mithila sahitysudha

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मंगलवार, 13 सितंबर 2011


जेहन करनी तेहन भरनी @प्रभात राय भट्ट

माए बाबु केर बुझलक बैरी
घरवाली सं करैय खूब प्रीत
देखू दुनियांकें अजगुत रीत
बेर बेर कनियाक मुह निहारैय
कहि कहि कें ललमुनिया 
माए बाप काहि: कटैय
बेट्टा  बजाबैय हरमुनिया 
महलक रानी बनल अछि पुतोहू
चाकर बनल अछि  बेट्टा 
माए बाप के झोपरी में पठौलक
देलक टुटल थारी फूटल लोटा
बरखा में देह पैर टप टप पानी चुबैय 
थर थर कापी देह सिहरैय
बेट्टा पुतहु शुख शयल  करैय 
जरल परल जुठकुथ
माए बाबुके खुआबैय  
मिट मछली खुवा मलाई
घरवाली सभटा नेराबैय
तरैस तरैस माए बाबु
सिधाएरगेलाह: परलोक
कहैय बेट्टा काल कंटक टरल
मोनमें नै कनियो शोक
बौआ  लाबू एकटा सलाई
झोपरी में आब के रहत
तें दैछी आब आइग लगाई
पोता के इ सभटा देख
मोनमें उठल उद्वेग
करैय बाबा दाई संग
बीतल घटनाक खेद
अहां  किये केलों
बाबा दाई संग दुरब्यबहार
अहां केहन कपूत भेलौं
दैतछी हम धिकार.............
आब हमरो किछु करैदीय 
इ टुटल झोपरी रहैदीय 
बाबु अहां बृद्ध हयब जखने 
अहू के उठाक झोपरी में
धदेव हम तखने 
रहैदीय इ टुटल थारी फूटल लोटा
अहिं के नक्सा पैर हमहूँ  चलब
किये त हम छि अहंक बेट्टा
जेहन करनी तेहन भरनी
याह अछि दुनियाक रीत
अपना संग दुरब्यबहार देख
किये लगैय आब तित ?????????
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 7 सितंबर 2011


हमारें मां बाप झूठे हैं@प्रभात राय भट्ट

  • हमारें मां बाप झूठे हैं

मान्यवर मधेशी नागरिक अब हम अपने बच्चे के नजर में झूठे साबित हो रहें हैं क्यूँ की जब हमारे घरमे एक बच्चा पैदा होता हैं और धीरे धीरे बड़ा होने लगता हैं तो कहा गया है की बच्चो की पहली पाठशाला उसका घर और पहला गुरु उसका माँ बाप होता हैं ! तो हम भी अपना कर्तव्य पूरा करते हुए अपने बच्चों को उसका परिचय प्रदान करतें हैं उसे हम सिखाते हैं बेट्टा तुम्हारा घर ..............जनकपुर  हैं जिल्ला धनुषा अंचल जनकपुर और तुम्हारा देशका नाम नेपाल हैं ! बच्चे रटना सुरु करदेता हैं समय के साथ साथ उसे हम स्कुल में दाखिला करबा लेतें है बच्चे पढना सुरु कर देता हैं अब स्कुल में उसके मातृभाषा में शिक्षा नहीं दिजाने के वजह से उसे विकट भाषा नेपली पढ़ने पर मजबूर किया जाता हैं और शिक्षक द्द्वारा जबरन बच्चों को नेपाली सिखाया जाता हैं धीरे धीरे बच्चे अपने मातृभाषा के प्रति रुष्ट होने लगता हैं और बच्चें अपने आपमें संकोचित भावना का शिकार हो जाता हैं ! जिसके वजह से उसके बौद्धिक विकाश में अबरुद्ध पैदा होने लगता हैं समय के साथ साथ बच्चे बड़े हो जाते हैं और अपना स्कूली शिक्षा पूरा करने के बाद उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए सोचता हैं ! और मधेश में उच्च शिक्षा की सुबिधा अप्रयाप्त होने के वजह से मधेशी छात्र छात्रा काठमांडू लगायत देश की अन्य विकशित शहरों में जब ओ जाते हैं और जहाँ पहाड़ी समुदाय का बोलबाला होता हैं वहां पर मधेशी  छात्रों के साथ दूरव्यबहार किया जाता है और उपेक्षित नज़रों से देखा जाता है ! मधेसी युवाओं अपने देश की भ्रमण या रोजगारी के शिलशिला में पहाड़ी इलाका में जाते हैं तो वहां भी उसे अपमानित किया जाता हैं धोती मधेसिया मर्सिया बिहारी खली सीसी बोतल आदि इतियादी अपमानजनक शब्दों के बौछार से घायल कर दिया जाता हैं !
                            मधेसी युवाओं नौकरी तलास के शिलशिला में अपने मातृभूमि की रक्षा हेतु नेपाल राष्ट्रिय सेना में अपना श्रम समर्पित करने का निर्णय लेता है और  वो नेपाल सेना की तालीम केन्द्र में पहुचता है परन्तु मधेसी युवाओं को यह सौभाग्य नहीं मिलपाता है उसे सेना की ऑफिसर द्द्वारा कहा जाता है की तुम सेना में भर्ना नहीं हो सकते ! मधेशी युवाओं हतप्रभ हो जाता है और अपने आप से पछ बैठता हैं हमे सेना में भर्ना क्यों नहीं लिया जा सकता है ? क्या हम निक्मे हैं ? क्या इस नौकरी के लिए हम योग्य नहीं हैं ? क्या हम मधेसी इस देस का नागरिक नहीं हैं ? या तो फिर यह देश ही हमारा नहीं हैं ? आखिर कौन येसी वजह है जो हमे इस सेवा से बंचित किया जा रहा हैं ? या तो फिर हमारे माँ बाप झूठे है ? ओ हमसे झूठ बोलेथे की बेट्टा तुम नेपाल के नागरिक हो और नेपाल तुम्हारा देश है  ? यदि नेपाल हमारा देश है तो हमारें मौलिक हक और नागरिक अधिकार कहाँ हैं ? एक नागरिक के लिए उसके देश में उसका जन्मशिद्ध नागरिक अधिकार सुरक्षित होता हैं परन्तु हमारे लिए इस देश में असीमित अधिकार और असुरक्षित कानून क्यूँ है ? अपनेही भूमि में हम एक दाशी की भांति क्यों जीते है ? हमे हमरा अधिकार    अब लड़ के लेना होगा आओ मधेसी माहान युवाओं अब हमे एकजुट हो करके हमारा मधेश मुदा को अगाड़ी बढाबें और हम अपना भविष्य को सुरक्षित करें !!! जय मधेश  !!! जय मातृभूमि !!!
by :-प्रभात राय भट्ट

किस से पुछु,कोन बाताऐगा, क्या है मेरा पहचान !!!
by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, December 21, 2010 at 10:48pm

किस्से  पुछू  कौन  बताएगा  क्या  है  मेरा  पेहचान ,. . . . .
माँ  जानकीकी  जन्मभूमि मिथिलाअंचल  मधेस
जो  है  तेरा  मातृभूमि  नेपाल  देश,
मेरी  माँ  ने  दीथी मुझे  ये  उपदेश .. .
दिलमे  मची  यैसी  तरंग  झूम  उठा  मेरा  मन,
 चल पड़ा मै करने अपने देश नेपाल  की  रमण .
कही किसी ने  कहा  मधेशी  मुझे  बहुत  अच्छा  लगा,
खून मेरा  तब  खौल उठा  जब  पहाड़ियों ने  कहा  मुझे
मधेशिया,  मर्सिया, देसी बिहारी  और  धोती .
मधेस  की  जमीन से  मिलती  है  पहाड़ियों  को  दो  छाक  की  रोटी
 .फिर  भी  करता  है  हमारा  उफाश  कहकर हमे धोती .
पहाड़ी  भाइयो  ने  उड़ाया  मेरा  मजाक  कर  दिया  मेरा  ऐसा  अपमान .
नहीं दिया मुझे मेरा  एक  नेपाली  होनेका  सम्मान .. . . . . . . . . . . . . . . . .
किस्से  पुछू  कौन  बताएगा  क्या  है  मेरा  पेहचान  ..,
हाँ! मै  हु  एक  मधेसी नेपाली और  मधेस  ही  है  मेरा  स्वाभिमान ,
कबि  बिध्यापति  जी  ने  भी  किये  है  मधेसका  बखान .
मधेस से  ही  अब्तारित हुए माँ  जानकी और  गौतमबुद्ध  भगवान .. . . . . .
गर्व है मुझे मधेसी होने पर और मधेस ही  है
हमारा  स्वाभिमान  और  यही  है  मेरा  पेहचान

मंगलवार, 6 सितंबर 2011


चुनमुन चुनमुन करैत चिड़िया@प्रभात राय भट्ट

चुनमुन चुनमुन करैत चिड़िया 
बैसल अपना खोतामे
ऊपर सं मूत्र प्रवाह केलक
हमर जल भरल लोटामे
तामस सं हम मातल
आइग लगेलौं खोतामें
फुर सं चिड़ैया उड़ीगेल
आइग लागल हमरा कोठामें
चीं चीं करैत चिड़ैया
खोता जरैत देख ब्याकुल भेल
लहलहैत आइगमें चिड़ैयाक
 बच्चा जैरक मईरगेल
मनाबरूपी दानव तोई
केले किये एहन दुष्कर्म
रिस रागक वशीभूत मनुख
कतय गमैले दया धर्म
हमरा खोतामे आइग लगेले
अपनो घर जरैले
तू बुझैत छे इ कोठा तोहर
हम बुझैत छि इ खोता हमर
ईर्ष्या  दोष  लोभ  क्रोध  मोह 
त्याग  देख  कने दूरदृष्टि
मुदा नै किछ तोहर नै हमर
इ थिक  ईस्वरक श्रृष्टि 
खाली  हाथ  येले  जगमे  
खाली  हाथ तोई जएबे
कर्निक धरनी मालिक कें
दरवारमे तोई पएबे
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 4 सितंबर 2011


एक मधेश एक प्रदेश किन ??? @प्रभात राय भट्ट

  • एक मधेश एक प्रदेश किन ???        
नेपाल एकीकरण भयेताकैकाल देखि मधेशी जनताहरू आफ्नैभूमिमा सत्तारूढ़ क्रूर शाषकहरु बाट दमन शोषण उत्पीडनको शिकार भई उपेछित हुदै आइरहेको छ ! क्रूर शाषक पि.एन.शाह देखि महेंद्र शाह सम्म का शाषकहरु बाट जून सिधांत प्रतिपादित भयो त्यसैको दुस्परिनामथियो मधेशी जनतालाई दोस्रो दर्जा का नागरिक सम्झिने,जनमशिद्ध नागरिक अधिकार बाट बंचित गरिने,मौलिक अधिकारको हक़ सम्म नदीने,राष्ट्रिय सनमा बहाली नलिने,अन्य सरकारी निकायमा तलो दर्जामा मात्र बहाली लिने र मधेशी जनता लाई राजधानी काठमांडू जानलाई बीरगंज बाट पासपोर्ट बनाई मात्र जानपाऊने जस्ता असम्बैधानिक  कुकार्यहरू गरेका थिए ! मधेशी जनताहरुको बाचने एउटा आधार मात्र थियो प्रकृति ले खेतीयोग्य उर्वर्भूमि को मालिक मधेशी जनतालाई बनाएका थिए तर त्यों पनी दुराचारी शाषकहरुले विभिन्न कालखंडमा योजनाबद्ध तरिकाले आफ्ना भाईभारदार बाहुन पंडित र भरौटेहरुलाई तराईका उर्वर्भूमि विर्ताका रुपमा प्रदान गरी मधेश मा जमींदार को रुपमा स्थापित गरें ! यी पहाड़े जमींदार हरु मधेशी सिधासोझा जनता लाई शोषण गर्न थाल्यो विभिन्न बहानामा दंड सजाय दिई पैसा संकलन गर्ने र आफु द्वारा प्रतिपादित विभिन्न धरा उपधारा अंतर्गत  अनाबस्यक  कर असुली गरी राजधानी पठाउन थाले यतिले मात्र क्रूर शाषक को चित कहा बुझ्थ्यो र ......पछि गएर मधेशको सम्पूर्ण उर्वर्भूमि कब्ज़ा गर्ने बदनियति र मधेशी जनतालाई भूमिहीन बनाउने योजना अंतर्गत झापा र नवलपरासी मा एयुता कंपनी खोलेर पहाड़े जनताहरू लाई ४/४ बीघा जगा प्रदान गरी बिस्तारबाद योजनाले पहाड़े जनताहरुलई स्थापित गरियो अर्कोतरफ क्रूर  शाषक हरुको तांडव बाट मधेशी जनताहरुको जीवन  यापन गर्न   समेत कष्टकर हुदै गयो !
                             सरकारले मधेशी जन्ताहरुलाई देशका नागरिक हैन एउटा दासी र सुकुम्बासी को दर्जामा राख्यो र मधेशी जनता दस्त्वा स्वीकार गर्न बाध्य भयो आफनै भूमि मा परतंत्र शाषण स्वीकार गर्नु पर्ने एउटा विव्स्त्ता  थियो  किन की यहाँ का जनता शांतिप्रिय छन,यहाँ का भाषा बोली कर्णप्रिय छन महात्मा बुद्ध को यो जन्मभूमि  संसार भरी शांति का प्रतिक मनिन्थ्यो जगत जननी सीता माता की जन्मभूमि का चराचर जिव एबम मनाबहरू दया धर्म क्षमा याचना गुण शील विवेक करुना भातृत्व प्रेम प्राग अनुराग पूजा पाठ प्रतिष्ठा यज्ञ यज्ञादि कर्म सत्कर्म कर्मकांड वेदांत साधू संत फकीर महंथ सदाजीवन उच्विचार परोपकार ज्ञान बिज्ञान ताप तपस्या ऋषि मुनि आदि  विचारधारा लाई अंगीकार गरेका थिए त्यसैले गर्दा मधेशी जनता विद्रोह गर्ने मनस्थितिमा कहिले पानी देखा परेनन शांतिप्रिय माहान मधेशी जनता लेलिनबाद र मार्क्सबाद को सिधांत बाट धेरै धेरै टाढा रह्यो ! त्यसैको उदाहरण हो  माउबादीको संक्रमणकालमा पनि मधेशमा खासै प्रभाव पर्ण सकेका थिएन पहाडका जनजीवन अस्तव्यस्त हुदा पनि मधेशको जनजीवन सामान्य र शांतिपूर्ण थियो  तर समय को संग संगै सबैथोक परिवर्तन हुन्छ यो कटु सत्यवचन हो !
                          जब हाम्रो मुलुक लोकतान्त्रिक परिवेशमा आयो अनि मधेशी जनताहरू पनि परतंत्र मधेश लाई मुक्त बनाई आफु मुक्ति पाऊनका निमित २०६२,६३ मा शांतिपूर्ण आन्दोलनको आह्वान गरियो तर विडंवना के भैदीयो भने सरकार द्वारा आन्दोलनकारी मधेशी जनता माथि दमन हुन्थाल्यो
त्यसैको परिणाम स्वरुप शांतिपूर्ण आन्दोलन हिंसात्मक रूप लिईयो र मधेशी वीर सपूतहरुले बहादुरी र विरताका साथ आन्दोलनलाई निर्णायक तह सम्म पुर्यायो सम्बंधित सबै पक्ष लाई ज्ञातव्य गराउन चाहन्छु एक मधेश एक प्रदेश त्यही जन आन्दोलनको जनादेश हो एक मधेश एक प्रदेश लाई निष्क्रिय बनाउनु को अर्थ हो की ती वीर सहीदहरुको  अवमूल्यन गर्नु र यो मधेशी जनता लाई कदापि ग्राहय  छैन  यदि एक मधेश एक प्रदेश को निर्माण कार्यमा कोही कसैबाट निरुत्साहित पर्ने षड़यंत्र भयो भने नेपालमा भयावह स्थितिको सृजना हुनेछ र मुलुक यो उग्र स्थितिलाई साम्य पर्ने सामर्थ्य सरकार संग हुदैन यसको छोटो उदाहरण ६२,६३,को मधेश आन्दोलन लाई लिन सकिन्छ !
                            इतिहास साक्षी  छन जहा सरकार द्वारा जनता माथि दमन शोषण उत्पीडन गरिन्छ त्यहा सरकार विरुद्ध जनता द्वारा विद्रोह हुन्छ   र विद्रोह एबम क्रांति बाट पीड़ित जनता मुक्ति पाऊछन  ! एक मधेश एक प्रदेश माग्नु मधेशी जनता को अधिकार हो जनादेश हो यसै बाट मधेशी जनता मुक्ति पाऊछन  र यो मुक्ति पाऊनका  निम्ति मधेशी जनताले हरेक मूल्य चुकाऊन तयार छन
सरकार को बुद्धिमानी यसैमा देखिनछन मधेशी जनता को जनादेश पुरागरी आत्म निर्णय सहितको एक मधेस एक प्रदेश निर्माण गरियोस र मुलुक लाई भयावह स्थिति बाट जोगाओस सरकार ले हालसालै घटेका घटनाहरू लीबिया र सुडान माथि अध्यन गर्न जरुरी छ ! जन विद्रोहले लीबिया बाट गदाफी लाई धापाउन सफल भएका छन भने सुडान का जन विद्रोहले अलगई दक्षिन सुडान देश बनाऊन सफल भएका छन ! तसर्थ शांतिपूर्ण ढंग बाट मधेशी जनता को मुख्य मांग लाइ पूरा गरियोस र नेपालको अमन चैन कायम राखियोस यही कमाना गरौ !!
by :-प्रभात राय भट्ट