mithila sahitysudha

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रविवार, 31 जुलाई 2011

हैंस दिय कनियाँ@प्रभात राय भट्ट

हैंस दिय हैंस दिय कने  हैंस दिय कनियाँ
देखू लौनेछी कनियाँ अहांलेल पैरक पैजनिया
महफा में बैठ चलू कनिया आई हमरा अंगना 
अहांके अईन्देव सजनी हम जयपुर के कंगना

कान दुनु सोन हम अहांके देव रे झुलनियाँ
नाकमें देव रे सजनी सानिया कट नथुनिया
छम छम बाजैय गोरी अहांक पैरक पैजनिया
लाखोमें एक अहां छि हमर सुनरी दुल्हनिया

खन खन खन्कैय अहांक  हाथक चुरी  कंगना
चलू चलू  चलू  कनियाँ  यए आई हमरा अंगना
मोती जडल लहँगा पैर लाले लाल चुनरिया
लागैछी अहां धनि पूर्णिमाके चाँद सन दुतिया

हैंस दिय हैंस दिय कने  हैंस दिय कनियाँ
देखू लौनेछी कनियाँ अहांलेल पैरक पैजनिया
अहाँ लेल मोन हमर कटैय दिन राईत अहुरिया
माईनजाऊ बात गोरी कहैय प्रभात जनकपुरिया

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 28 जुलाई 2011

चन्द्रमुखी@प्रभात राय भट्ट

चन्द्रमुखी  यए  मृगनयनी चानिपिटल  देह  पिक्वैनी 
अहां घोघ  नए  गिराऊ सजनी  हमरा  देखदिय
रूप अहांक चम् चम् चम्कैय जेना चमके सितारा
देख अहांक रूप सजनी मोन भेलै हमर आवारा
अहां घोघ तर सँ मुस्की मरैय छि चौवनी
मोहिलेली मोन सजनी अहां हमर सोरहनी


चन्द्रमुखी  यए  मृगनयनीचानिपिटल  देह  पिक्वैनी 
अहां घोघ  नए  गिराऊ सजनी  हमरा  देखदिय
भेलू हम घायल अहांक नजरियाकें वाण सँ
जुनी तडपपाऊ सजनी मैर ज्याब हम प्राण सँ
सोलहो श्रींगार साजल अंग अंग अहां  के
करैय ईशारा हमरा मदमातल उमग अहां के
 
 
चन्द्रमुखी  यए  मृगनयनीचानिपिटल  देह  पिक्वैनी 
अहां घोघ  नए  गिराऊ सजनी  हमरा  देखदिय
रंगविरंगक  फुल सँ साजल अछि आजुक सेज
रसपान कराऊ सजनी प्यास लागल अछि तेज
सोनपरी सन काया देखि मोनमे उठल हिलोर
यी सोहनगर राईत फेर नै भेटत भेल जैइय भोर

 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 25 जुलाई 2011


कियो भेल अछि अवाद@प्रभात राय भट्ट

कि कहू यौ बाबु भैया  कोना हम जिबैछी,
आईखक नोर  घुईट घुई ट हम पिबैछी,
बेईमान सँ बैच क रहू दैतछि हम यी सम्वाद,
कियो भेल अछि अवाद करी कें हमरा बर्वाद,
फुल गुल सँ भरल बगीचा भगेल विराना 
पतझर जीवन देख आब मरैय सब ताना 
बात बात पैर नाक फुला देय सब उलहना 
चोट पैर चोट मरैय देखू निठुर जमाना  
कियोभेलअछिआबाद करीकें हमरा बर्वाद 
कोना चिन्हु चेहरापैर सब लगौने अछि नकाब
कोना करू दोहरी चरित्र क मनुखक हिसाब,
आदमी की चिन्हैयमें धोखा खा जाईत छि
सभकिछु गामा क मोने मोन पचताईछि
गिरगिट जिका बहुरुपिया रंग फेरैत जाईय
पग पग हमर भरोषाके खून करैत जाईय
कियो भेल अछि अवाद करिकें हमरा बर्वाद  

   रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 4 जुलाई 2011

रोटी रोजीक खोजी@प्रभात राय भट्ट

रोटी रोजीक खोजी@प्रभात राय भट्ट
नेपालक मधेस प्रान्तमें महोतरी जिलाक धिरापुर गामक बर्ष ३० के भोला खत्बेक जीवनचक्र पैर आधारित यी आलेख अछि जे सम्पूर्ण मध्यमबर्गीय आओर निम्मन बर्गीय समुदाय के जीवन स जुडल यथार्थ जीवनी  !
                        भोला एकटा निम्नबर्गीय परिवार में जन्म लेलक हुनक माए बाबु बड मुस्किल से मेहनत मजदूरी करी  भोला के पालनपोषण केलक, भोलाक माए बाबु गरीब होवाक कारन भोला प्रारम्भिको  शिक्षा स बन्चित रहल जेनतेन समय बितैत गेल आ समयानुसार भोला पैघ सेहो भगेलाह ! समय के संग संग हुनक दाम्पत्य जीवन सुभारम्भ सेहो भगेलई,भरल जुवानी के अबस्था में दाम्पत्य जीवनक रस्वादन एवं आन्नदमें  पूर्णरुपेन डुबिगेलाह ओ अपन आर्थिक स्थितिके नजैर अंदाज करैत गेलाह मुदा विना अर्थ स जीवनक गाडीं कतेक दिन चैल सकैय ! कनिया के सौख श्रींगारक सामग्रिः भोजन भातक ब्यबस्था बृध माए बाबु के दबाई दारू सभक आभाव चारू ओ र स: खटक लग्लई,तकर बाद भोला के अपन जिमेवारिक  बोध भेलैन ! हुनका किछ नै सुझाई  जे की करू आ नै करू राईत दिन बेचारा भोला घरक लचरल ब्यबस्था देखि क बड चिंतित रहलागल !एक दिन ओ अपन मिता सुरेश कापर के अपन सभटा दु:ख सुनैलक  ! सुरेश बड नीक सलाह देलकै देखू मिता अई नेपाल देश में स्वरोजगारी के कोनो ब्यबस्था नै छई पढलो लिखल मनुख के नोकरी नै भेटैछैक तहन  हम अहां कोण जोक्रक छि ! हम एकैटा सलाह देब सउदी अरब चैल जाऊ ओईठाम बड़ पैसा भेटैछैक अहंक सभटा दू:ख दूर भ्ज्यात,सुरेशक गप सुनिक भोलाके माथमें चकर देबलगलै !!मुदा किछ देरक बाद भोला सहमती जनौलक आ सुरेश सं बिदा लैत घर तरफ प्रस्थान केलक!
               सुरेश घर पहुचैत कनियाँ कतय गेली ये हमरा बड़ जोर सं भूख लागल अछि किछु खयाला दिया नए,कनियाँक कोनो जवाब नै अयीलाउपरांत ओ भानस घरमे गेल कनियाँ के देखलक माथ हाथ धयने आ सिशैक सिशैक क कानैत,अहां किये कनैछी ये अतराढंवाली ?की भेल किछ बाजब तब नए हम बुझबई ! कनिया कहलकै....हम की बाजु आ बाजल बिनु रहलो नै जैइय,अहां जे कोनो काम धंधा नै करबै तहन ई चुल्हाचौका कोना चलति एक पाऊ चाबल छल जेकर मद्सटका भात बनाक माए-बाबु आ बच्चा सभमे परसादी जिका बाईंट देलौ आ हम त उपबासो कलेब मुदा अहांके त भूख बर्दास्त नै होइया ताहि सं हमर छाती फटी रहल अछि मुदा अहांके त कोनो चिंताफिकिर रह्बेने करेय !तपेश्वर मालिक सेहो बड़ खिसियक द्वार पर सं गेल कहैछल जे ५०० टका के हमर सूद ब्याज सहित २५००० भगेल मुदा यी भोलबा अखन धरी देब के नाम नै लैय,
     हे यए अतराढंवाली अहां आब जुनी चिंता  करू हमरा पैर भरोषा रखु सभ ठीक भजेतई ई किछ दिनक दू:ख थीक एकटा कहाबत छै जे भगवानक घरमे देर छै मुदा अंधेर नै,अतारधवाली के मोन अति प्रसन्न भेलै आ झट सं पुईछ बैठिय आईंयो रामपुकारक पापा आई की बात अछि जे अहां एतेक पुरुषार्थ वाला गप करैत छि ?की बजली यए अतराढंवाली एकर मतलब अहुं हमरा निक्मे बुझैत छि? त कान खोईलक सुनिलिय हम आब सउदी अरबिया जारहल छि  आ ढेर पैसा कमाक अहां लेल भेजब !अतराढंवाली ई बात सुईनते घबरागेल आ कहलागल की बज्लौं ?कने फेर सं बाजु त अहांके जे मोन में अबैय सहे बाईजदैत छि,एहन बात आब बजैत नै होईब से कहिदैछी हम................मोन त भोला के सेहो उदास भजैय मुदा हिमत करिकें कनियाँ के समझाबक कोशिश करेय देखियो कनिया हम जनैत छि जे हम कोनो काम धंधा नै करैत छि तयियो अहां हमरा सं खूब प्रेम करैत छि,आ हमहू अहां बिनु एकौ घडी नहीं रही सकैत छि यी सभटा जनैत बुझैत हम मज़बूरी बस एहन निर्णय लेलहुं आ अईके अलाबा दुसर कोनो रस्तो नहीं अछि ! आखिर यी जीवन त प्रेम आ स्नेह सं मात्र नै चलत नए जीवनमे दुःख सुख भूख रोग सोक पीड़ा ब्यथा वेदना संवेदना प्रेम स्नेह विबाह बिदाई जीवन मृत्यु समाज सेवा घर परिवार ईस्ट मित्र कर कुटुंब नाता गोता मान सम्मान प्रतिष्ठा घर माकन खेत खलिहान बगीचा मचान सत्कार तिरिस्कार मिलन बिछोड यी सभटा जिनगीक अभिन्न अंग अछि,आ यी सभटाके जैर एकैटा थीक जेकर नाम ऐच्छ पैसा............तै हमरा परदेश जाहिटा परते अहां कनिको मोन मलाल नै करू सबहक प्रियतम पाहून परदेश खटेछैक ! हेयौ रामपुकारक पापा यी बात सुनिके हमर छाती फटेय..तहन अहां बिनु हम कोना रहीसकैछी? नए नए हमरा नहीं चाही पैसा कौड़ी महल मकान हम नुने रोटी खेबई सेहो नहीं भेटत त साग पात ख्याक जिनगी काटीलेब कहैत भोलाके भैर पांज पकरिक सिशैक सिशैक नोर बहबैत कानैलागैय....मुदा भोला कुलदेवता के सलामी राखैत माए-बाबु सं आशीर्वाद लैत घर सं प्रस्थान भगेल.....................! अगिला पाठ क्रमश:.............
लेखक:-प्रभात राय भट्ट