mithila sahitysudha

mithila sahitysudha

सोमवार, 27 जून 2011

हम एकटा पत्रकार छी@प्रभात राय भट्ट

हम एकटा पत्रकार छी उतर पूरब पश्चिम dakshin सं
खबर,घटना,सूचना,समाचार लाबैत छी,
पत्रिकामें छापि गाम गाम पहुंचाबैतछी,
एक दिन एकटा कार्यालय हम गेलहुं,
परिचयपत्र देख हमर भेल सभ परेशान,
एकटा कर्मचारी कहलक औ बैसू जजमान,
लेखाशाखामें रखल अछि अहांलेल अनुदान,
हम कहलहुं यी सभ हमरा किछु नए चाही,
बस हाकिम साहब सं भेटटदिय,
हम एकटा पत्रकार छी बस इंटरभ्यु लेब दिय,
एकटा महिला कर्मचारी झट सं बोलल,
हाकिम साहब छैथ मीटिंग में बड ब्यस्त,
जुनी अहां करू नै एतेक कष्ट,
पत्रकार सभक ब्यवहार सं हम सभ छी अभ्यस्त,
लेखापाल कें भेटगेल छै हाकिम साहबक आदेश,
जौं कोई पत्रकार आबे हुनका उपहार दिया विशेष,
किछु नै लिखू किछु नै छापू बंद रखु अपन बोली,
चुप चाप निकैल जाऊ ऐठाम सं भैरक अपन झोली,
हम कहलियैन यी सभटा बात अछि निराधार,
की पत्रकारों करेय भ्रष्टाचार ???
जौं पत्रकार भज्यात भ्रष्ट कोना भेटत समाचार प्रष्ट ???

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 21 जून 2011

अहां रहैत छि परदेस पिया@प्रभात राय भट्ट

अहां रहैत छि परदेस पिया,
एसगर लागेना मोरा जिया,
ओ सजनजी लागेना मोरा जिया.....२

जागल आईख सपना देखै छी,
नितदिन अहांक बाट तकैत छी,
अहांक देखैला फटेय हमर हिया,
ओ बलम जी लागेना मोरा जिया....२

रिमझिम वर्षीय सावनके बदरा,
केकरा संग सुतब लाईगक पजरा,
आईग लागल देहमें पिया जी मोरा,
ओ पिया जी लागेना मोरा जिया.....२

अहां विनु सुना लगैय पलंगिया,
गाम आबिजाऊ बलम जनकपुरिया,
बुझाऊ प्यास मिलनके जुडाऊ हिया,
ओ सजन जी लागेना मोरा जिया......२

देखू पिया उमरल जैइय हमर जवानी,
जेना सावनमें उमरैय कमला कोशीके पानी,
जुवानी भरेय हुकार अहां आबैछी नए किया,
ओ बलम जी लागेना मोरा जिया.........२

देखू सजनजी हम सोलह श्रृंगार केने छी,
अहिंके सूरत सैद्खन  हम ध्यान देने छी,
पंख लगा उईर आऊ घुईर फेर नै जाऊ,
ओ सजनजी अहां बिनु लागेना मोरा जिया....2

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

६०१ सभासद महान@प्रभात राय भट्ट

जे नै देखलौं कतय दुनियां में
ओ सभटा देखलौं नेपाल देस में
चोर डाका घुसल शिंहदरवार में
लोकतान्त्रिक नेता क भेष में
लूटपाट में सभ लागल अछि
 देसक मालखजाना
भिखमंगा कह्बैय अपना के 
आब उच्च राजघराना 
साईकल जे चलबैछल बिनु ब्रेक के
ओ करैय लैंडक्रूजर के सवारी,
जे पेनहैछल फाटलपुरान अंगा
ओ पेन्हैय आब सुटसफारी
उज्जर केश रैंग करैय कारी
खाई में जेकरा छल आफद चायपान
ओ बियर वार में करैय मधुपान
गाम में जेकर छल टुटलफूटल मकान
राजधानीमें बनौलक महल आलीशान
देखू यी चोर नेता सभक शान
सय में अछि पचासी बेईमान
तैयो अछि ६०१ सभासद महान
जे नै देखलौं कतय दुनियां में
ओ सभटा देखलौं नेपाल देस में
दू वर्ष में नै बनौलक संविधान
संविधानसभाक समय केलक अवसान
फेर एक वर्ष ललक अनुदान
ओकरो यी ६०१ केलक अपमान
फेर लेलक ३ महीनाक अनुदान
दिन बितल जाईय देखू
कहिया बनत संबिधान
गिद्ध जिका करैय सभ घिचातानी
नेता सभक पोषण में
 देसक टाका बनल पानी
तिन पार्टी में तेरह गुट
स्वार्थलोलुपतामें भेल फुट
करैय में लागल अछि सभ ब्रम्ह्लुट
सावधान!! सावधान!! सावधान!!
भलेही तू नेता जो स्वार्थमें फुट
मुदा हम जनता अखनो अछी एकजुट
शाही तंत्र के हम जनता केलौं अंत
जुनी बुझिहें अपनाक बलबंत
जौं तिन महिनामें संविधान नै बनलौं
हेतौ ६०१ सभासद्क शर्मनाक अंत !!!

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

स्नेह लगाक@प्रभात राय भट्ट


गजल:-

स्नेह लगाक किये मुह  मोईड लेने छि,
प्रीत जगाक दिलमे किये छोइड देने छि,
अंहि सिखेलौं हमरा यी प्रेमक परिभाषा,
जुनी बनू बेदर्दी पूरा करू हमर अभिलाषा,
उईड चलू प्रेम नगर मोनमें इक्षा जगल,
मिलनके प्यास बुझाब  हम येलु भागल,
प्रेम मे अहांक प्रियतम भेल छि हम बताह,
सभटा जनैतबुझैत अहां बनल छि घताह,
हम अहां बिनु जिब नए सकब सजनी,
जहर बियोगक पीव नए सकब सजनी,
हम देखैछि अहांके जेना चाँदके देखैय चकोर,
आऊ सजनी अन्हार जिन्गिमे कदीय ईजोर,
देखू रिमझिम रिमझिम बरशैय साबनके बदरा,
फुल अहां छि हम भंभरा,रसपान कराउ हमरा,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट

रविवार, 19 जून 2011

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल@प्रभात राय भट्ट

हम दू:खिया दू:ख केंय मारल के पूछत हमर हाल,
केकरा स कहू के पतियाईत हमर बिप्तिक हालत,
अपने सुखमें आन्हर भेल अछि ऐठाम सभ नेहाल,
अपन हारल दुनियाके मारल भेल छि हम बेहाल,

दू:ख के सागर में अटकल अछि हमर जिनगीक  नैया,
विधाता भेल बेपक्ष बईमान मलाह  भेटल हमर खेबैया,
हम कोना उतरब पार बिधाता फसल छि बिच मजधार,
किछु नै सुझाइय किछु नै बुझाईय कोना हयात उद्धार,

दोस्त बनल दुश्मन अपन नाता गोता सेहो भेल पराया,
फूटल करम हमर जहिया स: कालचक्र के परल छाया,
हम निर्दोष सरस बोली बजैत अछि दिल स: साँच साँच,
दोषी कहिक धधरा में लगाबैय सभटा हमरा आंच,

सुईखगेल आईखक नोर कल्पी रहल अछि हमर ठोर,
करैय घाऊमें नुनदलन यी दुनिया भेल केहन कठोर,
जिनगी भेल पहार की दुनिया लगैय आब अन्हार,
अपनों आब मुह मोडैय जेना रही हम अनचिन्हार,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट


शुक्रवार, 17 जून 2011

जनकपुरधाम

1.सजना हमर मनमोहना@प्रभात राय

1.सजना हमर मनमोहना@प्रभात राय 

 हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,
बितल अषाढ़ एलई देखू सावन के महिना,
संगीसहेली सभक आबिगेलय प्रियतम पहुना,

मिलल नजैर अहाँ संग  हमर जहिया स:,
अहाँ बिनु दिल लगैया नए हमर तहियाँ स:,
बड़ मुश्किल स: हम दिन राईत काटैछी,
सद्खैन सजना अहाँक बाट तकैत छि,

टुनिया मुनिया चुटकुनिया के भेलई वियाह,
पुनिया ललमुनिया के द्वार  एलई बराती,
मुदा हम बनल छि संगी सभक सराती,
नीन्द स: उठी उठी गबैछी हम पराती,

यी सभ देखिक मोन कटैय हमर अहुरिया,
हम कहिया बनब अहाँक घर क बहुरिया,
हे ययो दुलरुवा सजना हमर मनमोहना,
अहाँ बिनु दिन राईत हम काटैछी कहुना,

एसगर राईतमें नुका नुका श्रृंगार करैछी,
लाल लाल चुनरी ओढ़ी हम पेटार करैछी,
मोने  मोन हम सोचलौ यी बेकार करैछी,
फेर अपने हाथे श्रृंगारक उज्जार करैछी,

हम तडपैछी जेना ज़ल बिनु तडपैय मीन,

जाईगजाईग प्रात: करैछी उडीगेल आईखक निन,
सजना निरमोहिया राखु हमर स्नेहक लाज ,
जल्दी स: लक आऊ बराती संग शाज बाज , 

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
2.मुह किया फुलौनेछी@प्रभात राय भट्

मुह किया फुलौनेछी नोर किया बहौनेछी,
किछ बाजु नए सजनी हमर प्राण प्रिया,
मोन कुह्कैया सजनी फटईय हमर हिया,
भूल करबै नए कहियो  देब  दगा प्रियतम,
अहाँक पबैला लेब हम  बेर हजार बेर जन्म,

संग देब अहाँ केर  जाधैर चलतै  हमर साँस,
अहूँ संग नए छोड़ब यी अछि हमर आस,
अहाँ छि अनमोल रत्न रखाब हम जतन,
अहिं पैर निछावर केनु प्रिया अपन तनमन,

अहाँक स्नेह स: मोनमे हमरा उमरल उमंग,
प्रेमक  डगैर पैर हम चलब अहाँक संग संग,
कियो तोईर नए सकैत अछि यी प्रेम बंधन,
आई नए त काईलह हेतई अपन प्रेम मिलन,

लाख बैरी हेतई दुनिया चाहे अओर जमाना,
प्रियतम जौं अहाँ संग दी त मिलजेतै ठेगाना ,
प्रेम स: उपजैय जिनगीमें रंगविरंगक बहार,
प्रेमक जे दुश्मन ओकर जिनगी अछि बेकार,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
3.

यात्रा@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Saturday, May 7, 2011 at 8:56pm
यात्रा@प्रभात राय भट्ट

मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जीवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,
अनबरत चलैत रहू लक्ष्यक डगर पैर,
मिलय नए मंजिलक ठेगाना जाधैर,

पाछू कखनो घुईर नए ताकू,
डेग पैर डेग बढ़ाऊ आगू,
पाथैर कंकर पैर चल परत,
कांट क चुभन सहपरत,

भसकैय संगी सेहो साथ नएदिए,
एसगर जिनगी क यात्रामें चल पड़य,
रही रही मोनमें उठ्य जोर टिस,
जुनी कियो नए ताकत अहाँदिस,

भसकैय अपनों सम्बन्ध पराया,
साथ छोइड सकैय स्वस्थ काया,
मुदा टूटे  नए अटल विस्वास,
एक दिन बुझत मोनक प्यास,

भेटत अहांके अपन मंजिलके ठेगाना,
जिनगी अनंत यात्रा छै बुझत जमाना,
मरलोउपरांत रहैय ओ आत्मा जिवंत,
जिनकर यात्रा होइत अछि अनन्त,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
4.

देलौ हम पेटकुनिया@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Thursday, April 7, 2011 at 8:46am

देलौ हम पेटकुनिया@प्रभात राय भट्ट
तिनगो बेट्टी देख कनियाँ,
देलौं हम पेटकुनियां,
डाक्टर कहैय अल्ट्रासाउंडमें,
फेर अछि बेट्टीये  यए,
बड मुस्किल स करपरत निर्वाह,
कोना हयात बेट्टीक व्याह,
चलू कनियाँ करादैछी एबोर्सन,
हम नए लेब आब एतेक टेंसन,
रूईक जाऊ!!रूईक जाऊ!!रूईक जाऊ!!
मईट स जन्म लेलक सीता,
करेजा स सट्लक जनक पिता,
हम अहाँक कोईखक सन्तान,
किया करैत छि हमर अबसान,
जनक छैथ मिथिलाक पिता,
बेट्टी इहाँ के सब सीता,
किया करैत छि बाबा अहाँ चिंता,
बेट्टा बेट्टी में नए छै कोनो भिन्ता,
भैया संग हमहू स्कुल जेबई,
मोन लगाक पढ़ाई करबई,
डाक्टर इंजिनियर पाईलट बनबई,
जगमे अहाँक नाम रोशन करबई,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
5.

दुल्हे पीयोलक जहर@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, April 5, 2011 at 11:07am
दुल्हे पीयोलक जहर@प्रभात राय भट्ट
व्याह क्याक पिया घर गेलौं,
मोन में सुन्दर सपना सजेलौं,
सासुर घरके स्वर्ग समझलौं,
डोली चैढ पिया घर एलौं,
हर्षित मन केकरो नए देखलौं,
गिद्ध नजैर स सब हमरा देखलक,
झाड़ू बारहैन स स्वागत केलक ,
बाप किया नए देलकौ तिलक,
जरल परल जूठकुठ खियोलक,
सपना सबटा भेल चकनाचूर,
सास भेटल बड़ा निठुर,
ठनका जिका ठंकैय ससूर,
बात बात में चंडाल जिका
आईंख देख्बैय भैंसुर,
जेकरा साथै लेलौं सात फेरा
ओहो रहैय मर स दूर,
जाधैर बाप देतौने रुपैया ,
सूत बिछाक आँगनमें खटिया,
कल्पी कल्पी केलों गोरधरिया,
कतय स बाप हमर देत रुपैया,
बाबु यौ हम अहाँक राजदुलारी,
छालों हम म्याके प्यारी ,
विधाता लिखलन केहन विधना,
किया रचौलक एहन रचना,
नरक स बतर जीवन हम जीबैत छि,
आईंखक नोर घुईट घुईट पिबैत छि,
दूल्हा मगैछौ फटफटिया आ सोनाके चैन,
नए देभि त छीन लेतौ हमर सुखचैन,
बेट्टीक हालत देख बाप धैल्क हाथ माथ,
 चैन फटफटिया लक आएब हम साथ
सासूर घुइर जो बेट्टी रख बापक मान,
सपना भेल सबटा चकनाचूर,
सास सासूर भेटल बड़ा निठुर,
मालजाल जिका बन्ह्लक देवर,
ननद उतारलक गहना जेवर,
मुग्ड़ी स माईर माईर
बडकी दियादिन देखौलक तेवर,
पिजड़ा में हम फसल चीडैया,
कटल रहे हमर पंख  पंखुड़िया ,
पकैर धकैर दुल्हे पियोलक जहर,
 छटपट हम छटपटएलौं  कतेक प्रहर,
पत्थरके संसारमें कियो
नए सुनलक हमर चीत्कार,
प्राण निकलैत हम मुक्त भेलौं,
छोइड दलों यी पापी संसार,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट 
6.

हे यए जनकपुरवाली भौजी @prabhat ray bhatt

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, April 5, 2011 at 8:14am
हे यए जनकपुरवाली भौजी सुनु नए कने,
कहिया स: हम एकटा बात छि मोनमें धयने,
अहाँक बोहीन लगैय दुतियाँक चाँद सन,
कोमल कोमल देह हुनक लगैय मखान सन,
लाल लाल ठोर हुनक लगैय मीठा पान सन,

अहाँक बोहीन भौजी लगैय बड़ा बेजोर,
हुनक रूप देख मोन में हमरा उठल हिलोर,
अन्हार घर में बोहीन अहाँक करिय इजोर,
गगनमे जेना चम् चम् चमकईय चानचकोर,

देख्लौ अहाँक बोहीन के हम जहिया स:
पढाई में मोन लगैय नए हमर तहियाँ स:
मुश्किल स भरहल अछि जिनगीक निर्वाह,
बढ़ाऊ बात आगू करादिया हमर विवाह,

अंग अंगमें सजायेब हुनका हिरा मोती के गहना,
खन खन खन्कौती ओ हाथमें नेपालक कंगना,
अहाँ बोहीनके डोली चढ़ा लायेब अपन अंगना,
ओ बनती हमर सजनी हम बनब हुनक सजना,

 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
7.

रूप अहाँक

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, March 29, 2011 at 11:09am
रूप अहाँक लगैय चंदाचकोर अन्हार में करैछी ईजोर,
देख अहाँके मोनमें हमरा उठल हिलोर बड़ा बेजोर,

अहाँक केशक गजरा आईखक कजरा जान मारैय,
नशीली नयनक धार हमरा दिल पर वाण मारैय ,

खन खन खन्कैय कंगना छम छम बजैय पाजू,
 घुंघटा उठा सजनी हमरा संग मुस्की मुस्की बाजू,

अहाँके पबैला मंदिर मस्जिद मगैछी दुवा पढ़ैछि कलमा,
हे यै हमर गोरी गरिमा बनालू हमरा अहाँ अपन बलमा,२

चम् चम् च्म्कैछी रानी अहाँ दुतिया के चाँद सन,
गम गम गम्कैछी सुगिया अहाँ बेलीचमेलि फुल सन,

मृग नयनी अहाँक नयन ठोर लगैय रस भरल मधुशाला,
अंग अंगमें तरंग मोनमें उमंग जेना संगीतक पाठशाला,

प्रेम रस स उमरल रूप अहाँक देख भेली हम दीवाना यए,
देख अहाँ संग हमरा गोरी,जईर जईर मरैय जवाना यए,

डोली कहार लक आएब गोरी हम अहाँक अंगना
अहाँ बनब हमर सजनी हम बनब अहाँक सजना,

अहाँक रूप देखि चाँद चकोर सेहो लजागेल,
अहाँक सुन्दरताके तेज स ईन्द्रपरी सेहो झपागेल,

विधाता के रचल सजनी अहाँ छि अनमोल रचना,
अंग अंग में सजल यए अनुपम अनुराग के गहना,

हे यै हमर मोनक रानी गरिमा चलू हमर अंगना,
अहाँ बनब हमर सजनी हम बनब अहाँक सजना,२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
8.

पेट किया जरैत@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Saturday, March 26, 2011 at 9:08am
पेट किया जरैत@प्रभात राय भट्ट

जाईछी  परदेश  धनि छोइडक अपन देस,
भेजब कमाके धन रुपैया मीठमीठ सनेश,

जग केर रित सजनी आब अहाँ जानु,
जिनगीके चौबटिया पर येना नए कानु ,

प्रीत स जौं चलैत जिनगी त पेट किया जरैत,
अन्न विन दुनियां में लोग किया मरैत,

अहाँ विन सजनी हम जिव नए सकैत छी,
मुदा भूखे  जौ पेट जरत त प्रीतो नए सुहाय्त,

गरीव भक जन्म लेलौ अई पत्थर के संसार में,
जिनगीक नाव अटकल रहिगेल मजधार में,

हम नाव बनब अहाँ पतवार बनू,संग संग चलू,
हम नवका खोज के राही,अहाँ राय दैत चलू ,

दुःख सुख केर जीवन साथी अपन साथ दिय,
जिनगीक यात्रामें जौं लरखराई त हिमतके हाथदिय,

जीवन के कटुसत्य  सजनी आब अहाँ मानु,
जिनगी केर चौबटिया पर येना नए कानु,

लड़ दिय हमरा जिनगी स चलदिय कर्मपथ पर,
गन्तव्य स्थान जरुर मिलत चलू दुनुगोटा धर्मपथ पर,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट  
9.

प्रेम दीवाना@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Saturday, March 26, 2011 at 7:24am
प्रेम दीवाना@प्रभात राय भट्ट
 हम अहाकप्रेम दीवाना अहिं स:प्रीत करैत छी,
सुतैत जगैत उठैत बैसैत अहींक नाम रतैत छी ,
ऐसजनी अहींक नाम रतैत छी .....................२

हम अहाँक प्रेम दीवानी अहिं स:प्रीत करैत छी,
जखन तखन सद्खन सजना अहींक याद करैत छी,
ययौ सजाना अहिं के याद करैत छी.....................२ 

रोज रोज हम लिखैत छी अपन प्रेम कहानी के पोथी ,
अहाँ विन तडपैछी जेना पाईन विन तडपैय पोठी,
वित् जाईय दिन कहना राईत नए वितैय.........
अहिं के सुरता सजनी सद्खन लागल रहैया....२

हमर मोनक बात पिया अहिं सब कहिदेलौं ,
अहुं केर तड़पन पिया हम सब जाईन्गेलौं,
फटईय हिया पिया एक दोसर के प्रीत विन,
बड मुस्किल स कटैय अहाँक हमर राइत दिन,

हम अहाँक प्रेम दीवाना अहिं स प्रीत करैत छी,
सुतैत जगैत उठैत बैसैत अहिक नाम रतैत छी,
ऐ सजनी अहिक नाम रतैत छी.....................२

हम अहाँक प्रेम दीवानी अहिं सा प्रीत करैत छी,
जखन तखन सद्खन सजना अहिक याद करैत छी,
ययौ सजना अहींक याद करैत छी...................२

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
10.

हमरा बिसैर गेलौं@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Thursday, March 24, 2011 at 9:00am
हमरा बिसैर गेलौं@प्रभात राय भट्ट
हमरा स की भूल भेलई जे अहाँ हमरा बिसैर गेलौं,
सब केर प्रीतम गाम येलई अहाँ किया नए येलों,  
यौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं...........................२

अहाँ के कोना बिसरबई धनि अहीं छि हमर जान,
अहाँ के जौं बिसरबई त निकेल जेतई हमर प्राण,
ये धनि अहांके कोना बिसरबई ...........................२

सावन वितल भादो वितल,वितल पूस माघ क जारा,
मईर मईरक जिन्दा रहलौं बड मुस्किल भेल गुजरा,
यौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं ...........................२

सावन में रिमझिम रिमझिम बदरा येना  बरसल,
अहांक स्नेह आ प्रीत लेल सजना देह  हमर  तरसल ,
यौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं .......................२

पुर्निमो केर राईत में हमरा लगैय अन्हार ययौ,
माघफागुन येना बितईय जेना जोवन भेल पहार यौ,
सब केर पिया गाम एलई अहाँ किया नए येलौ,
ययौ पिया अहाँ हमरा बिसैर गेलौं .............२

काम काज में दिन बीत जैइय मुदा राईत नए कटईय,
असगर मोन नए लगईय अहिक सुरतिया याद अबैय,
छि हम मजबूर भेल सजनी अईब केर परदेस में ,
अहाँ विन जिबैछी कोना बुझु विशेष में ............२ 

जाईग जाईग करैत छि प्रातः उठैत छि खाली हात,
केकरा स:कहू अपन मोन क बात के बूझत हमर हालत ,
अहि स:हमर यी निर्सल जिनगी केर हिया जुडायत,
 सजनी अहा ला लक आइब मोनभैर  प्रेमक सौगात..२

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
11. 

नैन किया भईरगेल@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, March 22, 2011 at 9:49am
नैन किया भईरगेल@प्रभात राय भट्ट

अहाक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,
अहाक नैन में नोर सजनी किया भैरगेल यए ,
नोर नए बहाऊ सजनी यी थीक अनमोल मोती,
अहाँ हैस दी त जगमग करे हमार जीवन के ज्योति,
अहाक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,

येना नए होऊ अहाँ उठास,मों नए करू उदास,
आई छई दुःख त काईलह सुख हेतई,
यी छन भर के विपति सब टईर जेतई,
रखु मोन में आशा अओर हमरा पर भरोषा,
पूरा हयात मोन क सबटा अभिलाषा,
अहाक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,

दुःख सुख ता जीवन में अबिते रहतई,
चाहे हवा जाते तेज बहतई,
समुन्दर में लहर जतेय जोर उठतई,
चाहे धरती स ज्वाला फुटतई,
मुदा जीवन के यात्रा कखनो नए रुकतई,
अहाँक ठोरक मुस्कान सजनी कतय चलिगेल यए,
अहाँक नैन में नोर सजनी किया भईरगेल यए,

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
12.

आदर्श विवाह@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, March 15, 2011 at 11:34am
आदर्श विवाह@प्रभात राय भट्ट
 हम छी मिथिलाक ललना,
दहेज़ ला क बनब नए बेल्गोब्ना,
दहेज़ लेनाए छई अपराध,
कियो करू नए एहन काज,
हम करब विवाह आदर्श,
अहू लिय इ सुन्दर परामर्श,
भेटत सुन्दर शुशील कनिया,
आहा स प्रेम खूब करती सजनिया,
आँगन में रुनझुन रुनझुन,
 बाजत हुनक पैजनिया ,
घर केर बनौती सुन्दर संसार,
भेटत बाबु माए केर सेवा सत्कार,
छोट सब में लुटवती वो दुलार,
अहक भेटत निश्छल प्रेमक प्यार,

जौ दहेज़ लयक  विवाह करबा भैया,
कनिया भेटत कारिख पोतल करिया,
हुकुम चलैतह शान देखैतह,
बात बात में करतह गोर्धरिया,
अपने सुततह पलंग तोरा सुतैत पैरथारिया,
बात बात में नखरा देखैतह,
भानस भात तोरे सा करैतह,
अपने खेतह मिट माछ खुवा मिठाई,
जौं किछ बाजब देतः तोरा ठेंगा देखाई,
रुईस फुइल नहिरा चईल जेताह,
साल भैर में घुईर घर एतः
सूद में एकटा सूत गोद में देतः
पुछला स कहती इ थिक अहाक निशानी,
आब कहू यौ दहेजुवा दूल्हा,
 आहा छी कतेक अज्ञानी ???
तेय हम दैतछी यी सुन्दर परामर्श,
सुन्दर शुशील भद्र कनिया भेटत,
विवाह करू आदर्श,विवाह करू आदर्श!!!
 रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
13.

मिथिलांचल@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Monday, March 7, 2011 at 8:31am
मिथिलांचल@प्रभात राय भट्ट

गंगा तट स: हिमालय केर पट
कोसी स: गनडकी तक !!
यी सम्पूर्ण भूमि अछि मिथिलांचल !!
जतेय बहथी निर्मलगंगाजल !!
हम थिक मिथिलाभूमि केर संतान !!
मिथिलांचल अछि हमार आन वान शान !!
मिथिलाक संस्कृति अछि हमर स्वाभिमान !!
स्वर्ग स: सुन्दर अछि हमर मिथिलाधाम !!
वसुधा केर हृदय थिक यी जनकपुरधाम !!
जतेय जन्म लेलैथ माँ जानकी आऔर साधू संत कवीर !!
एतही परम्पद पैलैथ ऋषि मुनि संत महंथ आऔर फकीर !!
राजर्षि जनक छलैथ विदेह राज्यक महर्षि राजा !!
कवी कौशकी गंडक बाल्मिकी मंडन !!
भारती सुशीला कुमारिल भट्ट नागार्जुन !!
महाकवि बिध्यापतिसं: बिद्वान रहथि प्रजा !!
मिथिला रहथि न्यायिक आऔर मसंसा ज्ञानक प्रदाता !!
येताही ब्याह केलैथ चारो भाई मर्यादापुरुषोतम राम बिधाता !!
मिथिला अछि भारतवर्ष केर प्राकृतिकाल स: ज्ञानबिज्ञान क स्रोत !!
यी सब हम जनैत भेलंहू ख़ुशी स: ओत प्रोत !!
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
14.

गंगा माई@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Monday, March 7, 2011 at 7:52am
गंगा माई@प्रभात राय भट्ट


धर मन धीर चल गंगा केर तीर ,
तन मन की मैल धोत है गंगा के नीर ,
महादेव की जटा से बहत है गंगा की धरा ,
गंगाजल की महिमा गाए जग सारा ,
तिनोलोक में भए गंगाजल अमृत समान ,
देव दानव मानब भए अमर,करके गंगाजल्पान ,
निर्धन को धन बाझिनको पुत्र मिले कोढिको काया ,
जान सकेना कोई,अपरम्पार है गंगा माई की महामाया ,
शरण जाये जो गंगा माई के होई तिनके मनोकामना पूरा ,
सर्व सुख पूर्ण होई तिनके ,रहेना कोई कामना अधुरा ,
गंगा की बखान करे कवी कोविद तुलसी गोसाई ,
जय जय गंगा माई होई हम भक्त पर सहाई ,
तुम विन न कोई ईस गरीब का और दूजा ,
नित्यदिन श्रद्धा सुमन से करहु तेरी पूजा ,
गंगा माई है प्रकृति का सुन्दर उपहार ,
जो जाये गंगा माई की शरण में होई तिनके उधार ,
जय जय जय गंगा माई ,होहु हम भक्त पर सहाई,
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
14.

मिथिला माए@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, February 25, 2011 at 7:21pm







अहो भाग्य अछि हमर जन्म लेलौ मिथिला माए के कोरा में !!
  
  एहन निश्छल आ बत्सल प्रेम भेटत नए चाहुओरा mइ

प्रकृति केर सुन्दर उपहार ,संस्कृति केर बिराट संसार !!
  
 मानबता केर सर्बोतम ब्याबहार मिथिलाक मुलभुतआधार !!
  
 राम रहीम मंदिर मस्जिद दसहरा होई या ईद क रित !!
  
 मिथिलावासी हिदू होई या मुस्लिम एक दोसर स:करैछैथ प्रीत !!
  
 मिथिलाक पसु पंछी सेहो जनैत अछि प्रेमक परिभाषा !!
  
 मधुरों स:मधुर अछि मिथिलाक मैथिलि भाषा !!
  
 ज्ञान सरोबर एतिहासिक धरोहर अछि मिथिलाक संस्कृति !!
  
 मन मग्न भजईत अछि देख क सुन्दर आ मनोरम प्रकृति !!
  
  मिथिले में जन्म लेलैथ सीता केर रूप में माए भगवती !!
  
   महाकवि विद्यापति केर चाकर बनला महादेव उमापति !!
  
  वैदेही केर सुन्दरता पर मोहित भेलैथ भगवान राम !!
  
  बसुधा केर हृदय बनल अछि हमर महान मिथिलाधाम !!
  
  कहैछैथ शास्त्र पुराण विद्वान पंडित आऔर प्रोहित !!
  
  मिथिलावासी क दर्शन स:मात्र भजाईत अछि !!

 मनुख क सम्पूर्ण पाप तिरोहित !!
 रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
 15.

कुमारी धिया@प्रभात राय भ

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, February 25, 2011 at 7:13pm
कुमारी धिया@प्रभात राय भट्ट

सुनु सुनु यौ मिथिलावासी आऔर मिथिलाक बाबु भैया !!

संगी सखी सभक भेलई ब्याह, हमर होतई कहिया !!

तिस वरखक भेली हम, मुदा अखनो रहिगेली कुमारी धिया !!

हमरा लेल नए छाई संसार में, एक चुटकी सिंदुरक किया !!

रोज रोज हम सपना देखैत छि, डोली कहार ल्या क ऐलैथ पिया !!

आईख खुलैय सपना टूटईय, जोर जोर स: फटईय हमर हीया !!

गामे गाम हमर बाबा घुमैय,ल्याक हाथ में माथक पगरी !!

कतहु वर नए भेटैय,की विन पुरुख के छई यी मिथिला नगरी ?!!

बेट्टावाला केर चाहि पाँच दश लाख टाका आ गाड़ी सफारी !!

तिनचाईर लाख टाका ऊपरस:जौ चाहैछी जे ओझा करे नोकरी सरकारी !!

अन्न धन्न गहना गुरिया एतेक चाही जे भईरजाई हुनक भखारी !!

बेट्टीवाला दहेज़ में सबकुछ लुटा क अपने भजाईत अछि भिखारी !!

बाबा हमर खेत खलिहान बेच देलन आ बेच रहल छैथ अपन घरारी !!

अहि कहू यौ मिथिलावासी आऔर मिथिलाक बाबु भैया !!

कतय स:देथिन बाबा हमर दहेज़ में एतेक रुपैया !!

रचनाकार: प्रभात राय भट्ट
16.

बालविबाह@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, February 25, 2011 at 7:09pm
हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालीउमरिया में !!

पढ़ लिख खेल कूद दिय,हमरा अपन संग्तुरिया में !!

--निक घर वर भेटल छौ,दहेज सेहो कमे मंगैछौ !!

आगुम की हेतै से नए मालूम,ब्याह करहीटा परतौ !!

ब्याह करहीटा परतौ गे बेट्टी.........................!!

--हम चौदह वरखक कन्याकुमारी अहाक राजदुलारी !!

मुदा दूल्हा छैथ विदुर आ पाकल हुनक केस दाढ़ी !!

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालिउमरिया में २ !!

--दूल्हा विदुर भेलई तईस: की धन सम्पति अपार छई !!

भेटतौ नए कतौ एहन घर वर दूल्हा सेहो रोजगार छई !!

--रुईक जाऊ रुईक जाऊ बाबा यौ हमरा पैघ होब दिय !!

पैढ़लिख क हमरो कोनो सरकारी नोकरी करदिय !!

बेट्टावाला अहाक दरवाजा पर अओता !!

कहता अहाक बेट्टी स:हम अपन बेट्टा क ब्याह करब !!

अहा कहब नै नै अखन हम बेट्टी क ब्याह नए करब !!

फुइक फुइक क चाय पीयब ,अहू किछ शान धरब !!

हम नए ब्याह करब यौ बाबा वालिउमरिया में !!

--एक लाख टका के बात कहले तू भगेले सयान गे !!

बेट्टी क भविष्य नए सोचलौ,हमही छलौ नादान गे !!

बेट्टी क ब्याह कोना हयात सतौने छल हमरा दहेज़ क डर !!

बाल विबाह करबई छलौ,खोईज लेलौ बुढ्बा वर !!

नए ब्याह करबौ गे बेट्टी तोहर वालिउमरिया में !!

पढ़ लिख खेलकूद तू अपन संगतुरिया में !!

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
 17.

आबिगेलई होली@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Thursday, February 24, 2011 at 9:53pm

 गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया,आबिगेलई होली !!

अहि केर प्रेमक रंग स: रंगाएब हम अपन चोली !!

यी प्रेमक पाती में लिखरहल छि अपन अभिलाशाक बोली !!

अईबेर प्रभात भाईजी गाम अओता की नए पूछीरहल अछि फगुवा टोली !!

बौआ काका के दालान में बनिरहल अछि फगुवाक प्लान !!

चईल रहल छई चर्चा अहिके चाहे खेत होई या खलिहान !!

कनिया काकी कहै छथिन बौआ क देखला बहुते दिन भगेल !!

वित साल गाम आएल मुदा विना भेट केने चईल्गेल !!

अहाक संगी साथी सब एक मास पाहिले गाम आबिगेल्ल !!

अहाक ओझा २५ किल्लो क खसी आ भांगक पोटरी अहिलेल दगेल !!

गाम आबिजाऊ हमर दुलरुवा पिया जुड़ाउ हमर हिया !!

पूवा पूरी सेहो खिलाएब ,घोईर घोईर पियाएब हम अहाक भंग !!

अहि केर हाथक रंग स: रंगाएब हम अपन अंग अंग !!

रंग गुलाल अवीर उडाएब हम दुनु संग संग !!

प्रेमक रंग स: तन मन रंगाएब एक दोसर के संग संग !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
18.

हम रहित छि परदेश@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, February 22, 2011 at 9:30pm
हम रहित छि परदेश@प्रभात राय भट्ट
हम रहैत छि परदेश मुदा प्रेम अछि अपने देश स:!!
हम छि पावनभूमि मिथिलाधाम मधेस स:!!
लिखैत छि चिठ्ठी अपन ब्याथ केर नैनक नोर स:!!

मोनक बात चिठ्ठी में लिखैत छि मुदा बाईज नई सकैत छि ठोर स:!!
लिखैत छि अपन दुःख क पाती,रहैत छि कोना परदेश में !!
अईब केर परदेश हम फैस गेलौ बड़का क्लेश में !!

माए केर ममता भौजी केर स्नेह बिसरल नई जाईय !!
साथी संगी खेत खलिहान हमरा बड मोन परईय !!
माथ जौ दुखैत हमर माए लग में अब्थिन !!
की भेल हमर सोना बेट्टा के कहिक माथ मालिश करथिन !!
बोखार जौ लागैत हमरा भौजी बौआ बौआ करैत लग अब्थिन !!
दुधक पट्टी माथ पर रख्थिन आ दबाई ला क हमरा खुअब्थिन !!
मुदा अ इ परदेश में धर्ती गगन चंदा सूरज सब लगईय अनचिन्हार !!
बड अजगुत लगैय हमरा देख क ऐठामक दूरब्यबहार !!
मानब्ता नामक छीज नई छई इन्शान बनल अछि इंजिन !!
अठारह घंटा काम कर्बैय मालिक बुझैय हमरा मशीन !!
जान जी लगाक केलौ काम दू चैरगो रोग हमरा भेटल इनाम !!
नई सकैत छि त आब कामचोर कहिक हमरा केलक बदनाम !!
लिखैत छि कथा अपन ब्यथा केर बुझाब आहा सब बिशेष में !!
नून रोटी खैहा भैया अपने देश में ,जैइहा नई परदेश में !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
19.

बालविधवा@प्रभात राय भात

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Monday, February 21, 2011 at 9:08pm
आहा जे नई भेटतौ त जिनगी रहित हमर उदास !!

सागर पास होइतो में बुझैत नई हमर मोनक प्यास !!

अहि स पूरा भेल हमर जिनगी केर सबटा आस !!

नजैर में रखु की करेजा में राखु अहि छि हमर भगवान !!

उज्जरल पुज्जरल हमर जिनगी में आहा एलौ !!

रंग विरंग क ख़ुशी केर फूल खिलेलौं !!

की हम भेलू अहाक प्रेम पुजारी ,अहा हमर भगवान यौ !!

मुर्झायल फूल छलौ हम ,अहि स खिलल हमर प्रेमक बगिया !!

बालविधवा हम अबोध छलौ ,समाज केर पैरक धुल !!

उठैलौ अहा हमरा करेजा स लगैलौ, बैनगेली हम फूल !!

पतझर छलौ भेल हम,सिच सिच क अहा लौटेलौ हरियाली !!

अनाथ अबला नारी के अपनैलौ आ बनेलौ अपन घरवाली

अहि स यी हमर जिनगी बनल सुन्दर सफल सलोना !!

गोद में हमर सूरज खेलैय,अहा बनलौ बौआक खेलौना !!

हमर उज्जरल पुज्जरल जिनगी में अहा येलौ !!

रंग विरंग क ख़ुशी केर फूल खिलेलौ,ख़ुशी स हमर आँचल भरलौं !!

हमर मन उपवन में अहि बास करैत छि, अहि केर हम पूजित छि !!

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट 
20.

मोनक अपन बात@प्रभात राय भ

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Friday, February 18, 2011 at 8:34am
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की कहू ककरा स: कहू मोनक अपन बात

विग्रल जाईय समाज क प्रबृति आओर हालत !


जुल्म अपराध में फसल अछि युवा वर्ग केर हाथ

देखरहल छि सबके गोली बन्दुक केर साथ !!

हम जहिया बच्चा छलौ बाबु स मंगलौ किताब कापी कलम

मुदा हमर दश वरखक बेट्टा कहैय किन्दे वावू पेस्तोल बन्दुक आ बम

हम जहिया युवा छलौ खेलौ दूध खुवा मलाई !

तन मन स केलौ गाऊ समाज देश क भलाई !

आई काहिल क छौरा सब वीडी गंजा भांग दारू तारी पिबैय !

चौक चौराहा बैठक जुवा तास खेलईय !

बाट चलैत बहुरिया केर देख क मारईय पिहकारी !

सुतल सुतल भोजन करईय करे नए कोनो रोजगारी

अपहरण फिरौती चंदा स पैसा कमाईकेर मन में छई भ्रम !

चोरी डकैती सेहो कराइय घोईर घोईर पिगेल सबटा लाज शर्म

रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
21.
गीत वियोग के @प्रभात राय भट्ट
पिया निर्मोहिया गेलैथ परदेश ,
भेजलैथ नई चिठ्ठी आ कोनो सन्देस,
जिया घबराईय ,चैन नई भेटैय,
सद्खन साजन अहि पर सुरता रहैय,
अहाविन हे यौ साजन मोन नई लगैय .......२
आईबकेर परदेस हमहू छि कलेश में ,
दुःख केर पोटरी की हम भेजू सन्देस में ,
आईबकेर परदेस मोन पचताईय ,
अहाक रे सुरतिया सजनी बिसरल नई जाईय ,
अहा विन हे ये सजनी मोन नई लगईय ,..........२
नई चाही हमरा गहना ,रुपैया आऔर बड़का नाम ययौ ,
ख्याब नून रोटी झोपडी में मुदा चएल आउ गाम ययौ ,
अहाक मुन्ना मुन्नी पर नई अछि हमार काबू ,
बाट चलैत बटोही क कहीदईया झट सा बाबु ,
सम्झौला स झट पुईछबैठेय कतए गेल हमर बाबु ,
सुनीकेर बेट्टाबेट्टी के बोली ,दिल पर चैइल जाईत अछि गोली ,
चुप चाप हम भजईत छि ,मोने मोन हम लाजईत छि ,
कहिदु मुन्ना मुन्नी के बाबु गेल छौ पाई कमाईला विदेस ,
ल क अईतोऊ तोरासबल्या खेलौना आ मीठ मीठ सनेश ,
मोन तर्शैय हमरो सजनी अहाक प्यार आ अनुरागला ,
आ बेट्टा बेट्टी केर मिठिका दुलार ला .............................. !!!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
22.

फैस्गेल मधेसी जनता @प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Sunday, February 13, 2011 at 8:10pm
फैस्गेल मधेसी जनता @प्रभात राय
फैस्गेल मधेसी जनता बहुरुपिया नेताक जालमे !!
मधेसक शक्ति विभक्त भगेल दमनकारी शोसक के चालमें !!
जे भेलैथ मंत्री पद अध्यक्ष पद क आ अपन स्वार्थप्रति मोहित !!
ओ केलैथ विनार्थ मधेसक वीर शहीद केर सपना सेहो तिरोहित !!
जे केलैथ सामन्तबाद शासक केर चाकरी आ भक्ति !!
ओ कहैछैथ हम छि मुक्ति दाता मधेसी के देव प्रतिमुक्ति !!
फैस्गेल मधेसी जनता बहुरुपिया नेता क जालमे ................!!
अब्तरित होइया भ्रष्ट नेता नया नया रूप स:हरेक कालखंड के अन्तरालमे !!
जे छलैथ सामन्तबाद क पुजारी ,मधेस आन्दोलन के दमनकारी !!
ओ कहैय हम छि एक मधेस एक प्रदेश क निर्माण युगांतकारी !!
मधेसी क खून पसीना शोषण क रैय भरैया अपन भखारी!!
अपार धन सम्पति केर हक़दार होइतोमे मधेसी भेल भिखारी !!
फैस्गेल मधेसी जनता बहुरुपिया नेता क जाल में !!
अब्तरित होइया भ्रष्ट नेता नया नया रूप स हरेक कालखंड के अन्तरालमे !!
रचनाकार :प्रभात राय भट्ट
 23.

सपना देख्लौ बड अजगुत@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Saturday, February 5, 2011 at 9:48pm
सपना देख्लौ बड अजगुत@प्रभात राय भट्ट
की कहिय राएत सपना देखलौं बड अजगुत हो भाई ,
हमरा पाछु लागल रहे एकटा बहुरुपिया कसाई,
धमकी देलक गल्ह्थी लगौलक देखौलक चाकू छुरा ,
जान स माएर देबौ,प्राण निकाइलदेबौ,नईतकर हमर माग पूरा ,
गाल हमर लाल कौलक खीच क मारलाक चटा चट चांटा ,
निकाल बाक्स पेटी स फटा फट दू चार लाख टाका,
डर स हम थर थर कापी मोन रहे घबराईल ,
तखने एकटा पहरा करैत प्रहरी हमरा लग चईल आईल ,
मोने मोन हम सोचलौ इ करता हमरा मदत ,
मुदा उहो रहे ओई चंडाल कसाई केर भगत ,
दुनु गोटा कान में कौलक फुस फूस ,
बाईन्ध क हमरा डोरी स घर में गेल घुईस ,
छन में सबटा भेल छनाक घर में परल डाका ,
झट पट जे आईंख खोल लौ ,त की कहिय काका ,
उ सपना नई सचे के बिपना रहे ,
हमर बिपति क एकटा घटना रहे ,
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
24.  मजदुर  !!!>

भगवान क असिम कृपा स अहा भेलौ धनवान !!

मुदा भुखा निर्बस्त्र आर निर्धन सहो छैथ इन्सान !!

भुख स छटपटा  रहल छै,निर्धन ख्याला एक टा रोटि !!

मुदा धनक लोभ स खुली नै रहल अछी अहा क पोटि !!

भुखा प्यासा निर्बत्र मे करु अपन अन्न धन्न दान !!

तखने ह्याब अहा सबकेर नजैर  मे महान् !!

दुख:भुख आ विपति सहके बईनगेल छै गरिब क मजबुरी !!

दु टुक्रा रोटि ख्यालेल खुन आ पसिना बहाके करैया मजदुरी !!

मजदुरक श्रम स उब्जैया फलफुल तरकारी आ बिभिन्न अन्न !!

मालिक भजाईय धनवान मुदा श्रमिक रही जाईय निर्धन !!

आदमी नै छै अहाक नजैर मे नोकर चाकर आर मजदुर !!

निर्धन गरिब पर हुक्मत करैछी कहाँ भेलौ अहा निस्ठुर !!

नै देखाऊ अईठाम ककरो झुठा रुवाब आर साख !!

एकदिन जईरके भ ज्याब अहु अई माटीमे राख !!

 कंकर पाथर थाली मे भेटत् भुख स जौं अहा छ्टपटयाब !!

मुठी बांधके जग मे एलि हाथ पसाइरके ज्याब !!

कविता क रचैता:-प्रभात राय भट्ट
25.
मिथिलाधाम !!!

स्वर्ग स: सुन्दर अछी हमार मिथिलाधम !!

ऋषि मुनि तपस्वी आर माँ जानकी जन्म लेलैथ अहि ठाम !!

ज्ञानभूमि तपोभूमि आर स्वर्गभूमि अछी हमर जनकपुरधाम !!

गौतम कणाद मन्दन भारतीसुशिला  यी अछी मिथिलांचल के गरिमा !!

युगो युग गुनगान होइत अछी मथिलांचल धर्ति क महिमा !!

 हरबाहक श्रमदेखि धर्ति प्रतिदान केलैथ सिया जी सन् गहना

 मिथिला क सब घर स्वर्ग लगैया,लोग ईहा के साधु सन्त !!

चाहे कोनो  ऋतु होइ सद्खन बहैत ईहा बसन्त !!

मनोरम प्रकृति आर मनमोहक मिथिला क संस्कृति !!

 एक दोसर स: सब लोग करैत अगाध प्रेम आर प्रिती !!

हर जीव ईहा के स्वाभिमानी करैथ नै किनको आशा !!

मधुरों स: मधुर मिथिला क मैथिल भाषा !!

मिथिले मे पुनरजन्म  लि यी  सब लोग मे अछी अभिलाषा !!

महाकवि विधयापति आर नागार्जुन सन् प्रखर विद्वान !!

जग ब्याप्त कैलैथ मिथिला क गरिमामय शान !!

स्वर्ग स सुन्दर धर्ति अछी हमर मिथिलाधम !!!!!!
26.

मधेस मुक्ति मार्ग !!!

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Tuesday, December 21, 2010 at 10:33pm


हम मधेसी मधेसके मुक्ती चाहे छी !!
शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार चाहे छी !!
एक मधेस एक प्रदेस चाहे छी !!

अपन भाषा के सदुपयोग चाहे छी !!
हम मधेसी मधेसके बिकाश चाहे छी !!

यी सब पाबैकेलेल हम सम्पूर्ण मधेसी युवालोग के एकजुट भके
एक नया मोर्चाके स्थापना कैलजाय
जईमें हम मधेसी युवा वर्ग के पूर्ण सहयोग रहत
हम युवा मधेसके सिपाही के रूप में काम करैलेल तयार रहब


हमर दुई शब्द मधेसी युवा सब के लेल . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
जागु जागु यौ मधेसी युवा जागु,
अपन हक़हीत, अस्तित्वा और अधिकार पाबैके लेल जागु !!
जागु यौ मधेसी युवा और बनाऊ एक ठोस अभियान ,
त्यके खातिर चढ़ परत त चैढ जायब बलिदान .
भारत में कहैय नेपाली भूचर और पहाड़ी कहैय धोती . . .
अपने देश में आफत भगेल खाई में दुई छाकके रोटी . . . . . .


हम छी नेपालके मधेसवासी मुदा अपने देश में हमरा समझल जाईय किया सुकुम्बासी .
जागु जागु यौ मधेसी युवा जागु ,
गहरी निन्द से जागु .मधेस और मधेसी के मुक्ती के लेल
जागु जागु यौ मधेसी युवा जागु , और
मधेस और मधेसीके मुक्तीके यात्रा के शुभआरम्भ करू सु-प्रभातक सँग .
कदम में कदम पर बाजू बिजयक मिरीदंग मिट जायत

मधेस स एक अधिकार और दमन तखने मिळत चयन और अमन
खीलजायत मधेस में गुलदस्ता के चमन हमरा चाही अपन मधेस अपन प्रदेश

जय मिथिला !! जय मधेस !!!! जय मातृभूमि !!!!!
27.

गीत स्वतंत्रता के@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Sunday, February 20, 2011 at 9:24pm
गीत स्वतंत्रता के@प्रभात राय भट्ट


सुनु सुनु ययो बाबु भैया ,
नींद स तू जगबा कहिया ,
भूखे पेट पेटकुनिया देला स
नई चलत आब कम हौ
कालरात्री के भेलई अस्त ,
उठह उठह कर दुसमन के पस्त ,
आइधैर तोरा पर शासन केलक ,
आब कतय दिन रहबा गुलाम हौ,
भेलई परिवर्तन बदैल गेलई दुनियाँ,
मधेस अखनो रहिगेलई शासक केर कनियाँ,
हसैछ दुसमन दैछ ललकार ,
उठह उठह दुष्ट शासक के करः प्रतिकार ,
मग्लाह स त भूख गरीबी रोग शोक देलकह ,
आब छिनक ला ला अपन अधिकार हौ ,
अखनो नई जगबा त जिनगी हेतह बेकार हौ ,
बेसी सुत्बा त अम्लपित बैढ़ जेताह ,
बिस्फोट भक्ह प्राण निकैइल जेताह ,
उठह उठह करः अपन प्राण क रक्षा ,
सिखह तू मान-स्वाभिमान क शिक्षा ,
प्राण तोहर मधेस माई में ,
मान-स्वाभिमान छह तोहर स्वतंत्रता में ,
बन्धकी परल छह तोहर मधेस माई,
उठह उठह हों बाबु भाई ,
मधेस माई केर मुक्ति दिलाब ,
सुन्दर शांत विकाशील मधेस बनाब ,
कालरात्री केर भेलई अस्त ,
उठह उठह करः दुसमन केर पस्त ,
 28.

गीत:-माहासंग्राम@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Monday, February 21, 2011 at 8:16pm



गीत:-माहासंग्राम@प्रभात राय भट्
संग्राम संग्राम ई अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने हम नए लेब आब विश्राम !!
  
अईधैर हम सहित गेलौ दुस्त शासक केर अन्याय !!
मुदा आब नई हम सहब लक हम रहब अपन न्याय !!

निरंकुश शासक शासन करईय घर में हमरा घुईस !!
मेहनत मजदूरी हम करैतछि, खून पसीना ललक हमार चुईस !!

अढाईसय वरखक बाद आई भेलई मधेस में भोर हौ !!
 गाऊ गाऊ गली गली में आजादी क नारा लागल छै जोर हौ !!

निरंकुश शासक कहैया हम छि बड़ा बलबंत !!
मुदा आई हेतई दुष्ट निरंकुश शासक केरअंत !!
  
संग्राम संग्राम यी अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने आब नई हम लेब विश्राम !!

अईधैर हम सहैत गेलौ उ बुझलक हमरा कांतर !!
तन मन धन सब कब्जा कौलक हमरा बुझलक बांतर !!
  
आब हम मांगब नई छीन क लेब अपन अधिकार हौ !!
उतैर गेलौ हम रणभूमि में करैला दुष्ट शासक केर प्रतिकार हौ !!

मेची स महाकाली चुरेभावर स तराई,समग्र भूमि अछि मधेस माई !!
हिन्दू मुश्लिम यादव ब्राम्हिन थारू सतार संथाल हम सब एक भाई !!

जातपात कोनो नई हमर हम सब छि एक मधेसी हौ !!
अपन भाषा भेष संस्कृति नया संविधान में हम करब समावेशी हौ !!
 रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
29.

की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Thursday, May 5, 2011 at 11:07pm
की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट

जन्म लेलौं हम जतय सीता माए के अछि गाम,
म्या गै हमरा एतेक बतादे की अछि हमार नाम,
किया कहैय हमरा सीसी बोतल आर बिहारी धोती,
आफद भगेल ख्यामे हमरा अपने देशमें दू छाक रोटी,
अपने देश बुझाईय परदेश शासक बुझैय हमरा बिदेशी,
नए छौ तोहर कोनो नागरिक अधिकार तू भेले मधेसी,
भूख स मोन छटपट करैय भेटे नए किछु आहार,
दया धर्म इमान नए छै शासक के किया करैय तिरस्कार,
की यी हमर राष्ट्र नए अछि? या हम सुकुम्बासी थिक?

बौआ हमर नुनु ययौ कान खोइलक दुनु सुनु ययौ,
अहाँ थिक मधेशक धरतीपुत्र हम अहाँक मधेस माए,
निठुर शासक के हाथ बन्धकी परलछि देलौं सब्किछ गमाए,
तन मन धन सब लुट्लक आब करैय खून पसीना शोषण,
आशा केर दीप अहिं अछि हमर वीरपुत्र करू मधेस रोशन ,
मधेसमे जन्म लेली जे कियो फर्ज तेकरा निभाव परत ,
नेपाल स मधेस माए के मुक्त कराब परत ,
सुन्दर शांत स्वतंत्र एक मधेस एक परदेश बनाब परत,
मंगला स त भेटल नए आब छीन क लेब परत ,
लड़ पडत आजादी के लड़ाई देब परत बलिदान ,
तखने भेटत मान समानं आ बनत मधेस महान ,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
30.

हाबड़ा पुल तोरा देखैबो @प्रभात राय भट्ट

by Prabhat Ray Bhatt Uyfm on Wednesday, April 27, 2011 at 6:24pm




हाबड़ा पुल तोरा देखैबो @प्रभात राय भट्ट


पेन्ह्नेछे मेक्सी हाथ में पेप्सी,


तू लागैछे बड़ा सेक्सी गे,२


हाँ हाँ सेक्सी गे बड़ा सेक्सी गे २


आइग जिका धध्कई छे तू ,


बिजुली जिका चमकै छे तू ,


हवा में उड़इ छो तोहर दुपटा,


चल न चल गोरी कलकाता २


हाबड़ा पुल तोरा देखैबो,    


कलकाता के शयर करैबो,


रस से भरल रस्गुला खिलेबो,


ठनका जिका ठंकई छे तू ,


बदरा जिका बरषई छे तू ,


पारी जिका रम्कई छे तू ,


बात बात में पढाई छे गाईर,


राख तू राख अपन जोवन सम्हईर,२


रूप तोहर देखि भेलै बबाल,


तोहर दीवाना समूचा नेपाल,


अजबे गजबे छौ चाल ढाल,


कमर में खोसने छे तू रुमाल,


जर जुवान के बाते छोर,


बुढ्बो भेल तोरा लेल बेहाल,


कोई कहै छौ आई लव यु,


कोई कहै छौ हेलो सेक्सी हाउ आर यु,


रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
31.

माए अहाँ ऐइ जग में महान छि@प्रभात राय भट्ट

माए अहाँ ऐइ जग में महान छि,
हमरा लेल अहाँ एकटा भगवन छि,
नौ मास हमरा  गर्भ में रखलौं,
मृत्युक मुहमें जाक जन्म देलौं,
ब्यथा पीड़ा वेदना सभटा सहलौं,
हर्षित मोन स मलमूत्र सेहो केलों,
अमृत समान धुधपान करेलों,
जागी जागी अहाँ राईत बितेलौं,
आँचर स झापि गोद में सुतेलौं,
हम अबोध किछु नए बजलौं,
मोनक बात अहाँ सभटा बुझ्लौं,
हमर सुख में अहाँ कतेक दू:ख उठेलौं,
था था करी आँगुर पकरी चलब सिखेलौं,
माँ माँ बा बा बोलीक  बाजब सिखेलौं,
बत्सलनिश्छल प्रेम हमरा पैर लुटेलौं,
ममताक रूप भगवतिक स्वरुप,
माए हम इस्वर में देखैत छि अहींक रूप,
मंदिर मस्जिद सभठाम गेलौं,
मुदा अहाँ स बैढ़क ओ भगवन की ,
जईमें अहांक सूरत नै देख्लौं,
माए अहिं छि चारोतीरथ चारोधाम,
जन्म जन्मान्तर हम रटब अहींक नाम,
माए अहाँ ऐई जग में महान छि,
हमरा लेल एकटा भगवान छि,

रचनाकार:प्रभात राय भट्ट