mithila sahitysudha

mithila sahitysudha

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                           गजल
नव वर्षक आगमन के स्वागत करैछै दुनिया 
नव नव दिव्यजोती सं जगमग करैछै दुनिया
 
विगतके दू:खद सुखद क्षण छुईटगेल पछा 
नव वर्षमें सुख समृद्धि  कामना करैछै दुनिया 
 
शुभ-प्रभातक लाली सं पुलकित अछी जन जन
नव वर्षक स्वागत में नाच गान करैछै दुनिया
 
नव वर्ष में नव काज करैएला आतुरछै सब
शुभ काम काजक शुभारम्भ में लागलछै दुनिया
 
नव वर्षक वेला में लागल हर्ष उल्लासक मेला
मुश्की मुश्की मधुर वाणी बोली रहलछै दुनिया
 
जन जन छै आतुर नव नव सुमार्गक खोजमे 
स्वर्णिम भाग्य निर्माणक अनुष्ठान करैछै दुनिया
 
धन धान्य ऐश्वर्य सुख प्राप्ति होएत नव वर्षमे
आशाक संग नव वर्षक स्वागत करैछै दुनिया
.............................वर्ण-१९.......................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 25 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                            गजल
जगमे आब नाम धरी नहीं रहिगेल  इन्सान
मानवताकें  बिसरल  मनाब  भS गेल सैतान 

स्वार्थलोलुप्ता  केर  कारन  अप्पनो बनल आन
जगमे नहीं कियो ककरो रहिगेल भगवान

धन  सम्पतिक खातिर लैए भाईक भाई प्राण
चंद  रुपैया  टाका  खातिर भाई भS गेल सैतान 

अप्पने सुखमे आन्हर अछि लोग अहिठाम
अप्पन बनल अंजान दोस्त भS गेल बेईमान

मनुख बेचैय मनुख, मनुख लगबैय दाम
इज्जत बिकल,लाज बिकल, बिकगेल सम्मान 

अधर्म  पाप सैतानक  करैय  सभ  गुणगान  
धर्म बिकल, ईमान बिकल, बिकगेल  इन्सान 

पग  पग  बुनैतअछ  फरेबक  जाल  सैतान  
कोना जीवत "प्रभात"मुस्किल भS गेल भगवान 
....................वर्ण:-१८.....................................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                     गजल
छोड़ी कें हमरा पिया गेलौं बिदेशमें
विछोड़क पीड़ा  किया  देलौं संदेशमें

भूललछी अहाँ पिया डलर नोटमें
नैनाक  नोर हमरा देलौं  संदेशमें 

देखैछी पिया अहाँकें इंटरनेटमें
स्पर्शक भाव सं परैतछी कलेशमें

हम रहैतछी पिया विरहिन भेषमें
स्नेहक भूख हमरा देलौं संदेशमें

मिलनक प्यास कोना बुझत नेटमें
गाम आबू पिया रहू अपने देशमें

अहाँ रहबै सबदिन परदेशमें
किल्का कोना किलकतै  हमरा गोदमें

मर्म वियोग हमरा देलौं संदेशमें
पिया "प्रभात"किया गेलौं परदेशमें
.....................वर्ण १४....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011


गजल @प्रभात राय भट्ट

                  गजल
चिठ्ठीमें अहाँक रूप हम देखैतछी
हर्फ़ हर्फ में अहाँक स्नेह पबैतछी
 
अक्षर अक्षर में बाजब  सुनैतछी
शब्द शब्द में अहाँक प्रीत पबैतछी
 
एसगर में हम इ चिठ्ठी पढैतछी 
चूमी चूमी कें करेजा सँ सटबैतछी
 
अप्रतिम सुन्दर शब्द कें रटैतछी
प्रेम परागक अनुराग पबैतछी
 
चिठ्ठी में अहाँक रूपरंग देखैतछी
पूर्णमासिक पूनम अहाँ लागैतछी
 
प्रेमक प्यासी हम तृष्णा मेट्बैतछी
अहाँक चिठ्ठी पढ़ी पढ़ी कें झुमैतछी
 
कागज कलम कें संयोग करैतछी
"प्रभात"क मोनमे प्रेम बढ़बैतछी
..............वर्ण:-१४..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 21 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                गजल
अप्पन वितल हाल चिठ्ठीमें लिखैतछी
मोनक बात सभटा अहिं सँ कहैतछी  
 
मोन ने लगैय हमर अहाँ बिनु धनी
कहू सजनी अहाँ कोना कोना रहैतछी
 
अहाँक रूप रंग बिसरल ने जैइए
अहिं सजनी सैद्खन मोन पडैतछी
 
गाबैए जखन जखन मलहार प्रेमी
मोनक उमंग देहक तरंग सहैतछी
 
अप्पन ब्यथा वेदना हम ककरा कहू
अपने उप्पर दमन हम करैतछी
 
जुवानी वितल घरक सृंगारमें धनी 
हमरा बिनु अहाँ कोना सृंगार करैतछी
 
जीवनक रंगमहल  वेरंग भेल अछि  
ब्यर्थ अटारी में रंग रोगन करैतछी
 
जल बिनु जेना जेना तडपैय मछली 
अहाँ बिनु हम तडैप तडैप जिबैतछी
 
दुनियाक दौड़में "प्रभात" लिप्त भेल अछी 
अप्पन जिनगी अप्पने उज्जार करैतछी
               वर्ण:-१५
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

आब इ कही जे गजल किछु शेरक संग्रह होइत छैक ( कमसँ कम पाँच आ बेसीसँ बेसी सत्रह )।

आब इ कही जे गजल किछु शेरक संग्रह होइत छैक ( कमसँ कम पाँच आ बेसीसँ बेसी सत्रह )।
9 hours ago · · 2
  • Ashish Anchinhar आब इ बूझी जे शेर की थिक। शेर सदिखन दू पाँतिक होइत छैक आ शाइर जे कहए चाहैत अछि ओ दुइये पाँति मे खत्म भए जेबाक चाही, अन्यथा ओ गजलक लेल उपयुक्त नहि।
    9 hours ago · · 1

  • Ashish Anchinhar मतला------------"मतला" गजलक ओहि पहिल शेरके कहल जाइत छैक जकर दूनू पाँतिमे काफिया आ रदीफ रहै। एकटा गजल उदाहरणक लेल देल जा रहल अछि।

    अपन आँखिमे बसा लिअ हमरा
    अपन श्वासमे नुका लिअ हमरा

    जहाँ मरितो जीबाक आस रहए
    ओहने ठाम तँ बजा लिअ हमरा

    हाथ सटेलासँ मोन केना भरतै
    अहाँ करेजसँ सटा लिअ हमरा

    एहि गजलक पहिल शेरक पहिल पाँतिमे काफिया "आ"क मात्रा अछि (केना से काफिया बला खंडमे पता चलत)। आ रदीफ " लिअ हमरा" अछि। तेनाहिते शेरक दोसरो पाँतिमे काफिया "आ"क मात्रा अछि आ रदीफ "लिअ हमरा"। संगहि-संग इ शेर गजलक पहिल शेर अछि, तँए इ भेल मतला। आब दोसर शेर पर आउ, मतलाक बाद इ कोनो जरुरी नहि छैक जे दूनू पाँतिमे काफिया आ रदीफ हुअए। मुदा मतलाक बला शेरक बाद जे शेर छैक तकर दोसर पाँतिमे काफिया आ रदीफक रहब अनिवार्य। उपरके गजलके देखू मतलाक बाद जे शेर अछि------

    "जहाँ मरितो जीबाक आस रहए
    "ओहने ठाम तँ बजा लिअ हमरा"
    एहि शेरमे देखू पहिल पाँतिमे ने रदीफ छैक आ ने काफिया , मुदा दोसर पाँतिमे काफिया सेहो छैक आ रदीफ सेहो। अन्य शेरक लेल एहने सन बुझू। ओना मतलाक बाद जे मतला आबए तँ इ शाइरक क्षमता के देखबैत छैक आ गजलके आर बेसी सुन्दर बनबैत छैक। तएँ ओकरा हुस्ने-मतला कहल जाइत छैक।ओना शाइर चाहए तँ गजल हरेक शेरके मतलाक रूपमे दए सकैए।बिना रदीफक गजल सेहो होइत छैक जकरा "गैर-मुरद्दफ" गजल कहल जाइत छैक मुदा काफिया रहब बिलकुल अनिवार्य। (6)
    9 hours ago · · 2

  • Ashish Anchinhar ‎2) रदीफ-------------- रदीफ मतला बला शेरक दूनू पाँतिक ओहि अंतिम हिस्साके कहल जाइत छैक जे दूनू पाँतिमे समान रूपें बिना हेड़-फेरके आबए। उपरका बला हमर शेरके देखू एहिमे "लिअ हमरा" समान रुपसँ दूनू पाँतिमे अछि अर्थात इ भेल रदीफ। इ रदीफ गजलक हरेक शेरक हरेक दोसर पाँतिमे (मतला बला शेरकेँ छोड़ि) अनिवार्य रुपें अएबाक चाही। एकटा आर दोसर मतलाकेँ देखू-----------------

    "दूर जतेक जाएब अहाँ
    लग ओतबे आएब अहाँ"

    एहि शेरमे "अहाँ" रदीफ अछि से स्पष्ट अछि। पूरा गजलमे रदीफ एकै होइत छैक।
    9 hours ago · · 2

  • Ashish Anchinhar ‎2008क बाद गजेन्द्र ठाकुर उपरका बहरमे गजल तँ कहबे केलाह संगहि-संग मैथिली लेल एकटा अन्य बहर सेहो तकलाह जकर नाम देल गेल---वार्णिक बहर। एहि बहरक मतलब छैक मतलाक पहिल पाँतिमे जतेक वर्ण छैक ओहि गजलक आन हरेक शेरक पाँतिमे ओतबए वर्ण हेबाक चाही। उपरमे उदाहरण लेल हम अपन जतेक शेर देने छी ओ सभ सरल वार्णिक बहरमे अछि।तथापि एकटा उदाहरण आर-----
    जहिआ धरि हमरा श्वास रहत
    तहिआ धरि हुनक आस रहत
    आब एकरा गानू। एहि दूनू पाँतिमे 13-13 वर्ण अछि। इ भेल सरल वार्णिक बहर। वर्ण कोना गानल जाए ताहि लेल इ धेआन राखू-----
    हलंत बला अक्षरकेँ 0 मानू
    संयुक्ताक्षरमे संयुक्त अक्षरके 1 मानू। जेना की "हरस्त" मे स्त=1 भेल।
    तकरा बाद सभ अक्षरकेँ 1 मानू चाहे ओकर मात्रा लघु हो की दीर्घ।
    9 hours ago · · 2

  • Ashish Anchinhar काफिया-------------- काफिया मने तुकान्त।आ तुकान्त मने स्वर-साम्यक तुकान्त चाहे ओ वर्णक स्वर-साम्य हो की मात्राक स्वर-साम्य। रदीफसँ पहिने जे तुकान्त होइत छैक तकरा काफिया कहल जाइत छैक। आ इ रदीफे जकाँ गजलक हरेक शेरक ( मतला बला शेरकेँ छोड़ि) दोसर पाँतिमे रदीफसँ पहिने अनिवार्य रुपें अएबाक चाही। काफिया दू प्रकारक होइत छैक------- (क) वर्णक स्वर-साम्य आ (ख) मात्राक स्वर-साम्य। वर्णक काफिया लेल शेरक हरेक पाँतिमे रदीफसँ पहिने समान वर्ण आ तकरासँ पहिने समान स्वर-साम्य होएबाक चाही। एकटा गप्प आर बहुतों शाइर खाली रदीफक बाद बला वर्ण वा मात्राके काफिया बूझि लैत छथि से गलत। काफियाक निर्धारण काफिया लेल प्रयुक्त शब्दके अंतसँ बीच वा शुरू धरि कएल जा सकैए। उदाहरण देखू---------
    "दूर जतेक जाएब अहाँ
    लग ओतबे आएब अहाँ"

    एहि शेरक पहिल पाँतिमे रदीफ "अहाँ" छैक। आ रदीफसँ ठीक पहिने "जाएब" शब्द छैक | जँ अहाँ "जाएब" शब्द पर धेआन देबै तँ पता लागत जे एहि शब्दक अंतिम वर्ण "ब" छैक मुदा एहि "ब" संग "आएब" ध्वनि सेहो छैक। तहिना दोसर पाँतिमे रदीफ "अहाँ"सँ पहिने "आएब" शब्द अछि। आब फेर अहाँ सभ "आएब" शब्दके देखू। एहिमे अंतिम वर्ण "ब" तँ छैके संगहि-संग "आएब" ध्वनि सेहो छैक।मतलब जे उपरक शेरक दूनू पाँतिमे रदीफ "अहाँ"सँ पहिने ब वर्ण अछि, "आएब" स्वर (ध्वनि)क संग।अर्थात "आएब" ध्वनिसँ युक्त "ब" वर्ण एहि शेरक काफिया भेल। आब एहिठाम इ मोन राखू जे जँ उपरक इ दूनू शेर कोनो गजलक मतला छैक तँ ओहि गजलक हरेक शेरक कफिया "ब" वर्णक संग "आएब" ध्वनि होएबाक चाही। अन्यथा ओ गजल गलत भए जाएत। आब एही गजलक दोसर शेरके देखू-------------------
    "जँ खसब हम बाट पर
    आशा अछि उठाएब अहाँ"

    एहि शेरमे पहिल पाँतिमे ने रदीफ छैक आ ने काफिया मुदा दोसर पाँतिमे रदीफ सेहो छैक आ रदीफसँ पहिने शब्द " उठाएब" अछि। एहि शब्दक अंतमे "ब" वर्ण तँ छैके संगहि-संग "ब"सँ पहिने "आएब" ध्वनि सेहो छैक।एहि गजलक आन काफिया सभ अछि--------"नहाएब", "देखाएब" आ "हटाएब"।एकटा आर दोसर उदाहरण देखू-----

    "मालक खातिर तँ माल-जाल बनल लोक
    देखाँउसक खातिर कंगाल बनल लोक"
    एहि मतलाक शेरमे "बनल लोक" रदीफ अछि। आ रदीफसँ पहिने पहिल पाँतिमे "जाल" शब्द अछि। संगहि-संग दोसर पाँतिमे "कंगाल" शब्द अछि। आब हमरा लोकनि जँ एहिमे काफिया निर्धारण करी। दूनू शब्द के नीक जकाँ देखू। दूनू शब्दक अंतिम वर्ण "ल" अछि मुदा पहिल पाँतिमे "ल"सँ पहिने "आ" ध्वनि अछि (मा) आ दोसरो पाँतिमे "ल"सँ पहिने "आ" ध्वनि अछि (गा)।तँ एहि दूनू शब्दक मिलानके बाद हमरा लोकनि देखै छी जे दूनूमे "ल" वर्ण समान अछि। संगहि-संग वर्ण "ल" सँ पहिने "आ" स्वर अछि। तँए एहि गजलक काफिया "आ" स्वरक संग "ल" वर्ण भेल। आब शाइरके बाँकी शेरमे काफियाके रूपमे एहन शब्द चुनए पड़तन्हि जकर अंतमे "ल" वर्ण अबैत हो एवं ताहिसँ पहिने "आ" स्वर हो। एहि गजल मे प्रयुक्त भेल आन काफिया अछि-----दलाल,प्रकाल, जंजाल,देबाल
    9 hours ago · · 4

  • Ashish Anchinhar तँ चली मात्रा बला काफिया पर। मतलामे रदीफसँ पहिने जँ वर्णमे कोनो मात्रा छैक। तँ गजलक हरेक शेरक काफिया मे वएह मात्रा अएबाक चाही चाहे ओहि मात्राक संग बला वर्ण दोसरे किएक ने हो। बाद-बाँकी स्वर-साम्य बला नियम उपरे जकाँ बूझू। इएह भेल मात्रा बला काफियाक नियम। आब एकरा कने उदाहरणसँ बूझी।
    देखू नोर सुखा रहल
    दर्द मुदा देखा रहल"

    एहि शेर मे रदीफ अछि " रहल", आ रदीफ सँ पहिने पहिल पाँति मे वर्ण "ख"क संग "आ"क मात्रा अछि। तेनाहिते दोसर पाँति मे रदीफ सँ पहिने वर्ण "ख"क संग "आ"क मात्रा अछि। एहि गजलमे लेल गेल अन्य काफिया अछि---"गना", बिझा", "फेका" एवं "लिखा" । जँ गौरसँ देखबै तँ पता लागत जे रदीफसँ पहिने बला वर्ण बदलि रहल छैक (खाली मतलामे एकै छैक "ख" मुदा आन शेर सभमे इ "न", "झ", "क" आ फेर "ख" अछि) मुदा मात्रा सभमे एकै "आ" ( "आ" केर लेख रूप ा) छैक। अर्थात एहि गजलक काफिया भेल "आ"क मात्रा। अन्य बचल मात्राक लेल एहने समान नियम अछि आ हरेक मात्राक एक-एकटा उदाहरण देल जा रहल अछि।

    1) "एनाइ जँ अहाँक सूनी हम
    नहुँएसँ सपना बूनी हम"

    ( काफिया "ई"क मात्रा)

    एहि गजलक अन्य काफिया अछि---- "चूमी", "पूछी", "बूझी", "खूनी", ,"लूटी", "सूती" आदि।

    2) "जँ तोड़ब सप्पत तँ जानू अहाँ
    फाँसिए लगा मरब मानू अहाँ"

    ( काफिया "ऊ"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया --- "गानू", "आनू", बान्हू" आदि।

    3) "मोन तंग करबे करतै
    देह भाषा पढबे करतै"

    (काफिया "ए"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया ---"खुजबे", "उड़बे", "सटबे" आदि अछि।

    4) "सभ दिन तँ भेँट होइते रहै छी हम
    तैऔ भोर आ साँझक बाट जोहै छी हम"

    ( काफिया "ऐ"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया ---"सोहै", "भूकै", "लूटै", "बूझै" आदि अछि।
    केखनो काल "ऐ" केर उच्चारण "अइ" जकाँ होइत अछि। जेना "सैतान" बदलामे सइतान, बैमानक बदलामे "बइमान" इत्यादि।
    5) “आब हरजाइकेँ तों बिसरि जो रे बौआ
    मोन ने पड़ौ एहन सप्पत खो रे बौआ

    ( काफिया "ओ"क मात्रा)
    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया------ओ, खसो, पड़ो इत्यादि अछि।

    6) " एक बेर फेर हँसिऔ कनेक
    ओही नजरि सँ देखिऔ कनेक"

    ( काफिया "औ"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया ---"रहिऔ", "चलिऔ", "बुझबिऔ" आदि अछि।
    **** केखनो काल "औ" केर उच्चारण "अउ" जकाँ होइत अछि।

    उम्मेद अछि जे उपर देल गेल सात प्रकारक मात्रा बला उदाहरणसँ काफिया संबंधी नियम बेसी फड़िच्छ भेल हएत

  • रविवार, 11 दिसंबर 2011


    तिलक दहेजक खेलमे@प्रभात राय भट्ट

    मिथिलावासी हम सभ मैथिल
    करैएतछि इ आह्वान
    सभ कियो मिली करब 
    दहेज़ मुक्त मिथिलाक निर्माण
    आब नै कोनो बेट्टी पुतोहुक 
    जाएत अनाहक प्राण
    दहेज़ मांगेएवाला भिखारी
    स्त्री दमन करैयवाला दुराचारी
    भS जाऊ आब साबधान!!!
    तिलक दहेजक हम सभ मिली 
    करब आब दीर्घकालीन अवसान 
    बड बड लीला देखलौं
    तिलक दहेजक खेलमे
    बाप बेट्टा दुनु गेलाह
    दहेज़ उत्पीडन मामला सं जेलमे 
    आब नै कियो करू नादानी  
    नै बनू कियो अज्ञानी
    बेट्टा बेट्टी एक सम्मान
    राखु सभ कियो बेट्टीक मान
    रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

    गुरुवार, 8 दिसंबर 2011


    अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय@प्रभात राय भट्ट

    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    चन्द्रबदन  यए  मृगनयनी
    अहांक उर्वर काया रूपक माया
    मोन मोहिलेलक हमर.............
    यए सजनी मोन मोहिलेलक हमर
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    नहीं रहिगेल आब दिल पैर काबू
    मोन मोहिलेलक अहांक रूपक जादू
    अहिं सं हम  करैतछी प्रीत
    दिल अहां लेलौं हमर जित  
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    चलैतछी गोरी मटैक मटैक
    पातर कमर हिलाक
    लचैक लचैक झटैक झटैक
    गोर गाल पैर कारी लट गिराक 
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    नैन नशीली गाल गुलाबी
    ठोर लागैय सजनी सराबी
    रसगर ठोर भरल जोवनक मधुशाला
    तृप्त कदिय सजनी पीयाक एक घूंट प्याला
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट