mithila sahitysudha

mithila sahitysudha

शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                           गजल
नव वर्षक आगमन के स्वागत करैछै दुनिया 
नव नव दिव्यजोती सं जगमग करैछै दुनिया
 
विगतके दू:खद सुखद क्षण छुईटगेल पछा 
नव वर्षमें सुख समृद्धि  कामना करैछै दुनिया 
 
शुभ-प्रभातक लाली सं पुलकित अछी जन जन
नव वर्षक स्वागत में नाच गान करैछै दुनिया
 
नव वर्ष में नव काज करैएला आतुरछै सब
शुभ काम काजक शुभारम्भ में लागलछै दुनिया
 
नव वर्षक वेला में लागल हर्ष उल्लासक मेला
मुश्की मुश्की मधुर वाणी बोली रहलछै दुनिया
 
जन जन छै आतुर नव नव सुमार्गक खोजमे 
स्वर्णिम भाग्य निर्माणक अनुष्ठान करैछै दुनिया
 
धन धान्य ऐश्वर्य सुख प्राप्ति होएत नव वर्षमे
आशाक संग नव वर्षक स्वागत करैछै दुनिया
.............................वर्ण-१९.......................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 25 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                            गजल
जगमे आब नाम धरी नहीं रहिगेल  इन्सान
मानवताकें  बिसरल  मनाब  भS गेल सैतान 

स्वार्थलोलुप्ता  केर  कारन  अप्पनो बनल आन
जगमे नहीं कियो ककरो रहिगेल भगवान

धन  सम्पतिक खातिर लैए भाईक भाई प्राण
चंद  रुपैया  टाका  खातिर भाई भS गेल सैतान 

अप्पने सुखमे आन्हर अछि लोग अहिठाम
अप्पन बनल अंजान दोस्त भS गेल बेईमान

मनुख बेचैय मनुख, मनुख लगबैय दाम
इज्जत बिकल,लाज बिकल, बिकगेल सम्मान 

अधर्म  पाप सैतानक  करैय  सभ  गुणगान  
धर्म बिकल, ईमान बिकल, बिकगेल  इन्सान 

पग  पग  बुनैतअछ  फरेबक  जाल  सैतान  
कोना जीवत "प्रभात"मुस्किल भS गेल भगवान 
....................वर्ण:-१८.....................................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                     गजल
छोड़ी कें हमरा पिया गेलौं बिदेशमें
विछोड़क पीड़ा  किया  देलौं संदेशमें

भूललछी अहाँ पिया डलर नोटमें
नैनाक  नोर हमरा देलौं  संदेशमें 

देखैछी पिया अहाँकें इंटरनेटमें
स्पर्शक भाव सं परैतछी कलेशमें

हम रहैतछी पिया विरहिन भेषमें
स्नेहक भूख हमरा देलौं संदेशमें

मिलनक प्यास कोना बुझत नेटमें
गाम आबू पिया रहू अपने देशमें

अहाँ रहबै सबदिन परदेशमें
किल्का कोना किलकतै  हमरा गोदमें

मर्म वियोग हमरा देलौं संदेशमें
पिया "प्रभात"किया गेलौं परदेशमें
.....................वर्ण १४....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 22 दिसंबर 2011


गजल @प्रभात राय भट्ट

                  गजल
चिठ्ठीमें अहाँक रूप हम देखैतछी
हर्फ़ हर्फ में अहाँक स्नेह पबैतछी
 
अक्षर अक्षर में बाजब  सुनैतछी
शब्द शब्द में अहाँक प्रीत पबैतछी
 
एसगर में हम इ चिठ्ठी पढैतछी 
चूमी चूमी कें करेजा सँ सटबैतछी
 
अप्रतिम सुन्दर शब्द कें रटैतछी
प्रेम परागक अनुराग पबैतछी
 
चिठ्ठी में अहाँक रूपरंग देखैतछी
पूर्णमासिक पूनम अहाँ लागैतछी
 
प्रेमक प्यासी हम तृष्णा मेट्बैतछी
अहाँक चिठ्ठी पढ़ी पढ़ी कें झुमैतछी
 
कागज कलम कें संयोग करैतछी
"प्रभात"क मोनमे प्रेम बढ़बैतछी
..............वर्ण:-१४..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 21 दिसंबर 2011


गजल@प्रभात राय भट्ट

                गजल
अप्पन वितल हाल चिठ्ठीमें लिखैतछी
मोनक बात सभटा अहिं सँ कहैतछी  
 
मोन ने लगैय हमर अहाँ बिनु धनी
कहू सजनी अहाँ कोना कोना रहैतछी
 
अहाँक रूप रंग बिसरल ने जैइए
अहिं सजनी सैद्खन मोन पडैतछी
 
गाबैए जखन जखन मलहार प्रेमी
मोनक उमंग देहक तरंग सहैतछी
 
अप्पन ब्यथा वेदना हम ककरा कहू
अपने उप्पर दमन हम करैतछी
 
जुवानी वितल घरक सृंगारमें धनी 
हमरा बिनु अहाँ कोना सृंगार करैतछी
 
जीवनक रंगमहल  वेरंग भेल अछि  
ब्यर्थ अटारी में रंग रोगन करैतछी
 
जल बिनु जेना जेना तडपैय मछली 
अहाँ बिनु हम तडैप तडैप जिबैतछी
 
दुनियाक दौड़में "प्रभात" लिप्त भेल अछी 
अप्पन जिनगी अप्पने उज्जार करैतछी
               वर्ण:-१५
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

आब इ कही जे गजल किछु शेरक संग्रह होइत छैक ( कमसँ कम पाँच आ बेसीसँ बेसी सत्रह )।

आब इ कही जे गजल किछु शेरक संग्रह होइत छैक ( कमसँ कम पाँच आ बेसीसँ बेसी सत्रह )।
9 hours ago · · 2
  • Ashish Anchinhar आब इ बूझी जे शेर की थिक। शेर सदिखन दू पाँतिक होइत छैक आ शाइर जे कहए चाहैत अछि ओ दुइये पाँति मे खत्म भए जेबाक चाही, अन्यथा ओ गजलक लेल उपयुक्त नहि।
    9 hours ago · · 1

  • Ashish Anchinhar मतला------------"मतला" गजलक ओहि पहिल शेरके कहल जाइत छैक जकर दूनू पाँतिमे काफिया आ रदीफ रहै। एकटा गजल उदाहरणक लेल देल जा रहल अछि।

    अपन आँखिमे बसा लिअ हमरा
    अपन श्वासमे नुका लिअ हमरा

    जहाँ मरितो जीबाक आस रहए
    ओहने ठाम तँ बजा लिअ हमरा

    हाथ सटेलासँ मोन केना भरतै
    अहाँ करेजसँ सटा लिअ हमरा

    एहि गजलक पहिल शेरक पहिल पाँतिमे काफिया "आ"क मात्रा अछि (केना से काफिया बला खंडमे पता चलत)। आ रदीफ " लिअ हमरा" अछि। तेनाहिते शेरक दोसरो पाँतिमे काफिया "आ"क मात्रा अछि आ रदीफ "लिअ हमरा"। संगहि-संग इ शेर गजलक पहिल शेर अछि, तँए इ भेल मतला। आब दोसर शेर पर आउ, मतलाक बाद इ कोनो जरुरी नहि छैक जे दूनू पाँतिमे काफिया आ रदीफ हुअए। मुदा मतलाक बला शेरक बाद जे शेर छैक तकर दोसर पाँतिमे काफिया आ रदीफक रहब अनिवार्य। उपरके गजलके देखू मतलाक बाद जे शेर अछि------

    "जहाँ मरितो जीबाक आस रहए
    "ओहने ठाम तँ बजा लिअ हमरा"
    एहि शेरमे देखू पहिल पाँतिमे ने रदीफ छैक आ ने काफिया , मुदा दोसर पाँतिमे काफिया सेहो छैक आ रदीफ सेहो। अन्य शेरक लेल एहने सन बुझू। ओना मतलाक बाद जे मतला आबए तँ इ शाइरक क्षमता के देखबैत छैक आ गजलके आर बेसी सुन्दर बनबैत छैक। तएँ ओकरा हुस्ने-मतला कहल जाइत छैक।ओना शाइर चाहए तँ गजल हरेक शेरके मतलाक रूपमे दए सकैए।बिना रदीफक गजल सेहो होइत छैक जकरा "गैर-मुरद्दफ" गजल कहल जाइत छैक मुदा काफिया रहब बिलकुल अनिवार्य। (6)
    9 hours ago · · 2

  • Ashish Anchinhar ‎2) रदीफ-------------- रदीफ मतला बला शेरक दूनू पाँतिक ओहि अंतिम हिस्साके कहल जाइत छैक जे दूनू पाँतिमे समान रूपें बिना हेड़-फेरके आबए। उपरका बला हमर शेरके देखू एहिमे "लिअ हमरा" समान रुपसँ दूनू पाँतिमे अछि अर्थात इ भेल रदीफ। इ रदीफ गजलक हरेक शेरक हरेक दोसर पाँतिमे (मतला बला शेरकेँ छोड़ि) अनिवार्य रुपें अएबाक चाही। एकटा आर दोसर मतलाकेँ देखू-----------------

    "दूर जतेक जाएब अहाँ
    लग ओतबे आएब अहाँ"

    एहि शेरमे "अहाँ" रदीफ अछि से स्पष्ट अछि। पूरा गजलमे रदीफ एकै होइत छैक।
    9 hours ago · · 2

  • Ashish Anchinhar ‎2008क बाद गजेन्द्र ठाकुर उपरका बहरमे गजल तँ कहबे केलाह संगहि-संग मैथिली लेल एकटा अन्य बहर सेहो तकलाह जकर नाम देल गेल---वार्णिक बहर। एहि बहरक मतलब छैक मतलाक पहिल पाँतिमे जतेक वर्ण छैक ओहि गजलक आन हरेक शेरक पाँतिमे ओतबए वर्ण हेबाक चाही। उपरमे उदाहरण लेल हम अपन जतेक शेर देने छी ओ सभ सरल वार्णिक बहरमे अछि।तथापि एकटा उदाहरण आर-----
    जहिआ धरि हमरा श्वास रहत
    तहिआ धरि हुनक आस रहत
    आब एकरा गानू। एहि दूनू पाँतिमे 13-13 वर्ण अछि। इ भेल सरल वार्णिक बहर। वर्ण कोना गानल जाए ताहि लेल इ धेआन राखू-----
    हलंत बला अक्षरकेँ 0 मानू
    संयुक्ताक्षरमे संयुक्त अक्षरके 1 मानू। जेना की "हरस्त" मे स्त=1 भेल।
    तकरा बाद सभ अक्षरकेँ 1 मानू चाहे ओकर मात्रा लघु हो की दीर्घ।
    9 hours ago · · 2

  • Ashish Anchinhar काफिया-------------- काफिया मने तुकान्त।आ तुकान्त मने स्वर-साम्यक तुकान्त चाहे ओ वर्णक स्वर-साम्य हो की मात्राक स्वर-साम्य। रदीफसँ पहिने जे तुकान्त होइत छैक तकरा काफिया कहल जाइत छैक। आ इ रदीफे जकाँ गजलक हरेक शेरक ( मतला बला शेरकेँ छोड़ि) दोसर पाँतिमे रदीफसँ पहिने अनिवार्य रुपें अएबाक चाही। काफिया दू प्रकारक होइत छैक------- (क) वर्णक स्वर-साम्य आ (ख) मात्राक स्वर-साम्य। वर्णक काफिया लेल शेरक हरेक पाँतिमे रदीफसँ पहिने समान वर्ण आ तकरासँ पहिने समान स्वर-साम्य होएबाक चाही। एकटा गप्प आर बहुतों शाइर खाली रदीफक बाद बला वर्ण वा मात्राके काफिया बूझि लैत छथि से गलत। काफियाक निर्धारण काफिया लेल प्रयुक्त शब्दके अंतसँ बीच वा शुरू धरि कएल जा सकैए। उदाहरण देखू---------
    "दूर जतेक जाएब अहाँ
    लग ओतबे आएब अहाँ"

    एहि शेरक पहिल पाँतिमे रदीफ "अहाँ" छैक। आ रदीफसँ ठीक पहिने "जाएब" शब्द छैक | जँ अहाँ "जाएब" शब्द पर धेआन देबै तँ पता लागत जे एहि शब्दक अंतिम वर्ण "ब" छैक मुदा एहि "ब" संग "आएब" ध्वनि सेहो छैक। तहिना दोसर पाँतिमे रदीफ "अहाँ"सँ पहिने "आएब" शब्द अछि। आब फेर अहाँ सभ "आएब" शब्दके देखू। एहिमे अंतिम वर्ण "ब" तँ छैके संगहि-संग "आएब" ध्वनि सेहो छैक।मतलब जे उपरक शेरक दूनू पाँतिमे रदीफ "अहाँ"सँ पहिने ब वर्ण अछि, "आएब" स्वर (ध्वनि)क संग।अर्थात "आएब" ध्वनिसँ युक्त "ब" वर्ण एहि शेरक काफिया भेल। आब एहिठाम इ मोन राखू जे जँ उपरक इ दूनू शेर कोनो गजलक मतला छैक तँ ओहि गजलक हरेक शेरक कफिया "ब" वर्णक संग "आएब" ध्वनि होएबाक चाही। अन्यथा ओ गजल गलत भए जाएत। आब एही गजलक दोसर शेरके देखू-------------------
    "जँ खसब हम बाट पर
    आशा अछि उठाएब अहाँ"

    एहि शेरमे पहिल पाँतिमे ने रदीफ छैक आ ने काफिया मुदा दोसर पाँतिमे रदीफ सेहो छैक आ रदीफसँ पहिने शब्द " उठाएब" अछि। एहि शब्दक अंतमे "ब" वर्ण तँ छैके संगहि-संग "ब"सँ पहिने "आएब" ध्वनि सेहो छैक।एहि गजलक आन काफिया सभ अछि--------"नहाएब", "देखाएब" आ "हटाएब"।एकटा आर दोसर उदाहरण देखू-----

    "मालक खातिर तँ माल-जाल बनल लोक
    देखाँउसक खातिर कंगाल बनल लोक"
    एहि मतलाक शेरमे "बनल लोक" रदीफ अछि। आ रदीफसँ पहिने पहिल पाँतिमे "जाल" शब्द अछि। संगहि-संग दोसर पाँतिमे "कंगाल" शब्द अछि। आब हमरा लोकनि जँ एहिमे काफिया निर्धारण करी। दूनू शब्द के नीक जकाँ देखू। दूनू शब्दक अंतिम वर्ण "ल" अछि मुदा पहिल पाँतिमे "ल"सँ पहिने "आ" ध्वनि अछि (मा) आ दोसरो पाँतिमे "ल"सँ पहिने "आ" ध्वनि अछि (गा)।तँ एहि दूनू शब्दक मिलानके बाद हमरा लोकनि देखै छी जे दूनूमे "ल" वर्ण समान अछि। संगहि-संग वर्ण "ल" सँ पहिने "आ" स्वर अछि। तँए एहि गजलक काफिया "आ" स्वरक संग "ल" वर्ण भेल। आब शाइरके बाँकी शेरमे काफियाके रूपमे एहन शब्द चुनए पड़तन्हि जकर अंतमे "ल" वर्ण अबैत हो एवं ताहिसँ पहिने "आ" स्वर हो। एहि गजल मे प्रयुक्त भेल आन काफिया अछि-----दलाल,प्रकाल, जंजाल,देबाल
    9 hours ago · · 4

  • Ashish Anchinhar तँ चली मात्रा बला काफिया पर। मतलामे रदीफसँ पहिने जँ वर्णमे कोनो मात्रा छैक। तँ गजलक हरेक शेरक काफिया मे वएह मात्रा अएबाक चाही चाहे ओहि मात्राक संग बला वर्ण दोसरे किएक ने हो। बाद-बाँकी स्वर-साम्य बला नियम उपरे जकाँ बूझू। इएह भेल मात्रा बला काफियाक नियम। आब एकरा कने उदाहरणसँ बूझी।
    देखू नोर सुखा रहल
    दर्द मुदा देखा रहल"

    एहि शेर मे रदीफ अछि " रहल", आ रदीफ सँ पहिने पहिल पाँति मे वर्ण "ख"क संग "आ"क मात्रा अछि। तेनाहिते दोसर पाँति मे रदीफ सँ पहिने वर्ण "ख"क संग "आ"क मात्रा अछि। एहि गजलमे लेल गेल अन्य काफिया अछि---"गना", बिझा", "फेका" एवं "लिखा" । जँ गौरसँ देखबै तँ पता लागत जे रदीफसँ पहिने बला वर्ण बदलि रहल छैक (खाली मतलामे एकै छैक "ख" मुदा आन शेर सभमे इ "न", "झ", "क" आ फेर "ख" अछि) मुदा मात्रा सभमे एकै "आ" ( "आ" केर लेख रूप ा) छैक। अर्थात एहि गजलक काफिया भेल "आ"क मात्रा। अन्य बचल मात्राक लेल एहने समान नियम अछि आ हरेक मात्राक एक-एकटा उदाहरण देल जा रहल अछि।

    1) "एनाइ जँ अहाँक सूनी हम
    नहुँएसँ सपना बूनी हम"

    ( काफिया "ई"क मात्रा)

    एहि गजलक अन्य काफिया अछि---- "चूमी", "पूछी", "बूझी", "खूनी", ,"लूटी", "सूती" आदि।

    2) "जँ तोड़ब सप्पत तँ जानू अहाँ
    फाँसिए लगा मरब मानू अहाँ"

    ( काफिया "ऊ"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया --- "गानू", "आनू", बान्हू" आदि।

    3) "मोन तंग करबे करतै
    देह भाषा पढबे करतै"

    (काफिया "ए"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया ---"खुजबे", "उड़बे", "सटबे" आदि अछि।

    4) "सभ दिन तँ भेँट होइते रहै छी हम
    तैऔ भोर आ साँझक बाट जोहै छी हम"

    ( काफिया "ऐ"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया ---"सोहै", "भूकै", "लूटै", "बूझै" आदि अछि।
    केखनो काल "ऐ" केर उच्चारण "अइ" जकाँ होइत अछि। जेना "सैतान" बदलामे सइतान, बैमानक बदलामे "बइमान" इत्यादि।
    5) “आब हरजाइकेँ तों बिसरि जो रे बौआ
    मोन ने पड़ौ एहन सप्पत खो रे बौआ

    ( काफिया "ओ"क मात्रा)
    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया------ओ, खसो, पड़ो इत्यादि अछि।

    6) " एक बेर फेर हँसिऔ कनेक
    ओही नजरि सँ देखिऔ कनेक"

    ( काफिया "औ"क मात्रा)

    एहि गजलमे लेल गेल अन्य कफिया ---"रहिऔ", "चलिऔ", "बुझबिऔ" आदि अछि।
    **** केखनो काल "औ" केर उच्चारण "अउ" जकाँ होइत अछि।

    उम्मेद अछि जे उपर देल गेल सात प्रकारक मात्रा बला उदाहरणसँ काफिया संबंधी नियम बेसी फड़िच्छ भेल हएत

  • रविवार, 11 दिसंबर 2011


    तिलक दहेजक खेलमे@प्रभात राय भट्ट

    मिथिलावासी हम सभ मैथिल
    करैएतछि इ आह्वान
    सभ कियो मिली करब 
    दहेज़ मुक्त मिथिलाक निर्माण
    आब नै कोनो बेट्टी पुतोहुक 
    जाएत अनाहक प्राण
    दहेज़ मांगेएवाला भिखारी
    स्त्री दमन करैयवाला दुराचारी
    भS जाऊ आब साबधान!!!
    तिलक दहेजक हम सभ मिली 
    करब आब दीर्घकालीन अवसान 
    बड बड लीला देखलौं
    तिलक दहेजक खेलमे
    बाप बेट्टा दुनु गेलाह
    दहेज़ उत्पीडन मामला सं जेलमे 
    आब नै कियो करू नादानी  
    नै बनू कियो अज्ञानी
    बेट्टा बेट्टी एक सम्मान
    राखु सभ कियो बेट्टीक मान
    रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

    गुरुवार, 8 दिसंबर 2011


    अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय@प्रभात राय भट्ट

    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    चन्द्रबदन  यए  मृगनयनी
    अहांक उर्वर काया रूपक माया
    मोन मोहिलेलक हमर.............
    यए सजनी मोन मोहिलेलक हमर
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    नहीं रहिगेल आब दिल पैर काबू
    मोन मोहिलेलक अहांक रूपक जादू
    अहिं सं हम  करैतछी प्रीत
    दिल अहां लेलौं हमर जित  
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    चलैतछी गोरी मटैक मटैक
    पातर कमर हिलाक
    लचैक लचैक झटैक झटैक
    गोर गाल पैर कारी लट गिराक 
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    नैन नशीली गाल गुलाबी
    ठोर लागैय सजनी सराबी
    रसगर ठोर भरल जोवनक मधुशाला
    तृप्त कदिय सजनी पीयाक एक घूंट प्याला
    अहांक अबिते अन्हार घरमे इजोर भोगेलैय //
    अहांक रूप निहारैत निहारैत भोर भोगेलैय //२
     
    रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

    शुक्रवार, 25 नवंबर 2011

    दहेज़ मुक्त मिथिला बनाबू@प्रभात राय भट्ट

    समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
    की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

    बेट्टा बनल अछि मालजाल बाप बनल पैकारी
    दहेजक आईगमें जईर रहल अछि बहु बेट्टी बेचारी
    समाजमे दहेजक रोग लागल अछि बड भारी
    जौं उपचार नहीं करब तेह फ़ैल  ज्यात महामारी
    समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
    की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

    बेट्टी जन्म लईते बाप माथ पैर हाथ धरैय
    बेट्टीक ब्याह कोना करब चिंतामें डुबल रहैय
    शिशु हत्या  करैया   कियो भ्रूण हत्या करैया
    आईग लागल दहेजक बेट्टी जईर जईर मरैय
    समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
    की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

    मैथिल ललना पैढ़लिख भोगेलैथ विद्द्वान
    मुदा दहेज़ छै अपराध ई किनको नहीं ज्ञान
    मांगी दहेज़ किये करैतछी बेट्टी बहुक अपमान
    करू आदर्श ब्याह यौ ललना बढ़त अहांक शान
    समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
    की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

    उठू जगु मैथिल ललना बढ़ू आब आगू
    तिलक दहेजक विरुद्ध एक अभियान चलाबू
    मैथिलि बैदेही जानकीके भ्रूण हत्या सं बचाबू
    उठू जगु मैथिल दहेज़ मुक्त मिथिला बनाबू
    समाजक कलंक बनल अछि तिलक दहेज़ //
    की जाने लोग कोना करैया एकरा परहेज //२

    रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

    गुरुवार, 24 नवंबर 2011







    रोटी रोजीक खोजी@प्रभात राय भट्ट

    नेपालक मधेस प्रान्तमें महोतरी जिलाक धिरापुर गामक बर्ष ३० के भोला खत्बेक जीवनचक्र पैर आधारित यी आलेख अछि जे सम्पूर्ण मध्यमबर्गीय आओर निम्मन बर्गीय समुदाय के जीवन जुडल यथार्थ जीवनी  !
                            भोला एकटा निम्नबर्गीय परिवार में जन्म लेलक हुनक माए बाबु बड मुस्किल से मेहनत मजदूरी करी  भोला के पालनपोषण केलक, भोलाक माए बाबु गरीब होवाक कारन भोला प्रारम्भिको  शिक्षा  बन्चित रहल जेनतेन समय बितैत गेल  समयानुसार भोला पैघ सेहो भगेलाह ! समय के संग संग हुनक दाम्पत्य जीवन सुभारम्भ सेहो भगेलई,भरल जुवानी के अबस्था में दाम्पत्य जीवनक रस्वादन एवं आन्नदमें  पूर्णरुपेन डुबिगेलाह अपन आर्थिक स्थितिके नजैर अंदाज करैत गेलाह मुदा विना अर्थ जीवनक गाडीं कतेक दिन चैल सकैय ! कनिया के सौख श्रींगारक सामग्रिः भोजन भातक ब्यबस्था बृध माए बाबु के दबाई दारू सभक आभाव चारू   खटक लग्लई,तकर बाद भोला के अपन जिमेवारिक  बोध भेलैन ! हुनका किछ नै सुझाई  जे की करू  नै करू राईत दिन बेचारा भोला घरक लचरल ब्यबस्था देखि बड चिंतित रहलागल !एक दिन अपन मिता सुरेश कापर के अपन सभटा दु: सुनैलक  ! सुरेश बड नीक सलाह देलकै देखू मिता अई नेपाल देश में स्वरोजगारी के कोनो ब्यबस्था नै छई पढलो लिखल मनुख के नोकरी नै भेटैछैक तहन  हम अहां कोण जोक्रक छि ! हम एकैटा सलाह देब सउदी अरब चैल जाऊ ओईठाम बड़ पैसा भेटैछैक अहंक सभटा दू:ख दूर भ्ज्यात,सुरेशक गप सुनिक भोलाके माथमें चकर देबलगलै !!मुदा किछ देरक बाद भोला सहमती जनौलक आ सुरेश सं बिदा लैत घर तरफ प्रस्थान केलक!
                   सुरेश घर पहुचैत कनियाँ कतय गेली ये हमरा बड़ जोर सं भूख लागल अछि किछु खयाला दिया नए,कनियाँक कोनो जवाब नै अयीलाउपरांत ओ भानस घरमे गेल कनियाँ के देखलक माथ हाथ धयने आ सिशैक सिशैक क कानैत,अहां किये कनैछी ये अतराढंवाली ?की भेल किछ बाजब तब नए हम बुझबई ! कनिया कहलकै....हम की बाजु आ बाजल बिनु रहलो नै जैइय,अहां जे कोनो काम धंधा नै करबै तहन ई चुल्हाचौका कोना चलति एक पाऊ चाबल छल जेकर मद्सटका भात बनाक माए-बाबु आ बच्चा सभमे परसादी जिका बाईंट देलौ आ हम त उपबासो कलेब मुदा अहांके त भूख बर्दास्त नै होइया ताहि सं हमर छाती फटी रहल अछि मुदा अहांके त कोनो चिंताफिकिर रह्बेने करेय !तपेश्वर मालिक सेहो बड़ खिसियक द्वार पर सं गेल कहैछल जे ५०० टका के हमर सूद ब्याज सहित २५००० भगेल मुदा यी भोलबा अखन धरी देब के नाम नै लैय,
         हे यए अतराढंवाली अहां आब जुनी चिंता  करू हमरा पैर भरोषा रखु सभ ठीक भजेतई ई किछ दिनक दू:ख थीक एकटा कहाबत छै जे भगवानक घरमे देर छै मुदा अंधेर नै,अतारधवाली के मोन अति प्रसन्न भेलै आ झट सं पुईछ बैठिय आईंयो रामपुकारक पापा आई की बात अछि जे अहां एतेक पुरुषार्थ वाला गप करैत छि ?की बजली यए अतराढंवाली एकर मतलब अहुं हमरा निक्मे बुझैत छि? त कान खोईलक सुनिलिय हम आब सउदी अरबिया जारहल छि  आ ढेर पैसा कमाक अहां लेल भेजब !अतराढंवाली ई बात सुईनते घबरागेल आ कहलागल की बज्लौं ?कने फेर सं बाजु त अहांके जे मोन में अबैय सहे बाईजदैत छि,एहन बात आब बजैत नै होईब से कहिदैछी हम................मोन त भोला के सेहो उदास भजैय मुदा हिमत करिकें कनियाँ के समझाबक कोशिश करेय देखियो कनिया हम जनैत छि जे हम कोनो काम धंधा नै करैत छि तयियो अहां हमरा सं खूब प्रेम करैत छि,आ हमहू अहां बिनु एकौ घडी नहीं रही सकैत छि यी सभटा जनैत बुझैत हम मज़बूरी बस एहन निर्णय लेलहुं आ अईके अलाबा दुसर कोनो रस्तो नहीं अछि ! आखिर यी जीवन त प्रेम आ स्नेह सं मात्र नै चलत नए जीवनमे दुःख सुख भूख रोग सोक पीड़ा ब्यथा वेदना संवेदना प्रेम स्नेह विबाह बिदाई जीवन मृत्यु समाज सेवा घर परिवार ईस्ट मित्र कर कुटुंब नाता गोता मान सम्मान प्रतिष्ठा घर माकन खेत खलिहान बगीचा मचान सत्कार तिरिस्कार मिलन बिछोड यी सभटा जिनगीक अभिन्न अंग अछि,आ यी सभटाके जैर एकैटा थीक जेकर नाम ऐच्छ पैसा............तै हमरा परदेश जाहिटा परते अहां कनिको मोन मलाल नै करू सबहक प्रियतम पाहून परदेश खटेछैक ! हेयौ रामपुकारक पापा यी बात सुनिके हमर छाती फटेय..तहन अहां बिनु हम कोना रहीसकैछी? नए नए हमरा नहीं चाही पैसा कौड़ी महल मकान हम नुने रोटी खेबई सेहो नहीं भेटत त साग पात ख्याक जिनगी काटीलेब कहैत भोलाके भैर पांज पकरिक सिशैक सिशैक नोर बहबैत कानैलागैय....मुदा भोला कुलदेवता के सलामी राखैत माए-बाबु सं आशीर्वाद लैत घर सं प्रस्थान भगेल.....................! अगिला पाठ क्रमश:.............
    लेखक:-प्रभात राय भट्ट
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    २.भोला साउदी अरबके एकटा कंस्ट्रक्सन कम्पनी में राईतके ११बजे पहुंचल आ भिन्सरमे ७बजे औफिसमे हाजिर भोगेल क्म्प्निके मैनेजर साहब भोला सं कबूलनामा कागज पैर साईन करबौलक आ भोलाके उक्त कबूलनामा के विवरण सुनौलक :- १.मासिक वेतन ५०० रियाल ड्यूटी ८ घण्टा २.करार अवधि ३ वर्ष ! भोला इ बात सुनिक हतप्रभ भोगेल जेना मानु भोलाके माथ पैर बज्रपात गिरगेल फेर भोला अपने आपके सम्हारैत मैनेजर साहब सं कहलक नेपाल के मेनपावरक कबूलनामा अनुसार हमर पगार ६०० रियाल + खाना +२०० ओभर टाइम आ दू वर्षमे ३ मासक छुटी के सर्त भेल छल मुदा मैनेजर भोलाके एकोटा बात नै सुनलक तहन भोला कहलक हम सुखा ५०० में काम नै करब २०० खानामे खर्च भोज्यात बचत ३०० रियाल ३०० रियाल्के नेपाली टाका ६०० हजार मात्र होइतअछ तेहेतु हमरा वापस भेज दिय ! मैनेजर भोलाके सामने साम दंड भेद क सूत्र अनुसरण करईत कडा रूप सं प्रस्तुत भेल बेचारा भोला मैनेजर के चंडाल रूप आ कडा चेताबनीके सामने निरीह बईनगेल आ काम करबलेल तयार भोगेल !
                 भोला अपन भाग्य के साथ समझौता करैत क्म्पनिके काजमे ईमानदारी पुर्बक सरिक भोगेल मुदा महिना लागैत पगार हातमें आबिते भोला हिसाब किताब में लाईग जाईतछल खाना नास्ता के खर्च निकालैत बाद मुस्किल सं ३०० रियाल बचैक आब भोला घरके बारेमे सोचैलागल ३०० रियाल के सिर्फ ६००० हजार नेपाली होइतअछ जाही सं घर परिवार चलत की रु.१००००० कर्जा सधत जेकर सिर्फ ब्याज ३०० हजार चैलरहलअछ याह बात सोचैत सोचैत प्रात:भोगेल फेर वेचारा भोला अपन दैनिक काम काज में तठास्त रूप सं लाइग जाय याह: क्रम लगभग ५/६ महिना चलैतगेल तेकरबाद भोला किछ टाका घर भेजलक जाही सं हुनक घर खर्च चैलरह्ल छल ! १ साल बितला बाद भोलाके घर सं चिठ्ठी आएल भोला उक्त चिठ्ठी पैढ़क मर्माहित भोगेल चिठ्ठीमें लिखल रहैक रामपुकार के बाबु घरक स्थिति बड़ नाजुक अबस्था सं गुजरी रहलअछ आ अहां जे कर्जा लक गेल छि ओकर ब्याज ३६०० हजार भोगेल महाजन आएल छल कहिक गेल जे आब मूल धन रु१३६००० भोगेल ऐ बात पैर ध्यान दिय भोला चिठ्ठी पढैत फेर घर क चिंता में डुबिगेल कर्जा कोना सधत ? भोलाके उदास देख हुनक संघतिया पुईछ बैठल आईयो मिता अहां ऐना सदिखन एतेक उदास किये रहैत छि यौ ? भोलाक ध्यान भंग भेल आ संघ्तियाके अपन सभटा दू:ख 
    सुनौलक  ! संघतिया हाथ में खैनी मलैत कहलक रुकू कने ई खैनी खाय दिय तहन हम कुनु उपाय बताबैछी खैनी ठोर में धरैत झट सं एकटा गप भोलाके सुनौलक देखू हम जे कहैत छि से ध्यान सं सुनु चुप चाप हम आर अहां दुनु गोटे इ कम्पनी छोईडक भाईग चलु कतौ दोसरठाम जतय निक कमाई होइत होइक ! मुदा भोलाके संघतियक गप कनियो निक नै लागल  भोला कहलक देखू इ दोसर के देस में भाईग क कतय जाईब कहीं देहि नही भोगेल तहन के मदत करत आ दोसर इ देस के कानून बड़ कडा छैक पकड़ा गेला पैर जेलमे चकी चलबा पडत तहन धोबी के कुता नै घर नै घाट के होइतअछ से बुईझलिय  हम तह नै ज्याब अहां ज्याब तेह जाऊ !
                  भोला फेर अपन काम काजमे जुइटगेल आ भोलाक संघतिया मासिक १५०० सय पगारमे दोसर ठाम काम करैलागल देखते देखैत दुई साल बितगेल ! भोलाके घर सं फेर एकटा चिठ्ठी आएल भोला चिठ्ठी पढ़लक चिठ्ठी पैढ़क खुसी होमय बजाय पुनह उदास भोगेल आ गंभीर सोचमे डुबिगेल भोलाके सब से बड़का परेशानी रहैक कर्जा जे साउदी आब बेरमे लेने रहैक भोला सोचलक जे एतबा न्यूनतम पगारमे कर्जा कोना सधत अंतत:भोला कम्पनी छोईड भागके निर्णय ललेलक ! भोला कम्पनी सं भाईग संघतिया के कम्पनिमे चईल्गेल आ मासिक १५०० सय पर काज करैलागल भोला ५ महिनामे रु १००००० टाका घर सेहो भेज देलक आ कनिया सं फ़ोन मार्फ़त गप केलक कनिया सं कहलक इ एक लाख टाका महाजन के खता में जमा कदिय आ हुनका कहिदीय जे ५  महिनके बाद हम हुनकर सभटा पाय चुकता कदेबैय ! आब भोला किछ प्रसन्न मुद्रामे रहैलागल आ अति प्रसन्ता के साथ सोचैलागल लोक ठीक कहैतछई जे
    भगवान के घर देर छै मुदा अंधेर नै आब हमरो विपतिक घडी टैर रहलअछ मुदा वेचारा भोलाके की पता जे भाग्य रेखा कियो नै देखने छैक कखन की हेतई से मनुख क कल्पना सं बहुत दूर के चीज छैक समयचक्र कखन कुन रूप लेत इ एकैटा परमात्मा जनैत छथी! बड़ मुस्किल सं भोलाके ठोर पैर मुस्कान आएलछल मुदा दैबके इ रास नै येलैय भोला के जीवन में तेज गति सं एकटा बड़ भारी बज्रपातके आगमन भेलै भोला अपन ड्यूटी ख़त्म क्याक डेरा तरफ जाईके क्रम में रोड पार करैत समयमे भोलाके देह पैर तेज गति में कालरुपी एकटा गाड़ी चैढ्गेल भोला जीवन आ मृत्यु के बिच एक घण्टा लादैत रहल अंत:भोला अपन  चेतना गुमाबैठल ताहि समयमें उद्धार टोली आबिक भोलाके अस्पतालमें भरना कोदेलक ! इ दुखद घटनाके २० दिन बाद भोलाके घरमे खबैर गेल जे भोला आब इ दुनियामे नहीं रहिगेल रोड एक्सीडेंट में हुनक मृत्यु भोगेल इ बात सुनैत बेचारी भोलाके कनिया मूर्छित पैरगेल आ गाम घरक महिला सब भोला कनियाके चूड़ी फोईर मांगक सिंदूर धोबीक विधवा बनाबक काजमे एकमत भोगेल  तखने समाजसेवी एकटा महिला इ बातक घोर विरोध केलन आ सब महिलाके सम्झौलन जाधैर कुनु ठोस पुष्टि नए भेटैय ताधैर रूईक जाऊ कहीं इ समाचार गलत होइक आ भोला जिन्दा होइक ! गायत्री देवी जी के सुपुत्र प्रभात राय सेहो साउदी अरब में रहैथ ओ फोन सं सभटा बात सुनैलैथ आ प्रभात राय अस्वासन देलैथ जे अहां सभ हमर फ़ोन के प्रतीक्षा में रहू हम अखने वास्तविकता कीअछ
    प्रभात भोलाके घटना प्रति जानकारी हासिल करैमे लागिगेल ! अस्पताल,पुलिस,एम्बुलेंस,ट्राफ्फिक सभठाम पता लागौल्क बाद प्रभातक मेहनत रंग लौलक 
    भोलाके जिबिते अबस्था में रियाद स्थित एकटा अस्पतालके कोमा में भरना भेल देखलक प्रभात तुरत गाम में फोन स आँखी देखल पुख्ता जानकारी देलन्हि इ बात सुनैत धिरापुर गाम में हर्सौलास के माहौल बनल आ गामक सबलोक प्रभात के धन्यबाद दैत एकटा विनम्र अनुरोध केलैथ जतय खर्चा लागते हम सभ चंदा उठाक देब मुदा भोलाके जान बचादियौ ! प्रभात अस्वासन देलैथ अहां सभ जुनी चिंता करी हमरा सं जतय बैन पडत हम जरुर करब आब भोला के उद्धार कार्य में प्रभात दिन राईत एक क देलक तिन मासक बाद भोला अर्धचेतन अब्स्थामे आएल फेर एक महिना उपचार के बब्जुदो किछ आंशिक सुधार मात्र भेल एम्हर अस्प्तालक खर्च सेहो जीवन विमाके हद पार कगेल प्रभातके प्रयासमें भोलाके बैधानिक कम्पनी आ जीवन विमा अस्पताल क खर्च चुकता केलाक बाद डिस्चार्ज भेल आ नेपाल पठाउलगेल ! भोलाके जिबिते अबस्थामे गाम आबक खबैर सुनिक भोलाके परिवार लगायत समूचा गामक लोक एकबेर पुनह खुश भेल २ दिनक बाद भोला अपन मातृभूमि में पहुंचल आ सबहक प्रतीक्षा के घडी ख़त्म भेल ! भोलाके जीवित देखैला समूचा गामक लोक आबिगेल मुदा भोला इ सभ बात सं बहुत दूर जाचुकल रहैक ओ ऐ काबिल नै रहैक जे किनको सं मिलन के खुसी बाईट सकय भोला के अपांग आ अर्धचेतन अबस्था देख सबके मुह सं आह 
    निकैल्गेलई ! भोलाके कनिया अपन सोहागरूपी पति परमेश्वर के अपांगो अबस्थामें भेटगेलैय ते खुसी जरुर भेलै मुदा किछ दिन बाद अतराढवाली के लेल ओकर सोहाग एकटा दीर्घकालीन बोझ बैनगेलैय ओई बोझक भार उठेनाई बड़ मुस्किल भरहल छै किये तेह आजीवन अपांग आ अर्धपागल रही गेलाह !!
    लेखक:-प्रभात राय भट्ट

    शनिवार, 19 नवंबर 2011


    बढ़ल परेशानी चढ़ल जवानी@प्रभात राय भट्ट

    लालपुर के हम लालपरी
    ललमुनिया हमर नाम
    रुसल फूलल सभक दिल
    बह्लाबक अछि हमर काम
    एक तेह हमर चढ़ल जवानी
    दोसर जान मरैय सावनके पानी
    हाय रामा.........................२
    हाय रे हाय रे हाय रामा // २

    बढ़ल परेशानी चढ़ल जवानी
    कियो कहे दिलवरजानी
    कियो कहे रुपकरानी
    कियो कहे आबू एम्हर
    कियो बजाबे ओमहर
    हम जाऊ कोमहर कोमहर
    हाय रामा .......................२
    हाय रे हाय रे हाय रामा //२

    कसमस चोली मरैय जान
    घघरीमें उठल प्यारके तूफान
    जान मरैय ठोरक लाली कानक बाली
    केशक गजरा आईखक कजरा
    आगू पाछु घुमैयसमूचा  हिंदुस्तान
    भेली रे भेली हम जवानी सं परेशान
    हाय रामा ..................................२
    हाय रे हाय रे हाय रामा .........//२

    लच लच लचकैय पतरी कमरिया
    देह सं ससरल जाईय हमर चुनरिया
    कियो कहे आई लव यु
    हेलो मैडम हाउ आर यु
    निहायर २ मारे जुल्मी नजरिया  
    आगू पाछु करे समूचा दुनिया
    हाय रामा ...........................२
    हाय रे हाय रे हाय रामा ...//२

    रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

    उर्वरभूमि बनाएब हम अपन धरती@प्रभात राय भट्ट

    विचित्र सृष्टिक रचैता हे ईस्वर //
    सभक सुदी रखैयबाला परमेश्वर // २

    गरीबक जिनगी की अछि बेकार
    किये करैया लोग हमर त्रिष्कार
    पैघ मनुख किये दैय धिकार
    कुनु ठाम नहीं अछि गरीबक अधिकार //

    हे ययौ पालनहार कने सुनु ने हमर पुकार
    सभक उद्धार  केलौं कने सुनु ने हमरो उपकार
    फुलक हार नहीं नैयनक नोर चढ़ाबआएलछि
    आईखक दुनु प्यालामे किछ मांगलेल आएलछि//

    गगनचूमी कोठा अटारी नहीं चाही
    हमर झोपरीमे सुख शांति दिय
    कंचन कोमल काया नहीं चाही
    बज्रदेह बाहिमें ताकत दिय.........//

    विघा दस विघा जमीं नहीं चाही
    कठा दस कठा खेत बारी दिय
    चटान फोरबाक हिमत दिय
    हिमाल सन अटल छाती दिय //

    आराम आर विश्राम नहीं चाही
    श्रमिकके श्रम करबाक सौभाग्य दिय
    कोईर कोईर तोईर तोईर बाँझ पर्ती
    उर्वरभूमि बनाएब हम अपन धरती //

    खुवा मेवा मिष्ठान नहीं चाही
    भोर साँझके दू छाक आहार दिय
    सुख शैल विलास नहीं चाही
    जीवन चालबलेल कुनु अधार दिय //

    रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट