mithila sahitysudha

mithila sahitysudha

बुधवार, 20 जून 2012

गजल
हम कहानी जीवन केर सुनाऊ कोना
करेज चिर कs घाऊ हम देखाऊ कोना

... नाम हुनके जपैतछि जे देलक दगा
द्गावाज प्रीतम सँ दिल लगाऊ कोना

चमकैत रूप पाछू जे भागल दीवाना
ओहन दगावाज के हम मनाऊ कोना

विछोडक पीड़ा सँ सुल्गैत अछि करेज
धुँवा धुँवा अछि जीनगी बताऊ कोना

विसरल नै जाईए ओ मिलनक पल
प्रीतमक ईआद दिल सँ भगाऊ कोना

जरल करेज में प्रेम जगाएब कोना
दिल में प्रेमक दीया आब जराऊ कोना

वर्ण-१५------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 18 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

नीरास जिनगीक अहिं हमर नव आस छी
हम विहिनी कथा अहाँ हमर उपन्यास छी

हम पतझर बगिया केर मुर्झाएल फुल
अहाँ रजनीगंधा गुलाब फूलक सुवास छी

हम नीम गाछ तित अछ हमर सभ पात
मधुर फल में अहाँ सभ फल सं मिठास छी

कर्मक मरल छलहूँ हम जग सं हारल
नीरसल जीनगीक अहिं हमर पियास छी

देखलौं बड खेला ई जग अछि स्वार्थक मेला
स्वार्थक संसार में अहिं निस्वार्थ विस्वास छी

साँस लेब छल मुश्किल छलहूँ हम वेजान
इ बांचल प्राण "प्रभात"अहिं हमर साँस छी

--------वर्ण-१७---------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

श्रद्धा सुमन मोन उपवन में प्रीतम
अहिं हमर मोन चितवन में प्रीतम

प्रेम परागक अनुराग अछि जीवन
श्याम राधा मिलन वृन्द्रावन में प्रीतम

चलू जतय बहैय प्रेम स्नेह सरिता
सिया रामक संग रामवन में प्रीतम

रुक्मिणी बनी विरह कोना हम जियब
हमहू जाएब लक्ष्मणवन में प्रीतम

अढाई अक्षर प्रेमक प्रेम में संसार
प्रेम विनु जीव कोना भवन में प्रीतम

वर्ण-१५.......
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 9 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

अप्पन जीनगी के अप्पने सजाएल करू
अप्पन स्वर्णिम भविष्य रचाएल करू

राह ककर तकैत छि इ व्यस्त जमाना में
अप्पन राह के कांट खुद हटाएल करू

बोझ कतेक बनल रहब माए बाप कें
कर्मशील बनी कय दुःख भगाएल करू

असफलता सं लडै ले अहाँ हिमत धरु
कर्मक्षेत्र सं मुह नुका नै पडाएल करू

हार मानु नै जीनगी सं जाधैर छै जीनगी
जीत लेल अहाँ हिमत के बढ़ाएल करू

चलल करू डगर सदिखन एसगर
ककरो सहारा कें सीढ़ी नै बनाएल करू

उलझन बहुत भेटत जीवन पथ में
पथिक बनी उलझन सोझराएल करू

हेतए कालरात्रिक अस्त नव-प्रभात संग
अमावस में आशा के दीप जराएल करू

------------वर्ण -१६------------
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 7 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

अप्टन सुन्दरता के बढ़ा रहल छै
पुष्प दूध सं सुनरी नहा रहल छै

कोमल कोमल देह लागैछै दुधिया
आईख सं बिजुरिया गिरा रहल छै

पैढ़लिय इ सुनारी छै खुला किताब
अंग अंग सुन्दरता देखा रहल छै

पातर पातर ठोर लागै छै शराबी
गाल गुलाबी रस टपका रहल छै

घिचल घिचल नाक चमकै छै दाँत
काजर के धार तीर चला रहल छै

अप्टन लगा गोरी सुनरी लागै छै
मोन मोहि पिया के ललचा रहल छै

दुतिया चान सन चकमक करै छै
ताहि ऊपर श्रृंगार सजा रहल छै

सैज धैज सजनी इन्द्रपरी लागै छै
देख सुनरी के चान लजा रहल छै

-------वर्ण-१४-------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल
आजुक दुनियां में सब किछ विकाऊ भsगेलै
अनैतिक कुकर्म करैबला कें नाऊ भsगेलै

बेच अप्पन इज्जत कमबै छै टाका रुपैया
ठस ठस गन्हईत छौड़ी सभ कमाऊ भsगेलै

उठलै लोकलाजक पर्दा भsगेलै गर्दा गर्दा
चौक चौराहा नगरबधू के गाँउ ठाऊ भsगेलै

इज्जत केर धज्जी उर्लै एलै केहन जवाना
पुलिस प्रहरी थाना एकर जोगाऊ भsगेलै

वर्ण -17
रचनाकार--प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 4 जून 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

मरि रहल छै सीता सन बेट्टी दहेजक खेल में
बेट्टी पुतोहू जरी रहल छै किरोसिन तेल में

बेट्टा के बाप बेचीं रहल छै मालजालक मोल में
बेट्टीबाला के घर घरारी सब लागल छै सेल में

कs देलन घर घरारी दुलहा के नाम नामसारी
बनी गेलाह ओ दाता भिखारी बाप बेट्टा के मेल में

फेर दुलहा मोटर आ गाड़ी लेल कटैय खुर्छारी
कनिया संग आबैय ओ ससुरारी चैढ कS रेल में

नै भेटला सं मोटर गाड़ी कनिया के देलक मारि
दहेजक लोभी ओ बाप बेट्टा चकी पिसैय जेल में

------------वर्ण-१९-----------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

प्रेमक दुनियाँ में संसारक रित धनी तोईर दिय
शराबी ठोरक रस हमरा ठोर पर घोईर दिय

प्रेमक बैरी इ दुनिया की जाने प्रेम सनेहक मोल
अनमोल प्रेम सं दिल टूटल हमर जोईर दिय

अहिं हमर जिनगी छि हम अहिं प्रेम केर दीवाना
दिल लगा कs हमरा सं जमाना के पाछु छोईर दिय

प्रेमक पंछी हम अहाँ उईर चलू प्रेम नगर में
कियो देखैय खराप नजैर सं ओकर मुह मोईर दिय

अप्पन प्रेम देख क दुनिया जैईर जैईर मरतै
प्रेमक दुश्मन जमाना के अहाँ धनी झकझोईर दिय

-----------वर्ण-२०------------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 1 जून 2012

गजल

सब दान सं पैघ दुनिया में कन्यादान छै
धन टाका सं पैघ दुनिया में स्वाभिमान छै

निर्लज मनुख की जाने मान-स्वाभिमान
दहेज़ मांगब याचक केर पहिचान छै

मांगी दहेज़ टाका रुपैया देखबैय शान
बेचदैय बेट्टा के लोक केहन नादान छै

जैइर मरैय बेट्टी दहेजक आईग में
विआहक नाम सुनीते बेट्टी परेशान छै

सपथ लिय बंधू दहेज़ नै लेब नै देब
आदर्श विआह जे करता ओहे महान छै

आब नै बेट्टी मरत नै पुत्रबधू जरत
दहेज़ मुक्त मिथिलाक एही अभियान छै

---------वर्ण-१६-----------
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट