mithila sahitysudha

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शनिवार, 29 अक्टूबर 2011


माए यसोदा अहि छि हमर भौजी@प्रभात राय भट्ट

भौजीमे देखलौं माए कय सूरत
लागैछ्थिन ओ ममता कय मूरत
माए कय ममता अहां देलौं जेना
भौजी अहांक दुलार बिसर्बैय कोना

ममताक आंचैरमें हमरा रखलौं
अहां बत्स्ल प्रेमक स्नेह लुटैलौं
मोनमें अछि अपार श्रद्धा सुमन
अहांक चरण में सतसत नमन

नोर सं कानैत देख हमरा भौजी
अहां आंचैर सं नोर पोछी सुखेलौं
अपने अहां सुखल नून रोटी खेलौ
हमरा दूध दही स स्नान करेलों

हमर मुर्झायल जिनगीमें लेलौं बहार
हम बिसर्बैय जुनी अहांक प्यार दुलार
माए कय ममता अहां देलौं भौजी
माए यसोदा अहि छि हमर भौजी

 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

उग हो सुरुजदेव@प्रभात राय भट्ट


उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//

हाथ अर्घ लेने हम जलमें ठार
उग हो सुरुजदेव सुनियौ  नए हमरो पुकार
थर थर कपैय देह जल विच हम ठार
उग हो दीनानाथ करियौ नए हमरो उद्धार
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//१

भेलई भीन्सरबा काग करैछई शोर
दर्शन कय खातिर नैना ब्याकुल मोर
सुगा मनडराई देख केराके घौर
फलफूल डाली देख चीडैया करय शोर 
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//२

अन्न धन लक्ष्मी दिय गोदमे ललना
पूरा करियौ दीनानाथ हमरो मनोकामना
बेट्टी लक्ष्मीनि दिय विद्द्वान जमाय
हो दीनानाथ दिनकर होऊ नए सहाय
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//३

बड़ारे जतन से अएली छठी मईयाके घाट
हे छठी मईया नैना तकैय अहींक बाट
कोढ़ीयन कय काया दिय निर्धनके धन
निष्ठुर निश्चर कय दिय दयालु मोन
उग हो सुरुजदेव देब हम अर्घ चढाय-------//
हे छठी मईया होऊ नए हमरो पैर सहाय--//४

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011

बदरा उमैर उमैर घनघोर
बरसे आंगन मोर
प्यासल तनमन अछि
हृदय भेल हमर विभोर
दिल चुराक प्रीतम मोर
कतय गेले चितचोर //२
 
सिनेहियाक सूरत देखैले
नैना सं झहरे नोर
रिमझिम रिमझिम सावन वर्षे
तनमन में अगनके जलन
सजन उठल बड जोर
कतय गेले चितचोर //२
 
अंग अंग ब्यथा उठल
फटेय पोर पोर
बदरा के बूंद बूंदमें
लगैय संगीतक शोर
खन खन खनकैय कंगना
छम छम बजैय पायल मोर //२
 
पिया लग आऊ प्यास बुझाऊ
मोनमें उठल बड जोरक हिलोर
अहां बिनु जोवन भेल भारी मोर
कतय गेले सजन चितचोर
विरहिन भेष देख हमर
मुस्की मारैय चानचकोर //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 12 अक्टूबर 2011


आब नै सताबू पिया परदेसीया@प्रभात राय भट्ट

गा आबू ने पिया परदेसीया
मोनक बतिया लिखैछी पतिया
प्यास मिलनके बड़ा रे सताबे
रही रही अहांक इयाद आबे     
विरहिन बनल हम जिबैतछी कलेशमें
एसगर कोना अहां रहैतछी पिया परदेशमे // १

गाम आबू ने सजना हमर सिनेहिया
एसगर छोइड गेलौं किये निरमोहिया
हमर हिया फटेय अहां लय पिया
अहां बिनु लागे ने कखनो हमर जिया
सेज पैर सुतैत हमर आंगी फटेय
अन्न पईन किछु निक ने लगैय // २

सास बुझैय हमरा बाझिन
नन्दी कहैय हाकिन डाकिन
जिनगी भेल अछि हमर  पहार सजना
लागे अहां बिनु सैद्खन अन्हार सजना
अहिं कहू यौ सजना कोना  खिल्तैय अंगना  
अहां बिनु कोना किल्क्तैय अंगनामें ललना  // ३

किलका खेलाबैय हमर संगी सखिया
हम गोदमे किलका खेलेबैय कहिया
गाम अबियौ मनसा पुर्बियौ पिया
हमर हिया फटेय मों काटे अहुरिया
गाम आबिजाऊ भेटैत हमर पतिया
आब नै सताबू पिया परदेसीया        // ४
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 8 अक्टूबर 2011


गाडीक पहिया नर आर नारी@प्रभात राय भट्ट

गाडीक पहिया नर आर नारी--------1
एक पहियामे हवा भरल 
दोसर पहिया पंचर परल 
जाधैर पंचर नै टलबैय   
कहू कोना गाड़ी चल्तैय

गाडीक पहिया नर आर नारी--------2  
सब कहैछी बेट्टाबेट्टी एक सामान
फेर बेट्टी किये होईय अपमान
बेट्टा इंग्लिश स्कुल में पढैय
बेट्टी किये बकरी पठरु चरबैय

गाडीक पहिया नर आर नारी---------३
बेट्टा पेन्हैय सुट सफारी
बदेल बदेल चढैय मोटर गाड़ी
बेट्टी पेन्हैय फाटल अंगी साड़ी
बारीमे उब्जबैय तिमन तरकारी

गाडीक पहिया नर आर नारी-----------४
बेट्टा खैय मिट मछली खुआ मलाई
आ घुटुर घुटुर दूध पिबैय
बेट्टी खैय सुखल रोटी पैर नून मिरचाई
आ टुकुर टुकुर माएक मुह ताकैय

गाडीक पहिया नर आर नारी------------५
बेट्टा सुतैय पलंग माएक छाती संग
बेट्टी सुतैय बिछाक पटिया बकरीपठरु संग
बेट्टा पैर लुटबैय माए बाबु अपन ममता
माए बाबु संग सूती बेट्टी के लागल सेहनता

गाडीक पहिया नर आर नारी------------६
दलानमें बैठ बेट्टा खेलैय जुआ तास
एसगर चौरीचांचरमें बेट्टी कटैय घास
भोरे सूती उठी बेट्टी बनाबैय भानस
खानामे  देर हुए ते सब देख्बैय तामस
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मैंने कब कहा@प्रभात राय भट्ट

मैंने कब कहा यह मातृभूमि  मेरा देश नहीं
मैंने कब कहा अमन चैन मेरा सन्देश नहीं
मैंने कब कहा हम मह्देशी का अपना देश नहीं 
मैंने कब कहा भाईचारा सदभाव मेरा उपदेश नहीं 

यह  प्यारा धरती है मेरा यह सारा गगन है मेरा 
यह निराला अमन है मेरा  यह  चमन है मेरा 
यह मिटटी का कणकण है मेरा यह वतन है मेरा
यह तो तनमन है मेरा यह श्रद्धा सुमन है मेरा

मैंने कब कहा मेरे मधेश माँ को कब्ज़ा करलो
मैंने कब कहा मेरे मधेश माँ की नाम बदलदो
मैंने कब कहा हम मधेशी का पहचान बदलदो
मैंने कब कहा हम पर गुलामी का लगाम लगादो

दर्द मेरे सीनेमें भी होती है जब मेरी माँ रोति है
तुने जुल्म बहुत ढाया है कदम कदमपे हमे रुलाया है
तेरे साम्राज्य की अब अंत है आजादी की पथ प्रसस्त है
हमारी अपनी भाषा भेष है हमारा अपना धरती मधेश है

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 7 अक्टूबर 2011


मां मेरे शर पे तेरी हाथ हो !!

मां मेरे शर पे तेरी हाथ हो !!
सारे मधेशी भाईयों की साथ हो !!
जुवांपे सवों की आजादी की बात हो !!
हम सवों की एकही धर्म और जात हो !!
आजाद मधेश की कल्पना हो !!
हम सवों की एकही सपना हो !!
अपनी शासन सेना भी अपना हो !!
इस भूमि पर अधिकार अपना हो !!
बस इतनी सी दिलमे है तमन्ना !!
करो सभी आजाद मधेश की कामना !!

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट