सपना देख्लौ बड अजगुत@प्रभात राय भट्ट
की कहिय राएत सपना देखलौं बड अजगुत हो भाई ,
हमरा पाछु लागल रहे एकटा बहुरुपिया कसाई,
धमकी देलक गल्ह्थी लगौलक देखौलक चाकू छुरा ,
जान स माएर देबौ,प्राण निकाइलदेबौ,नईतकर हमर माग पूरा ,
गाल हमर लाल कौलक खीच क मारलाक चटा चट चांटा ,
निकाल बाक्स पेटी स फटा फट दू चार लाख टाका,
डर स हम थर थर कापी मोन रहे घबराईल ,
तखने एकटा पहरा करैत प्रहरी हमरा लग चईल आईल ,
मोने मोन हम सोचलौ इ करता हमरा मदत ,
मुदा उहो रहे ओई चंडाल कसाई केर भगत ,
दुनु गोटा कान में कौलक फुस फूस ,
बाईन्ध क हमरा डोरी स घर में गेल घुईस ,
छन में सबटा भेल छनाक घर में परल डाका ,
झट पट जे आईंख खोल लौ ,त की कहिय काका ,
उ सपना नई सचे के बिपना रहे ,
हमर बिपति क एकटा घटना रहे ,
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
24. मजदुर !!!>
भगवान क असिम कृपा स अहा भेलौ धनवान !!
मुदा भुखा निर्बस्त्र आर निर्धन सहो छैथ इन्सान !!
भुख स छटपटा रहल छै,निर्धन ख्याला एक टा रोटि !!
मुदा धनक लोभ स खुली नै रहल अछी अहा क पोटि !!
भुखा प्यासा निर्बत्र मे करु अपन अन्न धन्न दान !!
तखने ह्याब अहा सबकेर नजैर मे महान् !!
दुख:भुख आ विपति सहके बईनगेल छै गरिब क मजबुरी !!
दु टुक्रा रोटि ख्यालेल खुन आ पसिना बहाके करैया मजदुरी !!
मजदुरक श्रम स उब्जैया फलफुल तरकारी आ बिभिन्न अन्न !!
मालिक भजाईय धनवान मुदा श्रमिक रही जाईय निर्धन !!
आदमी नै छै अहाक नजैर मे नोकर चाकर आर मजदुर !!
निर्धन गरिब पर हुक्मत करैछी कहाँ भेलौ अहा निस्ठुर !!
नै देखाऊ अईठाम ककरो झुठा रुवाब आर साख !!
एकदिन जईरके भ ज्याब अहु अई माटीमे राख !!
कंकर पाथर थाली मे भेटत् भुख स जौं अहा छ्टपटयाब !!
मुठी बांधके जग मे एलि हाथ पसाइरके ज्याब !!
कविता क रचैता:-प्रभात राय भट्ट
25.
मिथिलाधाम !!!
स्वर्ग स: सुन्दर अछी हमार मिथिलाधम !!
ऋषि मुनि तपस्वी आर माँ जानकी जन्म लेलैथ अहि ठाम !!
ज्ञानभूमि तपोभूमि आर स्वर्गभूमि अछी हमर जनकपुरधाम !!
गौतम कणाद मन्दन भारतीसुशिला यी अछी मिथिलांचल के गरिमा !!
युगो युग गुनगान होइत अछी मथिलांचल धर्ति क महिमा !!
हरबाहक श्रमदेखि धर्ति प्रतिदान केलैथ सिया जी सन् गहना
मिथिला क सब घर स्वर्ग लगैया,लोग ईहा के साधु सन्त !!
चाहे कोनो ऋतु होइ सद्खन बहैत ईहा बसन्त !!
मनोरम प्रकृति आर मनमोहक मिथिला क संस्कृति !!
एक दोसर स: सब लोग करैत अगाध प्रेम आर प्रिती !!
हर जीव ईहा के स्वाभिमानी करैथ नै किनको आशा !!
मधुरों स: मधुर मिथिला क मैथिल भाषा !!
मिथिले मे पुनरजन्म लि यी सब लोग मे अछी अभिलाषा !!
महाकवि विधयापति आर नागार्जुन सन् प्रखर विद्वान !!
जग ब्याप्त कैलैथ मिथिला क गरिमामय शान !!
स्वर्ग स सुन्दर धर्ति अछी हमर मिथिलाधम !!!!!!
26.
हम मधेसी मधेसके मुक्ती चाहे छी !!
शिक्षा, स्वास्थ और रोजगार चाहे छी !!
एक मधेस एक प्रदेस चाहे छी !!
अपन भाषा के सदुपयोग चाहे छी !!
हम मधेसी मधेसके बिकाश चाहे छी !!
यी सब पाबैकेलेल हम सम्पूर्ण मधेसी युवालोग के एकजुट भके
एक नया मोर्चाके स्थापना कैलजाय
जईमें हम मधेसी युवा वर्ग के पूर्ण सहयोग रहत
हम युवा मधेसके सिपाही के रूप में काम करैलेल तयार रहब
हमर दुई शब्द मधेसी युवा सब के लेल . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
जागु जागु यौ मधेसी युवा जागु,
अपन हक़हीत, अस्तित्वा और अधिकार पाबैके लेल जागु !!
जागु यौ मधेसी युवा और बनाऊ एक ठोस अभियान ,
त्यके खातिर चढ़ परत त चैढ जायब बलिदान .
भारत में कहैय नेपाली भूचर और पहाड़ी कहैय धोती . . .
अपने देश में आफत भगेल खाई में दुई छाकके रोटी . . . . . .
हम छी नेपालके मधेसवासी मुदा अपने देश में हमरा समझल जाईय किया सुकुम्बासी .
जागु जागु यौ मधेसी युवा जागु ,
गहरी निन्द से जागु .मधेस और मधेसी के मुक्ती के लेल
जागु जागु यौ मधेसी युवा जागु , और
मधेस और मधेसीके मुक्तीके यात्रा के शुभआरम्भ करू सु-प्रभातक सँग .
कदम में कदम पर बाजू बिजयक मिरीदंग मिट जायत
मधेस स एक अधिकार और दमन तखने मिळत चयन और अमन
खीलजायत मधेस में गुलदस्ता के चमन हमरा चाही अपन मधेस अपन प्रदेश
जय मिथिला !! जय मधेस !!!! जय मातृभूमि !!!!!
27.
गीत स्वतंत्रता के@प्रभात राय भट्ट
गीत स्वतंत्रता के@प्रभात राय भट्ट
सुनु सुनु ययो बाबु भैया ,
नींद स तू जगबा कहिया ,
भूखे पेट पेटकुनिया देला स
नई चलत आब कम हौ
कालरात्री के भेलई अस्त ,
उठह उठह कर दुसमन के पस्त ,
आइधैर तोरा पर शासन केलक ,
आब कतय दिन रहबा गुलाम हौ,
भेलई परिवर्तन बदैल गेलई दुनियाँ,
मधेस अखनो रहिगेलई शासक केर कनियाँ,
हसैछ दुसमन दैछ ललकार ,
उठह उठह दुष्ट शासक के करः प्रतिकार ,
मग्लाह स त भूख गरीबी रोग शोक देलकह ,
आब छिनक ला ला अपन अधिकार हौ ,
अखनो नई जगबा त जिनगी हेतह बेकार हौ ,
बेसी सुत्बा त अम्लपित बैढ़ जेताह ,
बिस्फोट भक्ह प्राण निकैइल जेताह ,
उठह उठह करः अपन प्राण क रक्षा ,
सिखह तू मान-स्वाभिमान क शिक्षा ,
प्राण तोहर मधेस माई में ,
मान-स्वाभिमान छह तोहर स्वतंत्रता में ,
बन्धकी परल छह तोहर मधेस माई,
उठह उठह हों बाबु भाई ,
मधेस माई केर मुक्ति दिलाब ,
सुन्दर शांत विकाशील मधेस बनाब ,
कालरात्री केर भेलई अस्त ,
उठह उठह करः दुसमन केर पस्त ,
28.
गीत:-माहासंग्राम@प्रभात राय भट्ट
गीत:-माहासंग्राम@प्रभात राय भट्
संग्राम संग्राम ई अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने हम नए लेब आब विश्राम !!
अईधैर हम सहित गेलौ दुस्त शासक केर अन्याय !!
मुदा आब नई हम सहब लक हम रहब अपन न्याय !!
निरंकुश शासक शासन करईय घर में हमरा घुईस !!
मेहनत मजदूरी हम करैतछि, खून पसीना ललक हमार चुईस !!
अढाईसय वरखक बाद आई भेलई मधेस में भोर हौ !!
गाऊ गाऊ गली गली में आजादी क नारा लागल छै जोर हौ !!
निरंकुश शासक कहैया हम छि बड़ा बलबंत !!
मुदा आई हेतई दुष्ट निरंकुश शासक केरअंत !!
संग्राम संग्राम यी अछि मधेस मुक्ति केर महासंग्राम !!
विना हक हित अधिकार पौने आब नई हम लेब विश्राम !!
अईधैर हम सहैत गेलौ उ बुझलक हमरा कांतर !!
तन मन धन सब कब्जा कौलक हमरा बुझलक बांतर !!
आब हम मांगब नई छीन क लेब अपन अधिकार हौ !!
उतैर गेलौ हम रणभूमि में करैला दुष्ट शासक केर प्रतिकार हौ !!
मेची स महाकाली चुरेभावर स तराई,समग्र भूमि अछि मधेस माई !!
हिन्दू मुश्लिम यादव ब्राम्हिन थारू सतार संथाल हम सब एक भाई !!
जातपात कोनो नई हमर हम सब छि एक मधेसी हौ !!
अपन भाषा भेष संस्कृति नया संविधान में हम करब समावेशी हौ !!
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट
29.
की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट
की अछि हमार नाम@प्रभात राय भट्ट
जन्म लेलौं हम जतय सीता माए के अछि गाम,
म्या गै हमरा एतेक बतादे की अछि हमार नाम,
किया कहैय हमरा सीसी बोतल आर बिहारी धोती,
आफद भगेल ख्यामे हमरा अपने देशमें दू छाक रोटी,
अपने देश बुझाईय परदेश शासक बुझैय हमरा बिदेशी,
नए छौ तोहर कोनो नागरिक अधिकार तू भेले मधेसी,
भूख स मोन छटपट करैय भेटे नए किछु आहार,
दया धर्म इमान नए छै शासक के किया करैय तिरस्कार,
की यी हमर राष्ट्र नए अछि? या हम सुकुम्बासी थिक?
बौआ हमर नुनु ययौ कान खोइलक दुनु सुनु ययौ,
अहाँ थिक मधेशक धरतीपुत्र हम अहाँक मधेस माए,
निठुर शासक के हाथ बन्धकी परलछि देलौं सब्किछ गमाए,
तन मन धन सब लुट्लक आब करैय खून पसीना शोषण,
आशा केर दीप अहिं अछि हमर वीरपुत्र करू मधेस रोशन ,
मधेसमे जन्म लेली जे कियो फर्ज तेकरा निभाव परत ,
नेपाल स मधेस माए के मुक्त कराब परत ,
सुन्दर शांत स्वतंत्र एक मधेस एक परदेश बनाब परत,
मंगला स त भेटल नए आब छीन क लेब परत ,
लड़ पडत आजादी के लड़ाई देब परत बलिदान ,
तखने भेटत मान समानं आ बनत मधेस महान ,
रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
30.
हाबड़ा पुल तोरा देखैबो @प्रभात राय भट्ट
हाबड़ा पुल तोरा देखैबो @प्रभात राय भट्ट
पेन्ह्नेछे मेक्सी हाथ में पेप्सी,
तू लागैछे बड़ा सेक्सी गे,२
हाँ हाँ सेक्सी गे बड़ा सेक्सी गे २
आइग जिका धध्कई छे तू ,
बिजुली जिका चमकै छे तू ,
हवा में उड़इ छो तोहर दुपटा,
चल न चल गोरी कलकाता २
हाबड़ा पुल तोरा देखैबो,
कलकाता के शयर करैबो,
रस से भरल रस्गुला खिलेबो,
ठनका जिका ठंकई छे तू ,
बदरा जिका बरषई छे तू ,
पारी जिका रम्कई छे तू ,
बात बात में पढाई छे गाईर,
राख तू राख अपन जोवन सम्हईर,२
रूप तोहर देखि भेलै बबाल,
तोहर दीवाना समूचा नेपाल,
अजबे गजबे छौ चाल ढाल,
कमर में खोसने छे तू रुमाल,
जर जुवान के बाते छोर,
बुढ्बो भेल तोरा लेल बेहाल,
कोई कहै छौ आई लव यु,
कोई कहै छौ हेलो सेक्सी हाउ आर यु,
रचनाकार:प्रभात राय भट्ट
31.