mithila sahitysudha

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शुक्रवार, 27 जनवरी 2012


गजल @प्रभात राय भट्ट

       गजल
हम अहां केर  प्रीतम नहि बनी सक्लहूँ
मुदा अहांक करेजक दर्द बनी गेलहुं

अहां हमर प्रेम दीवानी बनल रहलौं
हम अहांक दीवाना नहि बनी सक्लहूँ

अहां हमर प्रेम उपासना करैत गेलौं
हम आनक वासना शिकार बनी गेलहुं 

अहांक कोमल ह्रदय तडपैत रहल
हम बज्र पाथर केर मूर्ति बनी गेलहुं 

हम अहांक निश्च्छल प्रेम जनि नै सकलौं
अनजान में हम द्गावाज बनी गेलहुं 

आब धारक दू किनार कोना मिलत प्रिये
मजधार में हम नदारत बनी गेलहुं
................वर्ण:-१६ ...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 25 जनवरी 2012


रखु सम्हईर जुवानी जिआन नै करू@ प्रभात राय भट्ट

गीत
छोड़ी दिय आँचर पिया परेशान नै करू
सदिखन प्रेमलीला पैर एतेक धियान नै धरु
रखु सम्हैर जुवानी  जिआन  नै करू   
होबए दिय कने राईत एखन हैरान नै करू   

प्रेम  सागर  में  डुबकी  लगाएब  हम  अहांक  संग 
मोन के सम्हैर  रखु पिया एखन नै करू तंग 
अरमान अहांक पुराएब हमरो मोन में अछि उमंग  
रखु मोन पैर काबू पिया हम आएब अहांक संग

सास  मोर  आँगन  नंदी  बैसल  छथि  ओसार 
ससुर मोर दलान दियर जी बैसल छथि दुवार
लाज सरम सं देह कपैय नीक लगैय नहि दुलार
पैयाँ परैतछि सैयां जी खोलिदिय नए केवार

घरक मर्यादा रखु पिया करू नै नादानी
घर केर जुनी बुझियौ बलम फ़िल्मी कहानी
लोक बेद्क रखु मन बनू नै अज्ञानी
छोड़ी दिय आँचर सैयां करू नै मनमानी 

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 24 जनवरी 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट

                    गजल
आई हमर मोन एतेक उदास किये
सागर पास रहितों मोनमें प्यास किये

निस्वार्थ प्रेम  ह्रिदयस्पर्श केलहुं नहि
आई मोनमे बहै बयार बतास किये   

हम प्रगाढ़ प्रेमक प्राग लेलहुं नहि 
आई प्रीतम मोन एतेक हतास किये  

प्रेम  स्नेह  सागर  हम  नहेलहूँ नहि 
आई प्रेम मिलन ले मोन उदास किये   

हम मधुर मुस्कान संग हंस्लहूँ नहि   
आई दिवास्वपन एतेक मिठास किये  

"प्रभात" संग पूनम आएत आस किये  
नहि आओत सोचिक मोन उदास किये  
.................वर्ण-१५............................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 5 जनवरी 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट

                   गजल
अहां एना नए करू दिल बहकतै हमर
फेर अहां विनु कोना दिल सम्हरतै हमर 

अहांक संगही रहब हम जन्म जन्म तक
पिया अहां विनु कोना दिल धरकतै हमर 

रस भरल अंग अंगमें चढ़ल जोवनके
रसपान विनु कोना दिल चहकतै हमर 

नीसा लागल अछि बलम हमरो मिलनके
अहां विनु कोना प्रेमनीसा उतरतै हमर 

जे नीसा अहांक अधरमें ओ मदिरा में कहाँ
फेर पिने विनु कोना नीसा उतरतै हमर 

पिया पीब लिय पिला दिय जोवन रस जाम
पी विनु ठोरक प्याला कोना छलकतै हमर 
...............वर्ण-१७ ............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट