश के छाती पर चलल हर फार
खण्ड खण्ड कोना भेल मधेश किछ तं सुनाबू यौ

आब कियो सपूत नै देत वलिदान अहि ठाम
कोना भेल नीलाम मधेश कारन देखाबू यौ

सहिद्क आत्मा के सुनलौ नै चितकार कियो
नहीं भेटल कुनु अधिकार आब नै लडाबू यौ

मधेशी गर्दन पर चलल स्वार्थक तलवार
आब अप्पन संविधान अप्पने लिख बनाबू यौ
............वर्ण-१८.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 10 मई 2012

बृहस्पतिवार, 10 मई 2012


कविता-मधेश

कविता-मधेश

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नहि जानि कोन बज्रपात गिरल
सपनाक शीशमहल ढहल
सहिद्क शोणित सं
बाग़ में छल एकटा फुल खिलल
छन में फुल मौलाएल
सुबास नहि भेट सकल
टुकरा टुकरा शीशा चुनी
कोना महल बनाएब
मौलाएल फुल सं
कोना घर आँगन गमकाएब

नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
वीर सहिदक आहुति सं
छल आशा केर दीप जरल
नीरस भेलहु जखन
स्वार्थक बयार सं दीप मिझल
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रंग विरंगक फुल के
हम सब छलहूँ एकैटा माला
स्वार्थक बाट में टुटल माला
काटल गेल मधेश माए केर गाला
मैटुगर बनी गेलहुं हम
मधेश माए पिविगेल्ही हाला
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

बन्ह्की पडल माए छलहीन
सिस्कैत हुनक ठोर
बैसल छलन्हि आशा में
कहियो तं हेतइए भोर
षड्यंत्र नामक खंजर ल क
एलई अमावस कठोर
नव प्रभात देख नै पैलन्ही नहि भेलै भोर
नित दिन स्वपन देखैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें
नव प्रभात सं कामना करैत छलहूँ
एक मधेश स्वायत प्रदेश कें

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट